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World Diabetes Day : किडनी रोग का मुख्य कारण डायबिटीज, जानिए क्या कहते हैं डॉ दीपक

World Diabetes Day डायबिटीज के हरेक तीन में से एक मरीज को किडनी की बीमारी हो जाती है जो कि आखिरकार जानलेवा साबित होती है। हालांकि प्रारंभिक दौर में पहचान व समुचित इलाज से डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 03:38 PM (IST)Updated: Sun, 14 Nov 2021 03:38 PM (IST)
World Diabetes Day : किडनी रोग का मुख्य कारण डायबिटीज, जानिए क्या कहते हैं डॉ दीपक
साकेत अस्पताल के निदेशक एवं किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक कुमार ।

पंकज मिश्रा, चाकुलिया: डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसा रोग है जिससे देश का शायद ही कोई राज्य, शहर, गांव या मोहल्ला अछूता हो। इसके मरीज लगभग हर जगह मिल जाते हैं। हालांकि आज भी महानगरों एवं शहरों की अपेक्षा गांवों में डायबिटीज के रोगी कम मिलते हैं। आधुनिक जीवन शैली, खानपान, मोटापा, नशा पान एवं निष्क्रिय जीवनशैली को डायबिटीज का मुख्य कारण माना जाता है।

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एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश की छह प्रतिशत से अधिक आबादी एवं 7.7 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित है। चिकित्सा विज्ञान में डायबिटीज व हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। माना जाता है कि डायबिटीज शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत का स्थान दुनिया में चीन के बाद दूसरा है। देश में इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि डायबिटीज के हरेक तीन में से एक मरीज को किडनी की बीमारी हो जाती है जो कि आखिरकार जानलेवा साबित होती है। हालांकि प्रारंभिक दौर में पहचान व समुचित इलाज से डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है। 14 नवंबर विश्व डायबिटीज दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण ने जमशेदपुर स्थित साकेत अस्पताल के निदेशक एवं किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक कुमार से खास बातचीत की। पाठकों के हित में कुछ सवाल उनसे पूछा जिनका उन्होंने बखूबी जवाब दिया।

प्रश्न-डायबिटीज की  दीर्घकालीन जटिलताएं क्या-क्या है?

उत्तर -हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटिक किडनी डिजीज, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान।

प्रश्न -  डायबिटिक किडनी डिजीज भारत में कितनी बड़ी समस्या है?

उत्तर-  भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या  लगभग 7.7  करोड़ है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. डायबिटीज के 30 से 35% मरीजों में  डायबिटिक किडनी डिजीज होने की संभावना होती है।

प्रश्न- डायबिटिक किडनी डिजीज के लक्षण क्या-क्या है?

 उत्तर-  शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। पेशाब में एल्बुमिन की जांच करने से ही इसका पता चल पाता है। समस्या अधिक बढ़ जाने के बाद इसके लक्षण है- असामान्य रक्तचाप, टखनों, पैरों, हाथों या आंखों में  सूजन, बार-बार पेशाब करने की प्रवृत्ति, भ्रम या एकाग्रता की समस्या, हल्की सांस लेना, भूख कम लगना, मतली और उल्टी।

 प्रश्न- डायबिटिक किडनी डिजीज के रोकथाम के लिए क्या-क्या उपाय हैं?

उत्तर-स्ट्रिक्ट ब्लड शुगर कंट्रोल, ब्लड प्रेशर कंट्रोल, सही वजन मेंटेन करना, धूम्रपान ना करना, नमक कम खाना, हरी सब्जियां, फल, सलाद इत्यादि ज्यादा खाना। प्रत्येक दिन कम से कम आधे घंटे व्यायाम।

प्रश्न- डायबिटिक किडनी डिजीज के पहचान के लिए  क्या-क्या जांच उपलब्ध है?

उत्तर- यूरिन रूटीन, स्पॉट यूरीन एल्बुमिन क्रिएटनीन रेशियो, सिरम क्रिएटनीन, ईजीएफआर, फंडोस्कोपी। डायबिटीज के मरीजों में अगर किडनी की समस्या के लक्षण दिखाई देते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि सब के सब डायबिटिक किडनी डिजीज ही हो। इसलिए यह जान लेना जरूरी होता है कि समस्या नन- डायबिटिक किडनी डिजीज की वजह से तो नहीं है। इसका भी ध्यान रखना होता है।

प्रश्न- क्या इलाज से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है?

उत्तर-  रोकथाम ही इसका सबसे अच्छा उपाय है। शुरुआती दौर में पता चलने से इसे ठीक किया जा सकता है। ज्यादा देर से पता चलने पर इसकी बढ़ोतरी दर को धीमा किया जा सकता है।


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