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सौ फीसद एलइडी वाला शहर होगा जमशेदपुर, ये रही भविष्य की योजनाएं

अगले कुछ साल में शत फीसद एलइडी वाला होगा जमशेदपुर शहर। इस दिशा में काम चल रहा है और करीब 34 प्रतिशत स्ट्रीट लाइट को एलइडी लाइट में बदला जा चुका है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 12:46 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 12:46 PM (IST)
सौ फीसद एलइडी वाला शहर होगा जमशेदपुर, ये रही भविष्य की योजनाएं
सौ फीसद एलइडी वाला शहर होगा जमशेदपुर, ये रही भविष्य की योजनाएं

जमशेदपुर, जेएनएन। अगले कुछ साल में शत फीसद एलइडी वाला होगा जमशेदपुर शहर। इस दिशा में काम चल रहा है और करीब 34 प्रतिशत स्ट्रीट लाइट को एलइडी लाइट में बदला जा चुका है। टाटा स्टील के कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के चीफ सौरव राय ने एक्सएलआरआइ में सिग्मा की ओर से आयोजित सामाजिक उद्यमितका कॉन्क्लेव में भविष्य की योजनाएं साझा की। 

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उन्होंने शहर के इतिहास से शुरू करते हुए कहा कि 1902 के विजन को 1907 में स्थापित किया गया। 1919 में इसे जमशेदपुर के रूप में पहचान मिली जिसका यह वर्ष (2019) शताब्दी वर्ष है। शहर के बीचोबीच स्थापित स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता दो मीट्रिक टन से 10 मीट्रिक टन होने जा रही है। 

औद्योगिक शहरों में सर्वाधिक 37.5 फीसद ग्रीन कवर वाला शहर

टाटा स्टील सीएसआर चीफ सौरव राय ने कहा कि इस शहर आबादी  करीब 15 लाख हो चुकी है। शहर का ग्रीन कवर 535 एकड़ में फैला है। प्रतिशत के हिसाब से यह 37.5 प्रतिशत है जो देश के औद्योगिक शहरों में सर्वाधिक है।

शत-प्रतिशत सीवेज की हो रही रिसाइक्लिंग, प्लास्टिक वेस्ट से सड़कें

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए काफी काम किया जा रहा है। शहर में उत्सर्जित होनेवाले सीवेज को शत-प्रतिशत रिसाइक्लिंग किया जाता है। वहीं प्लास्टिक वेस्ट से कई सड़कों का निर्माण किया गया है।

बेसहारा 280 बच्चों को शिक्षा से जोड़ा

सौरव राय ने कहा कि जिले के शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 379 बेसहारा बच्चे ऐसे पाए गए थे जो आउट ऑफ स्कूल थे। 280 बच्चों को शहर में चार स्थानों पर संचालित मस्ती की पाठशाला से जोड़ा गया और ब्रिज कोर्स कराया गया ताकि वे शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकें। कुल 42 बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ते हुए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में दाखिला कराया गया।

200 बंदियों को कौशल विकास प्रशिक्षण

जेल में बंद 200 कैदियों को सीएसआर के तहत कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे कुशल होकर स्वरोजगार करते हुए कमाई भी कर सकें।


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