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कोरोना संक्रमण में कमी के बावजूद वैक्सीन लेने के मामले में युवा आगे

कोरोना संक्रमण से पूरे विश्व को दहला चुका यह नाम खौफ का पर्याय बन गया है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 09:00 AM (IST)
कोरोना संक्रमण में कमी के बावजूद वैक्सीन लेने के मामले में युवा आगे
कोरोना संक्रमण में कमी के बावजूद वैक्सीन लेने के मामले में युवा आगे

संसू, मुसाबनी : कोरोना संक्रमण से पूरे विश्व को दहला चुका यह नाम खौफ का पर्याय बन गया है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है। जिसके कारण अधिकतर लोग सरकार द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों का पालन करने में कोताही करते देखे जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिग का मामला हो या मास्क लगाने का सभी मामलों में लोग लापरवाही बरत रहे हैं। परंतु कोरोना संक्रमण को लेकर समय-समय पर तीसरी लहर की बात भी सामने आती रहती है जिससे लोगों के अंदर खौफ पैदा हो जाता है। परंतु इन सबसे अलग युवा वर्ग कोरोना संक्रमण के खतरे को किसी भी पल भूलता नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण है उनके द्वारा बड़ी संख्या में वैक्सिन लेना, युवाओं ने बताया कि हम सबको वैक्सीन लेने में कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है। वैक्सीन लेना सभी के लिए अनिवार्य है। तीसरी लहर हो या चौथी अगर हम सब वैक्सीन लेंगे तो अवश्य ही कोरोना संक्रमण से सख्ती से मुकाबला कर सकेंगे और इनके प्रसार को रोकने में अहम योगदान अदा कर सकेंगे। युवाओं ने लोगों से अपील किया कि हर स्थिति में वैक्सीन अवश्य लें। कोरोना संक्रमण से बचने का एकमात्र यही उपाय है। और साथ ही सभी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें मास्टर का प्रयोग अवश्य करें। जोखिमपूर्ण स्थिति में रहने वाले बच्चों की होगी मैपिग : बाल कल्याण संघ एवं जिला प्रशासन के सहयोग से प्रखंड स्तरीय हित धारकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बहरागोड़ा प्रखंड सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन बीडीओ राजेश कुमार साहू ने दीप प्रज्वलित कर किया।

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बीडीओ ने कहा कि कठिन परिस्थिति में जीवन बसर करने वाले बच्चों की मैपिग बहुत जरूरी है। इस कार्य को ले सरकार संवेदनशील है। कठिन परिस्थिति में जीवन बसर करने वाले बच्चे परिवार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे हम जान पाएंगे कि हमारे प्रखंड क्षेत्र में कितने बच्चे कठिन व जोखिम पूर्ण परिस्थिति में जीवन बसर करते हैं। साथ ही वे किन किन योजनाओं के लाभ के लिए सुयोग्य हैं, ताकि इन बच्चों व परिवारों को संबंधित योजनाओं का लाभ दिया जा सके और मानव तस्करी, बाल श्रम व बाल विवाह जैसी कुरीतियों से इन्हें बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि ग्राम बाल संरक्षण समिति, विद्यालय प्रबंधन समिति, आंगनबाड़ी सेविका, ग्राम पंचायत कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष तेजस्विनी क्लब, सहिया, सामाजिक कार्यकर्ता व गैर सरकारी संस्थानों की मदद से प्रखंड के सभी गांवों में जोखिमपूर्ण स्थिति में रहने वाले बच्चों की मैपिग की जाएगी, ताकि इन बच्चों को बाल श्रम, बाल विवाह जैसी कुरीतियों से बचाया जा सके।

बाल कल्याण संघ के परियोजना प्रबंधक सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि झारखंड से हर वर्ष 30 से 40 हजार लड़कियों की तस्करी की जाती है। ये बालिकाएं झारखंड राज्य के उन ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जहां इनके परिवार जोखिम पूर्ण स्थिति में निवास करते हैं। इसी का शिकार बालिकाएं भी होती हैं। कहा, उपायुक्त के मार्गदर्शन में ऐसे परिवारों व बच्चों को चिन्हित करने के लिे संवर्धन कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है, ताकि जिले में इस तरह के बच्चों की सूची तैयार की जा सके। जोखिमपूर्ण परिस्थिति में रहने वाले बच्चों व उनके अभिभावकों को चिन्हित कर ग्राम बाल संरक्षण समिति व विशेष ग्राम सभा के माध्यम से मॉनिटरिग की जाएगी, ताकि संबंधित परिवारों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान की जा सके। मैपिग प्रक्रिया के तहत 23 श्रेणी के बच्चों की मैपिग की जानी है, जो खतरे में हैं। इन 23 श्रेणी के बच्चों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने की पहल की जाएगी, ताकि इन परिवारों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान कर उन्हें मानव तस्करी, बाल विवाह, बाल श्रम व बाल यौन शोषण से बचाया जा सके।


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