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गणेश ठाकुर हांसदा को साहित्य अकादमी पुरस्कार

भादो माझी, जमशेदपुर : साहित्य जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, यानी साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त क

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 02:46 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 02:46 AM (IST)
गणेश ठाकुर हांसदा को साहित्य अकादमी पुरस्कार

भादो माझी, जमशेदपुर : साहित्य जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, यानी साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वालों में जमशेदपुर के गणेश ठाकुर हांसदा का नाम भी शामिल हो गया है। हांसदा को साहित्य अकादमी की ओर से साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार अलग-अलग 24 भाषाओं की श्रेणी में दिया जाता है। गणेश ठाकुर हांसदा को पांचु गोपाल भादुड़ी के बांगला में लिखे गए उपन्यास 'भोगनाडीहिर माठे' का संताली में अनुवाद करने के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है। संताली में गणेश ठाकुर हांसदा द्वारा अनुवाद किए गए इस उपन्यास का नाम 'भोगनाडीह रेयाक् डही रे' है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में रवींद्र भवन नई दिल्ली में 21 फरवरी को इस पुरस्कार की घोषणा की गई। इनमें वैसे पुस्तकों के रचनाकारों को पुरस्कृत किया गया है जिनकी अनुवाद की गई पुस्तकें एक जनवरी 2010 से 31 दिसंबर 2014 के बीच प्रकाशित हुई हैं।

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जमशेदपुर में एलआइसी इंडिया में काम करने वाले गणेश ठाकुर हांसदा साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कारों की घोषणा के बाद खासे खुश हैं। संताली साहित्य से लेकर संताली सिनेमा तक को समृद्ध करने के अभियान में अपने योगदान के बलबूते सक्रिय गणेश हांसदा हाल के दिनों में संताली वीडियो एलबम 'मार्शाल डाहार ताड़ाम होर रे' की रिकार्डिग में जुटे हुए थे। इसके अलावा वे वीडियो एलबम माला मुदाम नामक संताली वीडियो एलबम से भी जुड़े रहे। पुस्तक व फिल्म के जरिए वे संताली भाषा व साहित्य को नई ऊंचाई देना चाहते हैं।

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'आंचार' से रखा साहित्य जगत में कदम

1969 में जन्में गणेश ठाकुर हांसदा ने संताली साहित्य जगत में आंचार नामक रचना से कदम रखा। इसके बाद ठाकुर ने मुड़कर पीछे नहीं देखा। गणेश हांसदा ने इसके बाद कई रचनाएं की। उनकी एक रचना जीवी जाला भी है। एसपीजी मिशन स्कूल चाईबासा से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले रांची विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे एलआइसी इंडिया में नौकरी करने लगे। नौकरी के साथ-साथ वे संताली साहित्य से हमेशा से समन्वय बनाकर चले और लिखने के अपने शौक से जुड़े रहे। इसी शौक में उन्होंने कई किताबें लिख डाली।

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संताल हूल पर आधारित है 'भोगनाडीह रेयाक् डही रे'

गणेश हांसदा द्वारा लिखे गए 'भोगनाडीह रेयाक् डही रे' उपन्यास पूर्ण रूप से 1855-57 में हुए संताल हूल पर केंद्रित है। पांचु गोपाल भादुड़ी द्वारा बांगला में लिखे गए इस उपन्यास के संताल अनुवाद में संताल हूल का गहन चित्रण किया गया है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से संताल समाज में इस उपन्यास का खासा महत्व है। संताल हूल के नायकों के बाबत भी इसमें रोचक जानकारियां हैं तो वहीं भोगनाडीह में हुए संताल हूल के हर सूक्ष्म जानकारी को समाहित किया गया है।

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गोविंद चंद्र माझी को अकादमी अवार्ड से नवाजा

पूर्व में घोषित साहित्य अकादमी अवार्ड में पुरस्कृत किए गए ओडिशा के गोविंद चंद्र माझी को 22 फरवरी को साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कार प्रदान किया गया। पिछले वर्ष उन्होंने संताली कविता संग्रह 'नालहा' की रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी। माझी ओडिशा के बहलदा (मयूरभंज) निवासी हैं।


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