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आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे किसान, ऐसे दुरुस्त होगी इकोनॉमी

किसानों के आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का मॉडल तैयार किया जा रहा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 16 Jul 2017 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jul 2017 04:55 PM (IST)
आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे किसान, ऐसे दुरुस्त होगी इकोनॉमी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। देश में किसानों की लगातार बिगड़ती हालत और कर्ज के बोझ तले दबे किसानों खुदकशी करने के मामले को बिजनेस मैनेजमेंट स्कूल जेवियर लेबर रिलेशंस इंस्टीट्यूट (एक्सएलआरआइ) ने गंभीरता से लेते हुए किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की ठान ली है। इसके लिए गांव-गांव का सर्वे कर संस्थान की ओर से कृषि मॉडल तैयार किया जा रहा है, ताकि एक ऐसा सूत्र तैयार किया जा सके, जिससे भारतीय किसानों की बिगड़ते आर्थिक हालात को सुधारते हुए स्थायी रूप से मजबूती दी जा सके।

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यह पहल एक्सएलआरआइ के सेंटर फॉर रूरल मैनेजमेंट (सीआरएम) की ओर से की जा रही है। सर्वे में जो प्रारंभिक समस्याएं सूचीबद्ध की जा रही हैं, उसे सीआरएम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. विश्व वल्लभ द्वारा 'फामर्स इन डिस्ट्रेस एंड रिसॉर्सेस अंडर स्ट्रेस : एक कंप्लिटली नेग्लेक्ट सब्जेक्ट इन इंडियन एग्रीकल्चर पॉलिसी ' नामक केस स्टडी में लिपिबद्ध किया जा रहा है।

डॉ. विश्व वल्लभ के मुताबिक एक्सएलआरआइ के सेंटर फॉर रूरल मैनेजमेंट की ओर से किसानों की आधारभूत जरूरतों व समस्याओं को समझने के लिए 2016-2017 में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार व झारखंड में किसानों के साथ कार्यशालाएं सह सर्वे किया गया। इसी के आधार पर भारतीय किसानों के आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का मॉडल तैयार किया जा रहा है।

सर्वे कर जुटाई जा रही किसानों की स्थिति

उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में किसानों की मौजूदा स्थिति संस्थान के छात्र स्वयं देख रहे हैं, किसानों से बात कर रहे व उन समस्याओं के समाधान की राह टटोल रहे हैं। इसमें पानी की समस्या, ग्राउंड वाटर लेबल की समस्या, किसानों की मृत्यु दर, किसानों के फसलों के पैदावार का घटता औसत, किसानों की संख्या में आ रही कमी, किसानों के शहर की ओर रुख करने की तादाद, किसानों के मजदूर में तब्दील होने की संख्या का आंकलन कर एक रिपोर्ट बनाई जा रही है।

इस रिपोर्ट के आधार पर ही एक्सएलआरआइ के सेंटर फॉर रूरल मैनेजमेंट में मॉडल बनाया जा रहा है। अभी तक जुटाई गई जानकारी में किसानों की मूल समस्या को कृषि नीति में उचित ध्यान न दिए जाने का तथ्य सामने आया है, हालांकि संस्थान ने इस बाबत स्पष्ट जानकारी फिलहाल देने में असमर्थता जताई है।

गांव में रहकर समस्याएं जानते हैं छात्र

एक्सएलआरआइ के छात्र गांवों के हालात जानने के लिए खुद गांवों में समय गुजारते हैं। इसके लिए एक्सलएलआरआइ में विलेज एक्सपोजर प्रोग्राम भी डिजाइन किया गया है। इस प्रोग्राम के तहत मैनेजमेंट के छात्र 15 दिन गांवों में जाकर गुजारते हैं। वहां के लोगों की जीवनशैली जानते हैं। ग्रामीण अर्थशास्त्र को समझते हैं और उनके निपटारे की कोशिश करते हैं।

ऐसे दुरुस्त होगी इकोनॉमी

-सेंटर फॉर रूरल मैनेजमेंट का फोकस एरिया- रूरल मैनेजमेंट नॉलेज को ग्रामीण परिवेश में स्थापित कर।

- ग्रामीण आधारभूत संरचना को रचनात्मक समृद्ध कर एवं ग्रामीण परिवेश में शैक्षणिक ज्ञान का स्तर बढ़ाकर।

-ग्रामीण क्षेत्रों के माइक्रोफाइनेंस सिस्टम को मजबूत कर व ग्रामीण जीवनशैली को सशक्त करने वाले प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की जरूरी जानकारी प्रदान कर।

-ग्रामीण सामाजिक संरचना को कृषि प्रबंधन व लीडरशिप की औपचारिक जानकारी प्रदान कर।

-ग्रामीण विकास की ढांचागत विकास में बाधक व्यवस्था की पहचान कर उस व्यवस्था की जगह प्रायोगिक व्यवस्था लागू कर।

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