मेहनताने में कम चावल लेने से इनकार, पंचायत ने बंद किया परिवार का हुक्का-पानी
गांव की पंचायत ने अजीबोगरीब फैसला सुनाया। दाई मां का काम करने के एवज में 14 की जगह सात किलो चावल लेने से इंकार करने पर चार भाइयों काे गांव से बहिष्कृत कर दिया गया।
पोटका, पूर्वी सिंहभूम, [एम. अखलाक]। पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के नारदा गांव में मुखी समाज के चार भाइयों को बहिष्कृत कर दिया गया है। जुर्म बस इतना है कि दाई मां का काम करने के एवज में इनके घर की महिलाओं ने 14 की जगह सात किलो चावल लेने से इनकार कर दिया था।
नारदा गांव में पांच समुदाय के लोग रहते हैं। इनमें भूमिज, संताल, पात्रो, लोहार व मुखी समुदाय शामिल हैं। मुखी समुदाय के घर की महिलाएं दाई मां का काम करती हैं। इन्हें बतौर मेहनताना संताल समुदाय 12 किलो चावल दिया करता था। इस बीच भूमिज समुदाय ने मेहनताना घटा कर सात किलो कर दिया। दाई मां ने इसे लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद गांव के प्रधान हीरो सिंह सरदार ने पंचायत कर सभी समुदाय से इनका बहिष्कार करने का आदेश सुना दिया।
पीड़ितों ने एसपी कार्यालय को भी दे रखा है आवेदन
पीड़ित सानो मुखी, सोमवारी मुखी, शंभु मुखी और शंकर मुखी के अनुसार, घटना मार्च 2018 की है। उन्होंने मानवाधिकार आयोग, राज्यपाल, एसडीओ और एसपी कार्यालय को आवेदन देकर कार्रवाई व न्याय की गुहार लगाई है। यह आवेदन पांच फरवरी को एसडीओ कार्यालय को दिया गया। जब कार्रवाई नहीं हुई तो पुन: 13 फरवरी को सभी पीड़ित एसपी दफ्तर पहुंचे। एसपी से मुलाकात नहीं होने पर आवेदन देकर गांव लौट गए। यह पूछने पर कि स्थानीय थाने में उन्होंने शिकायत क्यों नहीं की? पीड़ितों ने कहा कि प्रधान का थाने से गहरा रिश्ता है।
पीड़ितों पर इस तरह के लगाए गए हैं प्रतिबंध
- पीने का पानी रोक दिया गया है। नल का कनेक्शन काट दिया गया है।
- नारदा गांव के किसी दुकान से किसी चीज की खरीदारी नहीं कर सकते हैं।
- पीड़ित अपने गांव में किसी आदमी से बात नहीं कर सकते हैं।
- गांव में होने वाले किसी तरह के उत्सव और पूजा में भाग नहीं ले सकते।
- सरकारी विकास योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
- ग्राम सभा की होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं।
रविवार को गांव में होगी दोबारा बैठक
गांव से बहिष्कृत सानो मुखी और सोमवारी मुखी का पति नीरेन मुखी।
उधर, आरोपित हीरो सिंह सरदार ने दैनिक जागरण से कहा कि मुखी समाज से केवल काम नहीं लिया जा रहा है। बाकी आरोप बेबुनियाद हैं। जब ग्रामीण बहिष्कार का निर्णय ले रहे थे, उस वक्त सानो मुखी व पारंपरिक प्रधान बुद्धेश्वर सरदार भी वहां मौजूद थे। रविवार को पुन: गांव में बैठक बुलाई गई है। इसमें लगाए गए प्रतिबंध पर चर्चा होगी। उन्होंने यह आरोप लगाया कि बुद्धेश्वर सरदार गांव को तोड़ रहे हैं। वह प्रधान पद के लिए गुटबाजी कर रहे हैं। उधर, बुद्धेश्वर सरदार ने कहा कि हीरो सिंह सरदार खुद को ग्राम प्रधान घोषित कर ग्राम व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं। मामले की जांच होनी चाहिए।
इनकी सुनें
हीरो सिंह सरदार स्वघोषित ग्राम प्रधान हैं। उन्होंने अपनी दबंग छवि के बल पर ग्राम बहिष्कार किया है। यह अन्याय है। एसपी से आग्रह है कि पीडि़तों को न्याय दिलाएं।
- बुद्धेश्वर सरदार, पारंपरिक ग्राम प्रधान, नारदा गांव
क्रिया-कर्म में मुखी लोग बुलाने पर नहीं आते हैं। गांव का शोषण करना चाहते हैं। गांव में 250 लोग हैं। इसलिए सबने मिल कर बहिष्कार किया है। अगले रविवार को इस संबंध में पुन: बैठक होने वाली है।
- हीरो सिंह सरदार, ग्राम प्रधान, नारदा गांव
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