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महापर्व छठ पर लॉकडाउन का असर, फीका रहा उत्साह Jamshedpur News

डूबते सूर्य को अघ्र्य अर्पण करने के लिए इस वर्ष नदी व पवित्र जलाशयों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं उमड़ी। कई लोगों ने छतों पर ही सूर्यदेव को अधर्य दिया।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 10:51 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 10:51 PM (IST)
महापर्व छठ पर लॉकडाउन का असर, फीका रहा उत्साह Jamshedpur News
महापर्व छठ पर लॉकडाउन का असर, फीका रहा उत्साह Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण महापर्व छठ का उत्साह फीका पड़ गया है। सूर्योपासना के तीसरे दिन सोमवार को भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य दिया गया।

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डूबते सूर्य को अघ्र्य अर्पण करने के लिए इस वर्ष नदी व पवित्र जलाशयों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं उमड़ी। सांध्य अघ्र्य के दौरान सुवर्णरेखा नदी के छठ घाटों के अलावा डिमना लेक, सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर समेत अन्य छठ घाटों में व्रतियों की भीड़ नहीं उमड़ी।

लॉकडाउन के कारण सूर्य मंदिर सिदगोड़ा बंद है। डिमना लेक में भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए सोमवार की शाम मात्र आठ परिवार और सुवर्णरेखा नदी के दोमुहानी घाट पर मात्र चार परिवार ही पहुंचे। इसके अलावा नदी के अन्य घाटों पर भी छठ व्रति नहीं पहुंचे।

सरकार, प्रशासन और पंड़ति व पुरोहितों के अपील के बाद छठ व्रति अपने-अपने घर पर ही भगवान भास्कर को अघ्र्य अर्पण किए। छठ पर्व पर लोग एक साथ मिलकर नदी या तालाबों के पास एकत्र होते हैं।

घर में भी लोग व्रती के यहां प्रसाद ग्रहण और पूजा में शामिल होने पहुंचते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से लोगों से घर में रहने की अपील की गई है। इसलिए इस बार लोग नदियों में या तालाबों में अघ्र्य देने नहीं गए। छठ पूजा पर कहीं भी धूमधाम नहीं देखा गया। सदगी व शांतिपूर्वक ढंग से छठ पर्व मनाया जा रहा है।

छत और आंगन में दिया अघ्र्य

 कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण छठ व्रतियों ने अपने घर के छत और आंगन में कृतिम जलाशय बनाकर भगवान भास्कर को अघ्र्य अर्पण किया। संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन ने भी लोगों को एकसाथ एकत्रित नहीं होने की अपील की थी। इसके लिए लोगों ने अपने घर के छत पर तिरपाल या प्लास्टिक के सहारे पानी भरकर उसे तालाब का रूप दिया था, जहां से डुबते सूर्य को विधि-विधान के अनुसार अघ्र्य अर्पण किया।

नहीं दिखा ईख, सूप-दौरा और गागर भी गायब

 लॉकडाउन के कारण बाजार बंद हैं। चारों ओर सन्नाटा है। बाजार नहीं सजने के कारण श्रद्धालु महापर्व छठ के लिए जरूरी बांस के बने सूप, दौरा और पूजा के लिए ईख, गागर समेत अन्य फलों की खरीदारी नहीं कर पाए। इसका असर सोमवार को छठ घाटों पर साफ देखने को मिला। डिमना लेक में पहुंचे आठ परिवार में सिर्फ एक के पास ईख था। अधिकांश परिवारों ने पीतल के सूप से ही अनुष्ठान संपन्न कर रहे हैं।  

सुबह अघ्र्य अर्पण के साथ संपन्न होगा छठ

 नहाय खाय के साथ शनिवार को शुरू हुए आस्था का महापर्व चैती छठ में सोमवार को तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अघ्र्य दिया गया। कोरोना वायरस से लॉकडाउन को लेकर पूरे शहर में बंदी जैसा माहौल है। ऐसे में श्रद्धालुओं ने अपने घर में रहकर ही छठ पूजा कर भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य दिया। व्रतियों ने भगवान भास्कर और छठी मैया से कोरोना से पूरी दुनिया को बचाने की प्रार्थना की। मंगलवार की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही लोकआस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो जाएगा।

छठ पर्व का पौराणिक महत्व

 छठ पर्व में मूर्त रूप से पृथ्वी पर विद्यमान सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अघ्र्य दिया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं। शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानस पुत्री भी कहा गया है। पुराणों में इन्हें मां कात्यायनी भी कहा गया हैए जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है।


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