संतान के दीर्घायु को महिलाओं ने रखा हल षष्ठी व्रत
छत्तीसगढ़ी समाज की महिलाओं द्वारा अपने संतान के स्वास्थ्य एवं दीर्घायु के
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : छत्तीसगढ़ी समाज की महिलाओं द्वारा अपने संतान के स्वास्थ्य एवं दीर्घायु के लिए व निस्संतान महिला संतान प्राप्ति के लिए हल षष्ठी (खबर छठ) में निर्जला व्रत शनिवार को रखा। हल षष्ठी की पूजा संयुक्त रूप से जगह जगह महिलाओं द्वारा की गई। वहीं कई संस्थाओं ने भी सार्वजनिक रूप से हल षष्ठी की पूजा का आयोजन किया। खासकर सोनारी, भुइयांडीह, गाढ़ाबासा, बागुनगर, जुगसलाई आदि स्थानों पर हल षष्ठी की पूजा की गई।
श्री श्री सार्वजनिक हल षष्ठी खमर छठ पूजा समिति द्वारा सिदगोड़ा सिनेमा मैदान में हल षष्ठी पूजा का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रुप में रुकमणि देवी और विशिष्ठ अतिथि के रुप में बेंदु बाई ने दीप प्रज्जवलित कर पूजा की शुरुआत की। पूजा के दौरान सैकड़ों महिलाएं इस पूजा के लिए वहां पहुंची थी। बारिश को देखते हुए यहां पंडाल बनाया गया था और मैदान में ही तालाब बनाकर तलाब की दोनों ओर महिलाएं बैठी थी और पूजा अर्चना शुरू हुई।
ऐसे की गई पूजा
शनिवार की सुबह महिलाओं ने महुआ पेड़ की डाली का दातून करने के बाद स्नान कर व्रत धारण किया। दोपहर के बाद घर के आँगन में, मंदिर-देवालय या गाँव के चौपाल आदि में कृत्रिम तालाब (सगरी) बनाकर, उसमें जल भरा और तालाब के पानी को बेर, पलाश, गूलर आदि पेड़ों की टहनियों तथा काशी के फूल को लगाकर सजाया। गौरी-गणेश की मूर्ति, हलषष्ठी देवी की मूर्ति, भैंस के घी से सिंदूर में मूर्ति बनाकर उनकी पूजा किया गया। पूजा के दौरान साड़ी व सुहाग की सामग्री भी चढ़ाया गया। पूजा के दौरान हलषष्ठी माता की छह कथाओं को पंडित ने व्रतधारी महिलाओं को सुनाया।
पूजा करने के बाद व्रतधारी महिलाएं अपने अपने घर चली गई और शाम को पूजा करने के बाद बिना हल चले हुए चावल व छह प्रकार की सब्जियों को मिक्स कर खिचड़ी व्रतधारी महिलाओं ने बनाया और उस खिचड़ी में भैंस के दूध का बना हुआ दही मिलकर खाया और अपना व्रत तोड़ा।