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Jamshedpur Encroachment: चौंकिए मत, यह बस स्टैंड नहीं, अपना आम बागान मैदान है

Jamshedpur Encroachment शहर में कहीं भी आप अपनी बाइक पार्क कीजिए झट से जेएनएसी का पार्किंग ठेकेदार आपको दबोच लेगा। रौब ऐसा कि आप अपनी वाहन खड़ी कर कोई गलती कर दी हो। अगर आपने नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर दी तो आपकी खैर नहीं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 06:00 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 06:00 PM (IST)
Jamshedpur Encroachment: चौंकिए मत, यह बस स्टैंड नहीं, अपना आम बागान मैदान है
आम बागान में हो रहे अतिक्रमण पर किसी की नजर नहीं जाती।

जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : चौंकिए मत जनाब। यह मानगो बस स्टैंड नहीं है, जहां छपरा-सिवान और पटना के लिए बस पकड़ने पहुंच जाए। यह तो शहर का ह्रदय स्थल कहा जाने वाला साकची आम बागान है। अब आप सोच रहे होंगे कि बस स्टैंड की जगह बदल गई है क्या? तो जवाब है-ना। ना-ना। ना तो बस स्टैंड का स्थल बदला है और ना ही शहर की किस्मत। स्वच्छ सर्वेक्षण में अव्वल आने वाला अपना शहर जमशेदपुर के बीचोबीच एक जीवंत मैदान को कैसे मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया जाता है, इसकी तो यह सिर्फ बानगी भर है।

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एसडीओ रहते उपायुक्त सूरज कुमार ने अतिक्रमण हटाने की कोशिश की थी

अतिक्रमण को प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर रखने वाला प्रशासन कुंभकर्णी निद्रा में सोई है और अवैध अतिक्रमण करने वाले चांदी काट रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि आम बागान मैदान से अतिक्रमण हटाने की कोशिशें नहीं की गई। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सूरज कुमार जमशेदपुर में एसडीओ रहते हुए भी इस मैदान से अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया था। लेकिन कुछ दिन के बाद ही प्रशासन के हौसले पस्त हो गए और मैदान की स्थिति ''''पुनः मूषको भव'''' की हो गई।

बस ले लेकर कारों का काफिला का जमावड़ा

इस मैदान की सुरक्षा का जिम्मा जमशेदपुर अक्षेस (जेएनएसी) के जिम्मे है। पर कुंभकर्णी नींद में सोई जेएनएसी को इस मैदान की दुर्दशा नजर नहीं आता। तभी तो अतिक्रमणकारियों की हिमाकत के आगे इनकी हिम्मत पस्त हो जाती है। यहां कम से कम लंबी दूरी के 25 वाहन आकर लगते हैं। वहीं कारों का काफिला भी मैदान के चेहरे को चेचक की दाग तरह गंदा कर रहा है। वाहनों की मरम्मत से लेकर साफ-सफाई इसी मैदान पर होता है। लंबी दूरी के बस की सफाई भी यहीं होती है। बाइक व स्कूटर वालों की गिनती ही छोड़ दीजिए।

ये कैसी नाइंसाफी

शहर में कहीं भी आप अपनी बाइक पार्क कीजिए, झट से जेएनएसी का पार्किंग ठेकेदार आपको दबोच लेगा। रौब ऐसा कि आप अपनी वाहन खड़ी कर कोई गलती कर दी हो। अगर आपने नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर दी तो आपकी खैर नहीं। तुरंत ही लाठी भांजते हुए पुलिस का जवान आपके पास पहुंचेगा और चालान काट देगा। लेकिन आम बागान में सब कुछ फ्री है। बाइक तो क्या, बस-ट्रक तक पार्क कर सकते हैं। ऐसी सुविधा तो शहर में कही नहीं है। कहीं पार्किंग एरिया को सब्जी बाजार बना दिया गया तो कहीं मैदान को पार्किंग एरिया बना दिया गया। वह भी सब अवैध तरीके से। और यह सब स्वच्छ सर्वेक्षण में शीर्ष स्थान बनाने वाले जेएनएसी के नाक के नीचे हो रहा है। सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर सामान बेचने वालों पर तो कार्रवाई की जाती है, लेकिन आम बागान में हो रहे अतिक्रमण पर किसी की नजर नहीं जाती।

हिमाकत को हराने के लिए हिम्मत की जरूरत

ऐसा नहीं है, जिला प्रशासन ने कभी प्रयास नहीं किया। प्रयास किया लेकिन हर बार मुंह की खाई। अगर आम बागान मैदान की घेराबंदी कर दी जाए तो अतिक्रमण का नामोनिशान ही मिट जाएगा। पर शायद ही ऐसा कभी हो पाए। क्योंकि हिमाकत को हराने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है। मैदान पर कहीं बांस तो कहीं वाहन लगाकर फिर से अतिक्रमण का खेल जारी है। यहां किसी भी तरह के आयोजन के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी है। आम बागान से जिला प्रशासन को राजस्व प्राप्त होता है।  मैदान की खूबसूरती बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने योजना तैयार की थी, लेकिन आजतक यह योजना कागजों में ही इतरा रही है। अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण यह धरातल पर अबतक नहीं उतरी। कई बार मैदान से अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई। मैदान में चल रहे गैरेज को बंद करा दिया गया। लेकिन थोड़े दिन के बाद वहीं ढाक के तीन पात।

जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने पल्ला झाड़ा

जब आम बागान में अवैध पार्किंग के बारे में जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार से पूछा गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पार्किंग संबंधित ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है। जहां तक लंबी दूरी की बसों की पार्किंग का सवाल है तो यह जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) की जिम्मेवारी है कि वह कार्रवाई करें। जहां तक मैदान पर अवैध कब्जा का सवाल है तो यह टाटा स्टील की जमीन है। सामान्य तौर पर टाटा स्टील उपायुक्त या फिर एसडीओ को जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए पत्र लिखता है। उसके बाद कार्रवाई की जाती है। लेकिन कृष्ण कुमार साहब के जवाब में ही कई सवाल छिपे हैं। अगर टाटा स्टील की जमीन है तो फिर जेएनएसी मैदान की बुकिंग कैसे करता है? जमशेदपुर शहर टाटा लीज की जमीन पर ही बसा है, तो फिर शहर में पार्किंग की वसूली जेएनएसी क्यों करता है? सवाल तो कई हैं कृष्ण कुमार साहब...!

डीटीओ बोले-यह मेरी जिम्मेवारी नहीं, जेएनएसी समझे

जब आमबागान में अवैध पार्किंग को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी दिनेश कुमार रंजन से सवाल किया गया तो उन्होंने ही झट से सवाल दाग दिया। कहा-जमीन जेएनएसी की तो कार्रवाई तो उन्हें करना चाहिए। राजस्व तो वही वसूलता है। जिला परिवहन विभाग की यह जिम्मेवारी है कि कोई सड़क किनारे भारी वाहन न लगाए, ताकि परिवहन में कोई परेशानी ना हो। अगर कोई अपने सोसायटी में बस लगाता है तो क्या हम कार्रवाई करते हैं? वैसे कोई शिकायत करेगा तो हम इस मामले को देखेंगे।


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