Durga Puja 2020 : 1982 से अरविंद सिंह की देखरेख में हो रही आदित्यपुर में पूजा
Durga Puja 2020. पंडाल को देखने भक्तों की कम से कम पांच किलोमीटर तक कतार लगती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। कोरोना के कारण यहां काल्पनिक मंदिर के छोटे आकार का पूजा पंडाल बनाया गया है। इसके बावजूद यह भव्य दिखाई पड़ रहा है।
जमशेदपुर, जासं। जयराम यूथ स्पोर्टिंग क्लब आदित्यपुर की पूजा वर्ष 1982 से हो रही है। पूजा स्थापना से अब तक कई मंत्री व मुख्यमंत्री ने यहां के पूजा पंडाल का उद्घाटन कर चुके हैं। हर वर्ष ज्वलंत विषय पर आधारित पूजा पंडाल के कारण यहां का पंडाल पूरे झारखंड में अपनी अलग पहचान रखता है।
यहां की पूजा ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह की देखरेख में अब तक होता है। पूरे नौ दिन यहां पूजा होती है। पंडाल को देखने भक्तों की कम से कम पांच किलोमीटर तक कतार लगती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। कोरोना के कारण यहां काल्पनिक मंदिर के छोटे आकार का पूजा पंडाल बनाया गया है। इसके बावजूद यह भव्य दिखाई पड़ रहा है। अरविंद सिंह से पहले यहां 1976 से पूजा होते आ रही है। उस समय कमेटी का नाम श्रीश्री दुर्गा पूजा समिति एम टाइप आदित्यपुर था। बाद में इसे अरविंद सिंह ने अपने हाथों में लिया।
देवी दुर्गा की 52 हाथों की प्रतिमा
काल्पनिक मंदिर का पंडाल बांस से बना हुआ है। कोरोना के कारण सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार भव्य और थीम आधारित पंडाल का निर्माण नहीं कराया गया है। 40 साल बाद पहली बार मामूली पंडाल बना है। इस बार यहां जो प्रतिमा बनाई गई है वह खास है। देवी दुर्गा की 52 हाथों वाली प्रतिमा को स्थापित किया गया है। पंडाल के पट रविवार को खोल दिए गए हैं, जहां बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। कमेटी के संरक्षक अरविंद सिंह ने बताया कि प्रतिमा दर्शन के कमेटी द्वारा पास निर्गत कराया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं का पंडाल के अंदर प्रवेश कराया जाएगा।
हर साल थीम आधारित बनता है पंडाल
कोरोना काल के कारण इस बार काल्पनिक पंडाल बनाया गया है। वर्ष 2019 में यहां प्लास्टिक से होने वाली खतरे के प्रति लोगों को जागरुक करती पंडाल का निर्माण कराया गया था। वर्ष 2018 में अफ्रीका के आदिवासी गांव का दृश्य बनाया गया था। वर्ष 2017 में जल प्रलय को लेकर जहाजनुमा पंडाल, वर्ष 2016 में विश्व शांति का प्रतीक ग्लोब बनाया गया था।