शिक्षक झारखंड के, वेतन दे रही ओडिशा सरकार, जानिए क्या है वजह
झारखंड के करीब 300 शिक्षकों को ओडिशा सरकार वेतन दे रही है। ये शिक्षक कोल्हान के 40 स्कूलों में ओड़िया पढ़ा रहे हैं।
जमशेदपुर [वीरेंद्र ओझा]। पूरे देश में शायद यह पहला उदाहरण होगा, जिसमें एक राज्य सरकार दूसरे राज्य के शिक्षकों को वेतन दे रही है। ऐसा झारखंड में हो रहा है, जहां के करीब 300 शिक्षकों को ओडिशा सरकार वेतन दे रही है। ये शिक्षक कोल्हान के 40 स्कूलों में ओड़िया पढ़ा रहे हैं।
ऐसा भी नहीं है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति ओडिशा सरकार ने की है। इसके बावजूद सिर्फ ओड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए वहां की सरकार राशि खर्च कर रही है। यही नहीं, ओडिशा सरकार ओड़िया की पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध कराती है। ऐसा करीब आठ साल से हो रहा है।
उत्कल सम्मेलनी ने की थी पहल
इसकी पहल उत्कल सम्मेलनी नामक संस्था ने की थी, जिससे झारखंड के ओड़ियाभाषी अपनी सभ्यता-संस्कृति को बचाकर रख सकें। सम्मेलनी के केंद्रीय उपसभापति व पूर्वी सिंहभूम के सभापति रवींद्रनाथ सत्पथी बताते हैं कि एक अप्रैल 1936 को ओडिशा राज्य का गठन हुआ था। उस वक्त भी मौजूदा पूर्वी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां जिले के अधिकांश हिस्से को बिहार में शामिल करने का विरोध हुआ था। सरायकेला में तो लंबे समय तक आंदोलन चला, लेकिन यह इलाका पहले बिहार और अब झारखंड में ही रह गया।
प्रतिमाह तीन हजार रुपये मिलता मानदेय
करीब 15 वर्ष पहले तक इन इलाकों में काफी ओड़िया स्कूल थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां शिक्षकों की कमी होती चली गई। पाठ्य पुस्तकें भी मिलनी बंद हो गईं। ऐसे में सम्मेलनी ने झारखंड और ओडिशा सरकार से मांग रखी कि यदि राज्य सरकार मानदेय भी दे दे, तो सम्मेलनी शिक्षक की व्यवस्था कर सकता है। इस बात को ओडिशा सरकार के शिक्षा विभाग ने मान लिया। वह इन शिक्षकों को प्रतिमाह तीन हजार रुपये मानदेय देता है, जो शिक्षकों के बैंक खाते में भेजा जाता है। कोल्हान में करीब 2000 छात्र ओड़िया पढ़ रहे हैं। फिलहाल इन्हें पाठ्यपुस्तक की समस्या भी आ रही है।
द्वितीय राजभाषा के बाद भी नहीं बदली स्थिति
झारखंड सरकार ने वर्ष 2011 में ओड़िया को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया, लेकिन इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली। सत्पथी बताते हैं कि उनकी लगातार मांग के बावजूद राज्य में ओड़िया एकेडमी का गठन नहीं हुआ। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की पहल पर कोल्हान विश्वविद्यालय में पीजी की पढ़ाई शुरू हुई, लेकिन शिक्षकों की नितांत कमी है। सरकारी स्कूलों में झारखंड सरकार ने शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की है, लेकिन नगण्य है। कई स्कूलों में तो गैर ओड़ियाभाषी शिक्षकों को नियुक्त कर दिया गया है। इन स्कूलों में भी सम्मेलनी द्वारा नियुक्त शिक्षक पढ़ा रहे हैं।