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Cable Company Jamshedpur : सुप्रीम कोर्ट में हुई इंकैब इंडस्ट्रीज के परिसमापक शशि अग्रवाल के मामले में सुनवाई, जाने कोर्ट ने क्या कहा

Cable Company Jamshedpur इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्व परिसमापक शशि अग्रवाल के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच ने चार जून 2021 को शशि अग्रवाल को हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 03:41 PM (IST)
Cable Company Jamshedpur :  सुप्रीम कोर्ट में हुई इंकैब इंडस्ट्रीज के परिसमापक शशि अग्रवाल के मामले में सुनवाई, जाने कोर्ट ने क्या कहा
झारखंड के जमशेदपुर स्थित इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्व परिसमापक शशि अग्रवाल के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच ने चार जून 2021 को शशि अग्रवाल को हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इस आदेश को शशि अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील संख्या 2209-2210/2021 और कमला मिल्स द्वारा दायर अपील संख्या 2278-2279/2021 में चुनौती दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी की अदालत में सुनवाई हुई।

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इमानदारी से बनाई लेनदारों की कमेटी

शशि अग्रवाल के अधिवक्ता केवी विश्वनाथ ने खंडपीठ को बताया कि परिसमापक शशि अग्रवाल ने ईमानदारी से लेनदारों की कमेटी बनाई। कमला मिल्स लिमिटेड और फस्का इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को लेनदारों की कमेटी की पांचवीं बैठक में कहा कि वे संबधित पक्ष (रिलेटेड पार्टी) हैं इसलिए उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा। उन्होंने अदालत को आगे बताया कि जब न्याय निर्णायक पदाधिकारी, एनसीएलटी, कोलकाता ने रमेश घमंडीराम गोवानी के बारे में अपने 20 नवंबर 2019 के आदेश में यह व्यवस्था दी कि रमेश गोवानी दिल्ली उच्च न्यायालय के 29 अप्रैल 2013 के आदेश के अनुसार इंकैब कंपनी के निदेशक नहीं थे तब जाकर शशि अग्रवाल ने कमला मिल्स और फस्का इन्वेस्टमेंट को लेनदारों की कमेटी में वोटिंग का अधिकार दिया।

कोर्ट ने लगाई सवालों की झड़ी

सभी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने शशि अग्रवाल के अधिवक्ता के समक्ष सवालों की झड़ी लगा दी। कोर्ट ने कहा कि रमेश घमंडीराम गोवानी इंकैब कंपनी के लगातार पूरे नियंत्रण में रहे हैं और कमला मिल्स व फस्का इन्वेस्टमेंट उनकी कंपनी है। तब कमला मिल्स और फस्का इन्वेस्टमेंट का लेनदारों की कमेटी में वोटिंग का अधिकार कैसे हो सकता था। कोर्ट ने दूसरा सवाल किया कि क्या शशि अग्रवाल ने न्याय निर्णायक पदाधिकारी, एनसीएलटी, कोलकाता को यह बताया कि कमला मिल्स, फस्का इंवेस्टमेंट और पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियां मूल लेनदार नहीं हैं और इन्हें बैंकों ने अपना ऋणों (एनपीए) को सौंपा है। शशि अग्रवाल के अधिवक्ता इसका भी जवाब नहीं दे सके तो अधिवक्ता ने अदालत से उनकी पूरी जिरह सुनने की विनती की। तब कोर्ट ने कहा कि उनकी पूरी बात सुनेंगे लेकिन तब वे शशि अग्रवाल के खिलाफ सारे आरोपों की जांच खुद करेंगे और अगर वे सारे आरोप सही पाए गये तो वे खुद शशि अग्रवाल के खिलाफ कारवाई का आदेश देंगे। वे इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड के फैसले का इंतजार नहीं करेंगे। इसलिए शशि अग्रवाल के अधिवक्ता कोर्ट को बताए कि वे अपने मुवक्किल शशि अग्रवाल से पूछ लें कि क्या वे मामले की मेरिट के आधार पर पूरी बहस करना चाहेंगे? कोर्ट ने यही बात कमला मिल्स के अधिवक्ता से भी पूछा और मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर 2021 को तय की।

सुनवाई के दौरान ये रहे उपस्थित

जमशेदपुर के कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, अवनीश सिंहा, संजीव महंती, पीएस चंद्रलेखा और आकाश शर्मा ने हिस्सा लिया। कोलकाता के कर्मचारियों के तरफ से ऋषभ बनर्जी जबकि शशि अग्रवाल की तरफ से वरीय अधिवक्ता केवी विश्वनाथन और कमला मिल्स की तरफ से अधिवक्ता रूद्रेश्वर सिंह ने कार्यवाही में हिस्सा लिया।


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