डीएलएड को-ऑर्डिनेटर नियुक्ति में भी गड़बड़झाला
विभिन्न कॉलेजों में डीएलएड पाठ्यक्रम के लिए बनाये गए अध्ययन केंद्र में समन्वयकों की नियुक्ति में गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : विभिन्न कॉलेजों में डीएलएड पाठ्यक्रम के लिए बनाये गए अध्ययन केंद्र में को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति में कई गड़बड़ियां सामने आई है। इस मामले में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के निर्देश पर कोल्हान विश्वविद्यालय और जिला का शिक्षा विभाग अलग-अलग जांच कर रहा है। जाच में कई कॉलेजों में को-ऑडिनेटर बनाने के लिए प्रस्तुत किये गये दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं। जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के बीएड संकाय को डीएलएड का अध्ययन केंद्र बनाया गया था। पता चला है कि इन केंद्र में को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति गड़बड़ी की बात सामने आने पर अन्य कॉलेजों भी इसके जांच के दायरे में आ गये हैं। अध्ययन केंद्रों में शिक्षकों की उपस्थिति तथा प्रैक्टिकल के नंबर को लेकर प्रशिक्षणार्थियों से उगाही भी की गई। इस कारण कई प्रशिक्षणार्थी अपने संस्थान में काम भी करते रहे और अध्ययन केंद्र में उपस्थित भी रहे। मालूम हो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पहल पर अकादमिक विभाग, एनआईओएस द्वारा प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (डीएलएड) कार्यक्रम विकसित किया गया। इसमें बड़े पैमाने पर प्राइवेट स्कूलों से सेवा देने वाले अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया गया। इसमें कार्यरत शिक्षकों के मुकाबले से कहीं अधिक शिक्षकों ने प्रशिक्षण ले लिया। गड़बड़ियों का कारण यह बताया जा रहा है कि स्कूल संचालकों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा कि बिना विधिवत बीएड किए ही शिक्षकों को इस बात का लाइसेंस मिल जाएगा कि वे स्कूलों में पढ़ा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी शिक्षण संस्थान में अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं पढ़ाएंगे। उसके बाद बिना बीएड वाले शिक्षकों को हटाने की कवायद शुरू की गई। इसी बीच एक रास्ता यह निकला कि जो स्कूलों में पढ़ा रहे हैं और बीएड या समकक्ष नहीं हैं, वे एनआइओएस की ओर से संचालित डीएलएड पाठयक्रम पूरा कर प्रशिक्षित हो सकते हैं।