Fight Against Corona : कोरोना से लड़ने की ताकत देगा सारंडा के औषधीय पौधों से बना काढ़ा
Immunity boosters. करमपदा वन समिति के साथ मिलकर वन विभाग ने इम्युनिटी बूस्टर तैयार किया है। जड़ी-बूटियों से बना उत्पाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा।
जमशेदपुर, सुधीर पांडेय। Immunity booster कोरोना वायरस से लड़ने की ताकत देगा एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल में मौजूद जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों से तैयार इम्युनिटी बूस्टर। शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करने के लिए इस उत्पाद को सारंडा वन प्रमंडल ने करमपदा वन समिति के सदस्यों के साथ मिलकर तैयार किया है।
औषधीय गुण वाले इस रस को सर्टिफाइ करने के लिए सोमवार को आयुष केंद्र भेजा गया है। वहां से प्रमाणित होने के बाद इसे वन समिति के माध्यम से बाजार में बेचा जाएगा। इससे होने वाला सारा मुनाफा वन समिति की झोली में जाएगा। सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में यह देखने में आया है कि जिन लोगों के शरीर की रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है वो कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद भी कोरोना की चपेट में नहीं आ रहे हैं।
आयुष मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप है काढ़ा
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने वायरस से लड़ने में स्वदेशी आयुष क्वाथ यानी आयुर्वेदिक काढ़ा को बड़ा हथियार बताया है। इस महामारी से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना जरूरी है। लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हम लोगों ने कोल्हान के पश्चिमी सिंहभूम में देसी काढ़े को बढ़ावा देने की तैयारी कर ली है। इसके तहत गिलोय, अमरुद की पत्ती, हल्दी, अदरक, तुलसी, दालचीनी, इलायची का बीज, पीपल, अर्जुन की छाल, गुड़, लौंग व पानी के मिश्रण को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर तैयार किया गया है।
10 लीटर काढ़ा बनाने की विधि
सर्वप्रथम अर्जुन की छाल को पीसकर चटनी जैसा बना लें। उसके बाद 500 ग्राम गिलोय, 250 ग्राम अमरुद की पत्ती, 350 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम अदरक, 300 ग्राम तुलसी, 100 ग्राम दालचीनी, 100 ग्राम इलायची का बीज, 150 ग्राम काली मीर्च,100 ग्राम लौंग को पीसकर 15 लीटर पानी में मिला दें। उसके बाद गुड़ तीन किलोग्राम घोलकर एक साथ मिला दें। उसके बाद किसी बर्तन में रखकर गर्म करें। एक घंटा में यह इम्युन बूस्टर बनकर तैयार हो जाएगा।
औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों की भरमार
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में स्थित साल के जंगलों के लिए प्रसिद्ध सारंडा जंगल में औषधीय पोधे बहुतायत में पाये जाते हैं। इनमे सफ़ेद मूसली, काली मूसली, मुलेठी, सतावर, गुडमार, चेरेता, कालीहारी, पत्थरचूर, तुलसी, अर्जुन, र्हे, र्बे आदि प्रमुख हैं।
300 लोगों को दिया जा चुका है प्रशिक्षण
सारंडा वन प्रमंडल अंतर्गत आने वाली वन समितियों को धनवंतरि आयुर्वेदिक शोध संस्थान सह पंचकर्म विज्ञान चिकित्सालय सह आयुर्वेदिक अस्पताल के निदेशक व प्रधान चिकित्सक डॉ. मधुसूदन मिश्र के जरिए जंगल में उपलब्ध पौधों से औषधि तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इम्युन बूस्टर बनाने का प्रशिक्षण करीब 120 लोगों को दिया जा चुका है। इम्यून बूस्टर को करमपदा वन समिति के जरिए बाजार में बेचा जाण्गा। इसका सारा मुनाफा वन समिति को ही मिलेगा। कोरोना वायरस के खिलाफ यह काढ़ा अहम भूमिका निभाएगा।
-रजनीश कुमार, डीएफओ सारंडा, पश्चिमी सिंहभूम।