Covid 19 Third Wave: घबराएं नहीं बच्चे, दूसरी लहर में 0.3 % कम संक्रमित हुए, कोरोना की तीसरी लहर में भी खतरा नहीं
अब कोरोना की तीसरी लहर का इंतजार हो रहा है।दूसरी लहर में 30 से 45 साल के लोग अधिक संक्रमित हुए। वैक्सीन लेकर संभावित तीसरी लहर से बचा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
अमित तिवारी, जमशेदपुर : तीसरी लहर को लेकर बच्चों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं, अगर वैक्सीनेशन व सावधानी बरतने पर जोर दिया जाए तो इस लहर को आगे भी बढ़ाया जा सकता है और उससे बचा जा सकता है। यानी तीसरी लहर अगस्त, सितंबर से बढ़ाकर नवंबर, दिसंबर या उससे भी अधिक समय तक टाला जा सकता है। यह भी संभव है कि तीसरी लहर आए भी तो ज्यादा नुकसान नहीं करेगा।
लेकिन इसके लिए समय पर वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करना होगा। वैक्सीन के दोनों डोज पड़ने से शरीर में एंटीबॉडी विकसित कर जाती है और वह वायरस से लड़ने में सक्षम होता है। अभी देखा गया है कि जिले में जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज पूरी कर ली है उनकी मौत कोरोना से नहीं हुई है। इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन भी सख्ती से करना होगा। दो गज की दूरी, मास्क व हाथों को बार-बार धोना अति-आवश्यक है। रही बात बच्चों की तो अभी तक उनको अधिक खतरा नहीं पहुंचा है और आगे भी नुकसान होने की संभावना कम ही है।
बच्चों को अधिक खतरा नहीं होने का यह तीन महत्वपूर्ण कारण बताया जा रहा
- जिला सर्विलांस विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी लहर में पहली लहर से कम बच्चे संक्रमित हुए हैं। पहली लहर में कुल 18 हजार 481 मरीज संक्रमित मिले थे। इसमें बच्चों की संख्या 840 है। यानी 4.5 फीसद। वहीं, दूसरी लहर में कुल 33 हजार 113 लोग संक्रमित हुए हैं। इसमें बच्चों की संख्या एक हजार 413 है। यानी 4.2 प्रतिशत। इस तरह देखा जाए तो 0.3 प्रतिशत कम बच्चे संक्रमित हुए।
- दूसरा कारण यह है कि बच्चों में विशेष रेसप्टर एसीई-2 (एंजियोटेनसिन कंवर्टिन एंजाइम) भी विकसित नहीं होता है, जिसके कारण कोरोना वायरस उनके फेफड़े को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है। ऐसे में अगर बच्चे संक्रमित होते भी हैं तो वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। इसी कारण से कोरोना बच्चों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाया है। वहीं, व्यस्कों में रेसप्टर एसीई-2 पूरी तरह से विकसित होती है जो वायरस को चुंबक की तरह टान लेती है और उससे फेफड़ा तेजी से डैमेज होता है। जिसके कारण बड़ों में सांस लेने की परेशानी शुरू हो जाती है। उनकी फेफड़ा डैमेज होने लगता है और मरीज की मौत भी हो जाती है। दूसरी लहर में यह अधिक देखा गया।
- तीसरा कारण यह देखने को मिल रहा है कि अधिकांश बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी बन गया है। जिसके कारण बच्चों को तीसरी लहर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएगा। अभी कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनके माता-पिता को नहीं पता कि उनके बच्चे को कोरोना हुआ भी था लेकिन एंटीबॉडी जांच कराई जा रही है तो उनमें एंटीबॉडी विकसित पाई जा रही है। यानी बच्चे पूर्व में संक्रमित हो चुके हैं लेकिन उनके माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं है। कारण कि ये बच्चे ज्यादा गंभीर नहीं हुए। या तो अपने आप ठीक हो गए या फिर एक-दो दवा खाने के बाद ठीक हो गए।
2253 बच्चों में सिर्फ दो की हुई मौत
कोरोना से अभी तक कुल दो हजार 253 बच्चे संक्रमित हुए है। इसमें सिर्फ दो बच्चों की ही मौत हुई है। जबकि उम्र 15 साल के बाद अभी तक कुल 1052 की मौत हुई है।
दूसरी लहर में देखा गया है कि उम्र 30 से 44 के बीच लोग अधिक संक्रमित हुए हैं। वहीं, मौत उम्र 30 से अधिक वालों की हुई है जिन्हें पूर्व से कोई गंभीर बीमारी है। ऐसे में उस उम्र वाले को वैक्सीन देकर कोरोना की संभावित लहर को आगे बढ़ा सकते हैं। सभी समुदाय को बढ़चढ़ कर वैक्सीन लेना चाहिए। -- डॉ. साहिर पाल, जिला सर्विलांस पदाधिकारी।