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बैठे-बैठे नींद व आवाज निकलना खतरे का संकेत : डॉ. रंजीत

बैठे-बैठे नींद आना मुंह-नाक से आवाज निकलना खतरे का संकेत है। कई बार देखा गया है कि लोग कार्यालय में बैठे हैं कुछ लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं इसी क्रम में सो जाते हैं। यह भविष्य में हृदय रोग का संकेत है। यह कहना था कि डॉ. रंजीत कुमार सिंह का।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 09:00 AM (IST)
बैठे-बैठे नींद व आवाज निकलना खतरे का संकेत : डॉ. रंजीत
बैठे-बैठे नींद व आवाज निकलना खतरे का संकेत : डॉ. रंजीत

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बैठे-बैठे नींद आना, मुंह-नाक से आवाज निकलना खतरे का संकेत है। कई बार देखा गया है कि लोग कार्यालय में बैठे हैं, कुछ लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं, इसी क्रम में सो जाते हैं। यह भविष्य में हृदय रोग का संकेत है। यह कहना था कि डॉ. रंजीत कुमार सिंह का।

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डॉ. सिंह अल्कजेंड्रा डिस्ट्रिक्ट अस्पताल, ब्रिटेन में कार्यरत हैं। वह जमशेदपुर स्थित महात्मा गाधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसीन विभाग में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के पहले दिन डाक्टरों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि पूरी नींद नहीं लेना ही इस बीमारी का जड़ है। उन्होंने इसका इलाज का नए तरीके के बारे में बताया। उन्होंने चिकित्सकों को बताया कि इस तरह के मरीज को अस्पताल के एक कमरे में आराम से सोने दिया जाता है। सोने के क्रम में रात भर चिकित्सकों की टीम संबंधित मरीज का निगरानी करते हैं। जिसमें मरीज कितने बजे सोया, कब गहरी नींद आई, कब सांस लेने में परेशानी हुई। गहन जांच करने के बाद मरीज का सही इलाज हो पाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों की संख्या पूरी दुनिया में बढ़ रही है। यदि समय रहते इलाज नहीं कराया तो यह आगे चलकर हार्ड अटैक का रूप धारण कर लेता है। ऐसे व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और ब्रेन हेम्ब्रेज का भी कारण बन जाता है। डॉ. रंजीत ने बताया कि दुनिया में किस प्रकार छाती की बीमारी बढ़ रही है। उन्होंने इस बीमारी की जांच, कारण व निवारण के आधुनिक तरीके की जानकारी दी गयी। सेमिनार में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया। सेमिनार में डा. निर्मल कुमार, डा. पी सरकार, डा. विक्रम, डा. मंगेत आदि उपस्थित थे।


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