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आर्थिक संकट और असुविधा भी बेड़ियां भी नहीं रोक पाई इन टॉपरों का हौसला, जानिए कैसे हालात का सामना कर बने टॉपर

संत जेवियर गर्ल इंटर कालेज की शालू तिवारी ने 451 अंक प्राप्त किए हैं। यूपीएससी की तैयारी कर अफसर बनने की सपना देखने वाली शालू आर्थिक परेशानी को दरकिनार करते हुए सफल हुई है। कोई भी परेशानी इन्हें सफल होने से नहीं रोक पाई।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:10 AM (IST)
आर्थिक संकट और असुविधा भी बेड़ियां भी नहीं रोक पाई इन टॉपरों का हौसला, जानिए कैसे हालात का सामना कर बने टॉपर
आर्थिक संकट और असुविधा भी बेड़ियां भी नहीं रोक पाई इन टॉपरों का हौसला।

चाईबासा, जासं। बस एजेंट की बिटिया ने अपनी मेहनत और लगन से विपरित परिस्थिति में वाणिज्य संकाय में जिला में द्वितीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय के साथ परिवार का नाम रौशन किया है। संत जेवियर गर्ल इंटर कालेज की शालू तिवारी ने 451 अंक प्राप्त किए हैं। यूपीएससी की तैयारी कर अफसर बनने की सपना देखने वाली शालू आर्थिक परेशानी को दरकिनार करते हुए सफल हुई है।

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आर्थिक संकट भी नहीं रोक पाई हौसला

इस संबंध में जानकारी देते हुए शालू तिवारी ने कहा कि पिता प्रह्लाद तिवारी चाईबासा बस स्टेशन में एजेंट के रुप में कार्य करते हैं। घर में आर्थिक परेशानी के बीच पढ़ाई करना बहुत कठिन था। विद्यालय व ट्यूशन के शिक्षक राजीव सर ने हर प्रकार से मेरी मदद की। स्कूल में सभी ने बहुत अच्छे तरीके से पढ़ाया जिसका फायदा हुआ। वहीं ट्यूशन में राजीव सर ने दो साल से मेरा ट्यूशन फीस भी नहीं लिया। वहीं पढ़ाई के लिए किताब भी मुफ्त में दिये। परिवार में आर्थिक परेशानी होने के कारण दो जगह सुबह और शाम बच्चों को खुद ट्यूशन पढ़ाया करती थी। अपनी पढ़ाई के लिए रात 8 बजे से तैयारी करती थी। 4-5 घंटा रोजाना पढ़ाई करना जरुरी था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने की सोच रखी है।

जिला टाप बिजनस में अपना करियर बनाना चाहती है।

चाईबासा। जैक वाणिज्य संकाय में जिला टापर रहने वाली आकांक्षा साव 466 अंक प्राप्त कर विद्यालय का नाम रौशन की है। संत जेवियर गर्ल इंटर कालेज की छात्रा आकांक्षा पढ़ाई में काफी तेज है। बीबीए करने के बाद बिजनेस में अपना कैरियर बनाने वाली आकांक्षा के पिता सुजीत साव स्टेशनरी दुकान चलाते हैं। अपनी सफलता का श्रेय माता, पिता और स्कूल के शिक्षकों को देती है। आकांक्षा ने कहा कि रोजाना 2-3 घंटा मन के साथ पढ़ाई करते थे। स्कूल के पढ़ाई में विशेष ध्यान देने से अतिरिक्त पढ़ाई की जरुरत नहीं पड़ती है। लाकडाउन के समय आनलाइन क्लास के साथ किसी प्रकार के अतिरिक्त इंटरनेट मीडिया की मदद नहीं ली है।


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