60 किलो मीटर दूर से आए मरीजों को देखकर नहीं पसीजा डॉक्टरों का दिल
डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की जानकारी मरीजों को नहीं थी। इससे
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की जानकारी मरीजों को नहीं थी। इससे सोमवार को महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भीड़ उमड़ पड़ी। गर्मी को देखते हुए मरीज सुबह नौ बजे से ही अस्पताल पहुंचने लगे थे लेकिन यहां पर आने से पता चला कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इस कारण से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। इस दौरान दूर-दराज से आए हुए मरीजों ने डॉक्टरों से गुहार भी लगाई लेकिन वह अपने हड़ताल को सफल बनाने में जुटें रहें।
मनोरोग ओपीडी के पास एक मरीज घंटों देर तक बैठा रहा कि डॉक्टर आएंगे, पर नहीं आए। इसके बाद दोपहर 12.30 बजे एक गार्ड ने आकर उन्हें बताया कि मां जी आज डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसलिए आप घर चले जाइए। दूसरे दिन आइएगा। इसी तरह, सड़क दुर्घटना में शिकार होकर पहुंची एक युवती इमरजेंसी विभाग पहुंची तो उसे डॉक्टरों ने यह कहते हुए ओपीडी भेज दिया कि थोड़ा सा चोट है। वहां पर जाने से मालूम चला कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसे लेकर उसके परिजन परेशान दिखे। उनका कहना था कि मरीजों को परेशान करने से क्या फायदा? इस तरह, करीब 1300 मरीज लौट गए। एमजीएम में सबसे अधिक मरीज सोमवार को ही आते हैं। डॉक्टरों का कहना है सोमवार से पूर्व रविवार पड़ता है और उस दिन ओपीडी बंद रहता है। इस कारण सोमवार को भीड़ अधिक होती है। वहीं गंभीर मरीजों को इमरजेंसी विभाग में इलाज किया गया। ओपीडी बंद होने से इमरजेंसी विभाग में अधिक भीड़ देखी गई। इससे पूर्व सीनियर-जूनियर चिकित्सकों ने पूरे ओपीडी में घूमकर बंद कराया और बाहर निकलकर प्रदर्शन किया।
हड़ताल में आइएमए के सचिव डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. देवेंद्र जी, डॉ. फिरोज अहमद, डॉ. जॉय भादुड़ी, डॉ. संतोष गुप्ता, डॉ. अजय राज सहित अन्य डॉक्टर शामिल रहे।
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नेशनल मेडिकल बिल डॉक्टर व जनता के खिलाफ है
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के बैनर तले सोमवार को शहर के डॉक्टर हड़ताल पर रहें। इस दौरान महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल व सदर अस्पताल के ओपीडी पूरी तरह से बंद रहा। जबकि टीएमएच, टेल्को, मेडिका सहित अन्य निजी अस्पतालों के ओपीडी खुले रहे। आइएमए के सचिव डॉ. मृत्युंजय सिंह ने कहा कि उनलोगों का विरोध सरकार के नए प्रस्ताव नेशनल मेडिकल बिल के खिलाफ है। उनका कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो मेडिकल के इतिहास में काला दिन होगा। इसकी वजह से इलाज महंगा होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
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मरीजों की बोल
मेरा परिचित सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है। उसे इमरजेंसी में दिखाने के लिए गया तो ओपीडी भेज दिया गया। यहां पर डॉक्टर हैं ही नहीं। ओपीडी बंद पड़ा है।
- प्रेम कुमार, मानगो।
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मैं अपने परिजन को दिखाने के लिए अस्पताल आया हूं पर यहां ओपीडी बंद है। एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं है। हड़ताल की जानकारी मुझे नहीं है। अब वापस जाना पड़ेगा।
- रोहित शर्मा, मानगो।
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बच्चा को इंजेक्शन दिलाने लाया हूं पर ओपीडी बंद है। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची भी नहीं दिया जा रहा था। जबरदस्ती बोलकर पर्ची बनाया तो अब डॉक्टर ढूढ़ने से भी नहीं मिल रहें हैं।
- नरायण प्रमाणिक, आदित्यपुर।
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मैं घर के बाहर खेल रहा था उसी दौरान एक कुत्ता ने काट लिया। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर गया तो बताया गया कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। दूसरे दिन आइएगा। डॉक्टर को दिखाना व इंजेक्शन लेना काफी जरूरी है।
- दिशु गोप, आदित्यपुर।
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मां को दिखाने के लिए करीब 60 किलोमीटर दूर चक्रधरपुर से आए हैं। हड़ताल की जानकारी मुझे नहीं थी। सोचा कि रोजाना की तरह आज भी डॉक्टर बैठेंगे। पर ओपीडी बंद है।
- राजीव जमदार, चक्रधरपुर।
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मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। कुछ भी समझ में नहीं आता। उदास रहती हूं। डॉक्टरों ने मनोरोग विभाग में दिखाने के लिए कहा है पर यहां डॉक्टर मौजूद ही नहीं हैं। लौटकर जाना पड़ेगा।
- बेरम जमदार, चक्रधरपुर।
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