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इंकैब मामले में सीओसी सदस्यों को पार्टी बनाने की मांग Jamshedpur News

अप्रैल 2000 से बंद पडी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) के कमला मिल्स फक्सा इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और आरआर केबल प्राइवेट लिमिटेड को पार्टी बनाने की मांग की गई है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्रिब्यूनल....

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 09:24 AM (IST)
इंकैब मामले में सीओसी सदस्यों को पार्टी बनाने की मांग Jamshedpur News
इंकैब मामले में सीओसी सदस्यों को पार्टी बनाने की मांग। फाइल फोटो- जागरण।

जमशेदपुर (जासं)। अप्रैल 2000 से बंद पडी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) के कमला मिल्स, फक्सा इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और आरआर केबल प्राइवेट लिमिटेड को पार्टी बनाने की मांग की गई है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) दिल्ली में सोमवार को इंकैब मामले में सुनवाई है। इसमें जसिस्ट बंशीलाल भट्ट और जसिस्ट जरत कुमार जैन की खंडपीठ में कर्मचारियों की ओर अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने यह मांग की है।

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अखिलेश ने बताया कि जमशेदपुर के कर्मचारियों की ओर से उनके अलावे संजीव मोहांती व सरिता चंद्रलेखा भी ऑनलाइन सुनवाई में शामिल हुई। इसमें कोर्ट ने उन्हें नोट्स ऑफ आग्यूमेंट जमा करने का आदेश दिया है। वहीं, कोर्ट ने सीओसी सदस्यों को भी पूरे मामले में 15 दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी। मालूम हो कि इंकैब इंडस्ट्री को दिवालिया करने के संबंध में सात फरवरी 2020 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की कोलकाता बेंच ने आदेश जारी किया है। इसे जमशेदपुर कर्मचारियों की ओर से भगवती सिंह ने अपीलिएट कोर्ट में चुनौती दी है

सीओसी सदस्यों की जमीन हड़पने की है मंशा

कर्मचारियों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि सीओसी में शामिल कमला मिल्स, फक्सा इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और आरआर केबल प्राइवेट लिमिटेड की मंशा कंपनी को शुरू करने के बजाए उसकी जमीन हड़पना चाहती है। इस पर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा नौ अप्रैल 2009, 24 अप्रैल 2014 और छह जनवरी 2018 को दिए गए आदेश का भी हवाला दिया। उन्होंने बताया कि कमला मिल्स रियल स्टेट कंपनी है।

रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनीस अग्रवाल को चाहिए था कि इन कंपनियों को सीओसी का सदस्य बनाने से पहले हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत इनकी जांच करती लेकिन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावे तीनों कंपनियों पर इंकैब की 100 करोड़ रुपये की हेरा-फेरी का भी आरोप है लेकिन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने इसकी भी जांच नहीं की। ऐसे में आरपी की मंशा पर भी सवाल उठना लाजिमी है।


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