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भाजपा महानगर के पूर्व अध्यक्ष विनोद सिंह का कोर्ट में आत्मसमर्पण, भेजे गए जेल Jamshedpur News

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महानगर अध्‍यक्ष विनोद सिंह के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला 2002 से चल रहा लंबित।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 04:38 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:51 AM (IST)
भाजपा महानगर के पूर्व अध्यक्ष विनोद सिंह का कोर्ट में आत्मसमर्पण, भेजे गए जेल Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महानगर अध्‍यक्ष विनोद सिंह गुरुवार को रेलवे न्यायालय के दंडाधिकारी बीसी चटर्जी के न्यायालय में उपस्थित हुए। पहले से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के कारण न्यायालय ने साकची कुम्हार पाड़ा निवासी विनोद सिंह को न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेजने का आदेश दिया। शुक्रवार को चक्रधरपुर रेलवे न्यायालय में जमानत को उनके अधिवक्ता रतन कुमार महतो याचिका दाखिल करेंगे।

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2002 में टाटानगर रेलवे थाना में महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अभय सिंह, निर्भय सिंह, पूर्व उपाध्यक्ष विनोद सिंह, बागबेड़ा भाजपा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष समेत कई के खिलाफ रेलवे ट्रैक जाम करने के कारण सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और एससी-एसपी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप पत्र में सरकारी कार्य में बाधा का ही मामला सत्यापित किया गया था। बता दे कि इस मामले में विनोद सिंह को छोड़कर बाकी सभी आरोपित बरी किया जा चुके है।

अभय सिंह वर्तमान में झाविमो के प्रदेश सचिव है। विनोद सिंह ने कहा कि निजी व सांगठनिक कार्यों में व्यस्तता के कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाया था। गुरुवार को न्यायपालिका का सम्मान करते हुए आत्मसमर्पण किया, तो मुझे जेल भेजा जा रहा है। कहा कि कार्यकर्ताओं व पार्टी के सम्मान के लिए मैंने कई लड़ाइयां लड़ी हैं। एक बार पहले भी अंचलाधिकारी कार्यालय में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लड़ाई में मुझे 17 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। जनता के मुद्दों पर, और कार्यकर्ताओं के सम्मान की लड़ाई हम लड़ते रहे हैं, लड़ते रहेंगे।

यह था मामला

मामला 13 जनवरी 2002 का है। जमीन संबंधित विवाद में कांग्रेस नेता बलदेव सिंह ने बागबेड़ा निवासी भाजपा कार्यकर्ता कृष्णा उपाध्याय के खिलाफ रंगदारी का मुकदमा रेल थाना में दर्ज करवाया था। पुलिस ने कृष्णा उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया था। जानकारी पर अभय सिंह, विनोद सिंह समेत कई नेता रेल थाना पहुंचे थे। रिहाई को लेकर हंगामा किया था। सभी के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, एससी-एसी एक्ट की प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वहीं कृष्णा उपाध्याय के खिलाफ रंगदारी का दर्ज मामला जांच में झूठा पाया गया और तत्कालीन थाना प्रभारी पर भी कार्रवाई हुई थी।


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