11 वर्ष बाद भी सीबीआइ नहीं दिला सकी मौसमी की मां को न्याय Jamshedpur News
मौसमी चौधरी एक प्रतिष्ठित होटल में ट्रेनी एयर होस्टेस के रूप में काम करती थी। 9 मई 2009 को संदिग्ध हालत में उसे टीएमएच में दाखिल कराया गया था। 20 मई को उसकी मौत हो गई।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। जहां दुनिया में मदर्स डे की धूम है वहीं एक मां तापसी चौधरी पिछले 11 सालों से अपनी दिवंगत बेटी ट्रेनी एयर होस्टेस मौसमी चौधरी को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट का चक्कर काट रही है । कभी सड़कों पर धरना देती है। कभी कहीं गुहार न्याय की गुहार लगाती घूमती नजर आती है।
मदर्स डे पर बेटी की तस्वीर के सामने दिया जला न्याय दिलाने का लिया संकल्प
कोरोना संक्रमण के इस दौर में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए नौ मई को मां ने अपनी बेटी की पुण्यतिथि घर पर अकेली मनाई। तस्वीर को दीया दिखाया और संकल्प लिया कि बेटी को न्याय दिलाकर ही रहेगी। अंतिम सांस तक लड़ती रहेगी। वहीं तापसी चौधरी का साहस बढ़ाने वाले राधाकांत ओझा ने भी अपने घर में मौसमी को श्रद्धांजलि दी। गौरतलब हैं कि तापसी चौधरी के लड़ाई के कारण की उसकी पुत्री मौसमी चटर्जी की मौत मामले की सीबीआइ अब तक चल ही रही है।
9 मई 2009 को संदिग्ध हालत में बेसुध मिलने के बाद हुई थी मौत
मौसमी चौधरी बिष्टुपुर के एक प्रतिष्ठित होटल में ट्रेनी एयर होस्टेस के रूप में काम करती थी। 9 मई 2009 को संदिग्ध हालत में उसे टीएमएच में दाखिल कराया गया था। 20 मई को उसकी मौत हो गई। बताया गया कि गले का स्कार्फ रोलिंग मशीन में फंस जाने के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। मां पुत्री की हत्या की साजिश के तहत हत्या का आरोप होटल प्रबंधन और रसूख्दारों पर लगाती रही। वहीं पुलिस ने मामले में उसकी प्राथमिकी तक नहीं ली। जांच भी करना उचित नहीं समझा।
होटल प्रबंधन ने थाने में दर्ज कराई थी दुर्घटना की शिकायत
होटल प्रबंधन की ओर से दुर्घटना की शिकायत को दर्ज कर लिया गया। बिष्टुपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी नीरज मिश्रा कोई सुध नही ली थी। मां हारी नही। झारखंड के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ज्ञानसुधा मिश्रा को पत्र लिखा था जिस पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए। साथ ही कर्तव्य में लापरवाही का लेकर पुलिस अधिकारी नीरज मिश्रा को निलंबित करने का निर्देश भी दिया। तब से अब तक दो बार सीबीआइ जांच हो चुकी है, लेकिन न्याय नही मिला।
सीबीआइ कोर्ट में लंबित चल रहा मामला
फिलहाल मामला सीबीआइ कोर्ट में लंबित है। प्रारंभ में सीबीआइ ने काफी तेजी से तेवर दिखाए। धीरे-धीरे मामला शांत हो जाता चला गया। मां का आरोप हैं कि उस पर यह दबाव बनाया जा रहा कि वह मान ले बेटी की मौत महज दुर्घटना है। वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देती है जिसमें भोथड़े हथियार से मौसमी के शरीर में कई भागों में चोटों का जिक्र है। प्राइवेट पार्टस पर भी चोट है। फिर वह कैसे दुर्घटना मान ले। आरोपित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मां के अनुसार बेटी यर होस्टेस बनकर गरीब परिवार का सहारा बनना चाहती थी, लेकिन होटल के भीतर चल रहे कुछ खेल के बारे में वह जानने लगी थी। दबी जुबान से घर वालों को बता रही थी। इससे पहले कि वह सावधान होती। उसके साथ घटना घटित हो गई। न्याय की लड़ाई जारी है। मां का आरोप हैं कि घटना के समय सीबीआइ के निदेशक अमरेंद्र प्रताप सिंह थे। वो जमशेदपुर के एसपी भी रह चुके है।