इस गांव में एड्स बढ़ा रहा रिश्तों की दूरियां
नाते-रिश्तेदार भी यहां बसे परिवारों से दूरियां बनाने लगे हैं। नई रिश्तेदारी करने से भी लोग परहेज करते हैं। इसका मुख्य कारण एक ही है 'एड्स'।
अमित तिवारी, जमशेदपुर। लौहनगरी के बावनगोड़ा गांव में रिश्ता जोड़ने से लोग डरते हैं। बेटियां शादी करके जाती है तो उसे दोबारा आने नहीं दिया जाता। ससुराल से छुप-छुप कर आती भी तो 10 से 15 मिनट के बाद चले जाती है। वहीं 110 से अधिक लोग कुंवारे रह गए है। जिनकी शादी की उम्र पार हो चुकी है। वहीं 40 एचआईवी मरीजों की समूह में से भी अधिकांश की भी शादी नहीं हुई है। खुलासे के बाद से ग्रामीण दहशत में हैं। वहीं नाते-रिश्तेदार भी यहां बसे परिवारों से दूरियां बनाने लगे हैं। नई रिश्तेदारी करने से भी लोग परहेज करते हैं। इसका मुख्य कारण एक ही है 'एड्स'। यहां पर लोगों को सोचने-समझने की जरूरत है कि एचआईवी-एड्स छुआछुत की बीमारी नहीं है। थोड़ा से सतर्क रहकर इस रोग से बचा जा सकता है।
एक एचआईवी पीड़ित ने बताया कि उसने अपनी बेटी की शादी की। बेटी ससुराल चले गई। इसके बाद जब उसके ससुराल वाले को पता चला कि उसके मायके में एक व्यक्ति को एचआईवी है तो उसे आने पर रोक लगा दी गई। कभी-कभार छुप-छुपकर आती है और उसके कुछ ही मिनट के बाद चले जाती है। इसी तरह, एक युवक का शादी ठीक हो चुका है। उस युवक को एचआईवी नहीं था। पर, लड़की वाले को जैसे ही इस गांव की हकीकत का पता चला तो वह शादी करने से इंकार कर दिए। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव पर भारी कलंक लग चुका है। इसे मिटाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।
गांव के मरीजों की सेवा कर रही यह भाभी
संगीता देवी को गांव वाले भाभी के नाम से जानते है। ये वह महिला है जिनकी बदौलत ही उन 40 मरीजों की एचआईवी जांच हुई और रिपोर्ट में पुष्टि हुई। वर्ष 2002 में जब यह बीमारी पहली बार सामने आई तो घर से रोगियों को भगाया जाने लगा। तब संगीता देवी ने उन रोगियों की लड़ाई लड़ने को ठाना। घर-घर जाकर एचआईवी के प्रति लोगों को जागरुक किया। उन्हें समझाया-बुझाया। इतना ही नहीं, सभी रोगियों के दुख-दर्द में हमेशा उनके साथ खड़ी रही। इसमें से 30 रोगियों की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद भी संगीता देवी उनके परिवारों के साथ खड़ी रहती है। इसी का नतीजा है कि ग्रामीण इन्हें काफी मानते है। कुछ भी काम करने से पहले इनकी राय जरूर ली जाती है। यहां तक की महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थापित एआरटी (एंटी रिट्रोवाइरल ट्रीटमेंट) सेंटर को खुलवाने में भी इनका अहम योगदान रहा है।
पेंशन व राशन कार्ड के लिए लड़ रहे हैं इस गांव में रहने वाले
एचआईवी पीड़ितों को पेंशन नहीं मिल रही है। जबकि सरकार की ओर से सभी मरीजों को हर माह 600 रुपये पेंशन मिलती है। जमशेदपुर में एचआईवी पीड़ितों का इलाज एमजीएम अस्पताल के एआरटी सेंटर में होता है। यहां जिन मरीजों में एचआइवी के लक्षण पाए जाते हैं, उनका नाम दर्ज कर उनका नियमित इलाज चलता है। एआरटी सेंटर में करीब 3500 रोगियों का रजिस्ट्रेशन है। संगीता कहतीं है कि पेंशन के लिए पीड़ितों ने फार्म भरा है पर अबतक नहीं मिल सका है। वहीं राशन कार्ड भी नहीं बन सका है जिसके कारण पीड़ितों को काफी परेशानी हो रही है। संगीता मैट्रिक पास है और वह आंगनबाड़ी में सहायिका का काम करती है।
ये हैं एड्स
एड्स एक वायरस से फैलता है, जिसे एचआइवी यानी ह्यूंमन इम्यूनो डेफीसिएंसी वायरस करते हैं। यह वायरस शरीर में रोगों का सामना करने की स्वभाविक क्षमता को कम करता चला जाता है। शरीर में बीमारियों से जूझने की शक्ति नष्ट होने के कारण अनेक बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। इस अवस्था को एड्स कहा जाता है।
जानें, कैसे होता है संक्रमण
एचआइवी चार तरीके से होता है। जिसमें एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क, एचआइवी संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद चढ़ाने से, ऐसी एचआइवी संक्रमित सुइयां इस्तेमाल करने से, जिन्हें विसंक्रमित न किया गया हो। इसके अलावा एचआइवी संक्रमित गर्भवती स्त्री से उसके बच्चे को गर्भावस्था में या प्रसव के दौरान व स्तनपान करने से एचआइवी संक्रमण हो सकता है।
एचआइवी के लक्षण
- बुखार होना।
- गले में खराश।
- शरीर पर चकते।
- थकान होना।
- जोड़ों का दर्द।
- मांसपेशियों में दर्द।
- ग्रंथियों में सूजन।
- वजन घटना।
- रात को पसीना आना।
- त्वचा की समस्याएं।
- बार-बार संक्रमण होना।
- गंभीर जानलेवा बीमारियां।