एक सरकारी फरमान ने डुबो दिए खजाने के 111 करोड़ रुपये
खुद शराब बेचने के एक सरकारी फरमान ने झारखंड के खजाने के 111 करोड़ रुपये डुबा दिए। राज्य में लंबे समय से प्राइवेट दुकानों से शराब की बिक्री हो रही थी।
जमशेदपुर, विश्वजीत भट्ट। खुद शराब बेचने के एक सरकारी फरमान ने झारखंड के खजाने के 111 करोड़ रुपये डुबा दिए। राज्य में लंबे समय से प्राइवेट दुकानों से शराब की बिक्री हो रही थी। पिछले साल सरकार ने खुद शराब बेचने का निर्णय लिया। एक साल शराब बेची भी, लेकिन 111 करोड़ रुपये जब डूब गए तो सरकार की आंख खुली, अब शराब को फिर से निजी हाथों में सौंप दिया गया है। चार दिन की अफरातफरी के बाद अब झारखंड भर में शराब की निजी दुकानें खुल गईं हैं और शराब बिक भी रही हैं।
वित्तीय वर्ष 2016-17 में जब शराब की दुकानें निजी हाथों में थीं, तब पूरे झारखंड भर में 1432 शराब की दुकानें साल भर चलीं। इनसे सरकार के खजाने में कुल 957 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में आए। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जब सरकार ने शराब की बिक्री अपने हाथों में ली तब पूरे राज्य भर में सरकार मात्र 660 दुकानें ही खोल पाई। इस साल राजस्व भी केवल 846 करोड़ रुपये खजाने में आए। इस तरह से सरकारी खजाने को 111 करोड़ रुपये की भारी भरकम चपत लगी। चुनाव आयोग से अनुमति के बाद भी एक अप्रैल से लेकर लगभग पांच अप्रैल तक पूरे सूबे में शराब को लेकर अफरातफरी का माहौल रहा। एक-एक कर राज्य में शराब की दुकानें चार-पांच दिन बाद ही खुल पाईं। अब तक पूरे राज्य में सरकार ने शराब की 1300 दुकानें आवंटित की हैं, जबकि सरकार ने कुल 1600 दुकानें आवंटित करने का लक्ष्य रखा है।
शराब बेचने का निर्णय सर्वथा गलत : सरयू राय
खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि सरकार द्वारा शराब बेचने का निर्णय सर्वथा गलत था। मैंने इसका विरोध किया था। घाटा-फायदा अलग पक्ष है। सवाल ये था कि सरकार को शराब बेचना चाहिए कि नहीं, क्योंकि जो सरकारी विभाग है उसका नाम उत्पाद व मद्य निषेध है। इस तरह से भी सरकार का शराब बेचना संविधान के विरुद्ध है।