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संस्कारों से अवगत हुए माउंट व्यू स्कूल के बच्चे

जासं, जमशेदपुर : मानगो स्थित माउंट व्यू स्कूल में दैनिक जागरण द्वारा संस्कारशाला कार्यक्रम का अ

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 09:03 PM (IST)
संस्कारों से अवगत हुए माउंट व्यू स्कूल के बच्चे
संस्कारों से अवगत हुए माउंट व्यू स्कूल के बच्चे

जासं, जमशेदपुर : मानगो स्थित माउंट व्यू स्कूल में दैनिक जागरण द्वारा संस्कारशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्कूल परिसर के बच्चों को संस्कारशाला का मतलब बताते हुए अच्छाई की समझ के मायने बताये गए। स्कूल की प्राचार्य अल्पना मित्रा ने भी बच्चों को संस्कार का अर्थ समझाते हुए कहा जेा भी कार्य एक अच्छे सोच के साथ किया जाये वह संस्कार का स्वरूप है, क्योंकि अच्छाई का मतलब ही होता है अच्छा आचरण। अच्छा आचरण ही संस्कार के मायने को परिपूर्ण करते हैं। साथ ही बच्चों से संस्कारशाला के विषय में बात की गई। बच्चों ने बताया कि यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके लिए हम हमेशा तैयार रहते हैं। यह दैनिक जागरण का सबसे अच्छा कार्यक्रम है। इसमें हम भाग लेने के लिए तैयार रहते हैं। इसी के साथ ही दैनिक जागरण द्वारा विद्यालय को संस्कारशाला कॉमिक बुक भी दी गई। कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्कूल की प्राचार्य अल्पना मित्रा के साथ-साथ शिक्षक-शिक्षिकाओं में दीपनिता चक्रवर्ती, के विजया लक्ष्मी, अश्रि्वनी कुमार का योगदान सराहनीय रहा।

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-संस्कार सभी बच्चों में होते है। बस उन संस्कारों को कायम रखने की जरूरत होती है। जन्म के साथ से लेकर 10 वर्ष तक बच्चा जो देखता है और जो दूसरों से सुनता है उसकी को अपनाने की कोशिश करता है। उस समय बच्चे के अभिभावकों को यह ध्यान देने की जरूरत है।

- अल्पना मित्रा, प्राचार्या, माउंट व्यू स्कूल, मानगो।

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-अभिभावक अपने घर में बच्चों के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग तो कतई न करें, नहीं तो वह बच्चा गंदे शब्द बहुत जल्दी पकड़ लेता है। सभी अभिभावक अपने बच्चे को संस्कारी बनाए, ताकि वह दसरों की इज्जत करें।

- दीपनिता चक्रवर्ती

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-कई बार अयोग्य व्यक्ति को ऐसे अवसर जाने-अनजाने में ही मिल जाते है कि वह सम्मानित होकर यश हासिल कर लेता है। यह संस्कार से ही संभव हो पाता है। दैनिक जागरण की संस्कारशाला बच्चों में संस्कार का बीज बोने में मील का पत्थर साबित होगी।

- के विजया लक्ष्मी

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-किसी भी समाज, परिवार और स्कूल की पहचान बच्चों के संस्कार से ही दिखाई पड़ता है। बच्चों के संस्कारी रहने पर ही वे अपनों से बड़ों का सम्मान करते है।

- अश्रि्वनी कुमार


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