जीएसटी में 37 करोड़ के फर्जीवाड़ा के बाद देश भर में अलर्ट
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में 37 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा कर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में 37 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले अंकित शर्मा के मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उसने जिस तरह से पूरे कारनामे को अंजाम दिया, उससे विभाग के आला अधिकारी भी हैरान हैं। वैसे झारखंड राज्य कर विभाग ने ना केवल अंकित शर्मा का जीएसटी नंबर ब्लॉक कर दिया है, बल्कि देश भर में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
विभाग के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) संजय कुमार प्रसाद बताते हैं कि अंकित शर्मा कौन है, यह अब तक रहस्य बना हुआ है। जो भी है, उसने बड़ी चालाकी और योजनाबद्ध तरीके से सारा खेल किया, यह तय है। उसने फर्जी पते से ना केवल आधार कार्ड बनाया, बल्कि इसके आधार पर ही पैन कार्ड बनाया। इसने बिना इंट्रोड्यूसर के ही बैंक ऑफ इंडिया की टेल्को टाउन शाखा में खाता भी खोल लिया। इस खाते से उसने करोड़ों रुपये का कारोबार किया। अंकित शर्मा ने श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज के नाम से जो भी इन्वाइस जारी किए, उसमें ज्यादातर लोहे के सरिया, चैनल, एंगल, तार से लेकर स्क्रैप तक शामिल हैं। उसने झारखंड के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व पंजाब तक कारोबार किया। खास की बात है कि इसमें सिर्फ इन्वायस जारी हुआ, बैंक के माध्यम से भुगतान हुआ, लेकिन वास्तव में माल की आवाजाही नहीं हुई। इससे माल बेचने वाले ने सिर्फ बिल जेनरेट किया, सरकार को टैक्स का भुगतान नहीं किया। इसके एवज में खरीदार ने सरकार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा ठोक दिया। नियम के मुताबिक राज्य सरकार को खरीदार द्वारा दाखिल किए गए फार्म 2-ए के एवज में इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान करना है, लेकिन इस मामले में सभी भुगतान को रोक दिया गया है, क्योंकि विक्रेता ही फर्जी निकल गया। इस हिसाब से श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज के खरीदारों का ही सिर्फ 37 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा सरकार पर हो गया है। राज्य सरकार को इसके कारोबार से कर के मद में जो राजस्व मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला, उलटे देनदारी खड़ी हो गई।
----------
सॉफ्टवेयर की खामियों का किया दुरुपयोग
राज्य कर विभाग, जमशेदपुर प्रमंडल के संयुक्त आयुक्त संजय प्रसाद बताते हैं कि जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू हुआ था। शुरुआत में जीएसटी का सॉफ्टवेयर पूरी तरह व्यवस्थित नहीं हुआ था, इसका दुरुपयोग श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज ने किया। उसका जो मामला सामने आया है, वह जुलाई से नवंबर 2017 के बीच का है। इस दौरान ई-वे बिल भी लागू नहीं हुआ था। चेकपोस्ट भी बंद कर दिए गए, जिससे कहीं चेकिंग नहीं हो सकी। वैसे भी राज्य सरकार के जीएसटी विभाग को आज तक यह सुविधा नहीं मिली है कि वह ट्रांजेक्शन देख सके। जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भी यह प्रावधान था कि यदि तीन दिन के अंदर विभाग ने आवेदन पर आपत्ति नहीं लगाई तो उसके बाद वह ऑटो एप्रूव हो जाता है। इसका लाभ भी उसने उठाया।
-------------
पांच-सात लोगों पर शक
झारखंड राज्य कर विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल में करीब 25,000 व्यवसायी जीएसटी के तहत निबंधित हैं। विभाग का मानना है कि इतने लोगों में महज पांच-सात लोग ही सरकार द्वारा दी गई सुविधा का दुरुपयोग करते हैं। इस मामले में भी हमें पांच-सात लोग पर शक है, जिनकी गहन छानबीन की जा रही है। बहुत जल्द अंकित शर्मा पकड़ में आ जाएगा। विभाग का मानना है कि इस खेल में अकेला नहीं है, कई लोग शामिल हैं।
---------
टैक्स चोरी कम, दूसरे फायदे ज्यादा
अंकित शर्मा के मामले को लेकर कर विभाग से जुड़े लोगों में चर्चा का बाजार गर्म है। कर अधिवक्ता मानव केडिया बताते हैं कि फॉल्स ट्रांजेक्शन करना, इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेना और टैक्स चोरी, छोटी बात है। इस तरह का फ्रॉड करने वाले फॉल्स ट्रांजेक्शन का कई गुणा लाभ दूसरे तरह से उठाते हैं। इसके माध्यम से वे बैंकों में अपने फर्म की साख बढ़ाते हैं, जिसके आधार पर बड़े कर्ज लेते हैं। बैंक ट्रांजेक्शन दिखाकर बड़े-बड़े कारोबारियों को अपने प्रभाव में लेते हैं और उधार में कई गुणा माल ले लेते हैं।