Covid- 19: PM MODI के सपनों को लगे पंख, अब एप से हो सकेगी कोरोना संक्रमण की जांच
Covid- 19. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ के आयुष अग्रवाल ने प्रारंभिक जांच के लिए एक एप बनाया है। नाम रखा है- अवचेतन।
जमशेदपुर,वेंकटेश्वर राव। Covid- 19 कोरोना जांच किट की कमी को देखते हुए झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ के आयुष अग्रवाल ने प्रारंभिक जांच के लिए एक एप बनाया है। नाम रखा है- अवचेतन। आयुष एनआइटी दिल्ली एमटेक रिसर्च सेकेंड ईयर के छात्र हैं। यह एप वॉयस मॉड्यूलेशन के थ्रू कार्य करेगा।
एप को एनआइटी दिल्ली ने अप्रूव करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है। एप को बनाने का आइडिया उन्हें लॉकडाउन के दौरान आया। एनआइटी ने अपनी वेबसाइट पर इस रिसर्च की जानकारी दी है। इसको एनआइटी ने पीएमओ के संज्ञान में लाया है। आयुष ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से आग्रह किया था कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए तमाम तरह की रिसर्च करें। इसके बाद उनके मन में कुछ नया करने की बात आई। इस एप के ट्रॉयल में उसे एक सप्ताह का समय लगा। इस कार्य में कई लोगों ने सहयोग और मार्गदर्शन किया। गूगल को यह एप प्ले स्टोर में डालने के लिए भेजा गया है। गूगल भी अपने स्तर से इसकी पड़ताल कर रहा है। आयुष के अनुसार, एनआइटी के डायरेक्टर प्रवीण कुमार, जुस्को के बिजनेस एक्सलीलेंस चीफ गौरव आनंद, जुस्को के इंटर्न यासिर, एनआइटी के प्रोफेसर मनीषा भारती, हरीश कुमार, वीएस पांडे ने इसमें सहयोग किया है।
जुस्को ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
अवचेतन एप बनाने में जुस्को की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। जुस्को के गौरव आनंद के साथ आयुष भी इंटर्न कर रहे हैं। आयुष ने एप बनाने की बात गौरव आनंद को बताई। इसके बाद एप को एक मुकाम तक पहुंचाया जा सका। इस कार्य में तकनीकि सहयोग एक और इंटर्न यासिर ने भी किया।
इन्होंने दिया दिशा-निर्देश व सहयोग
एनआइटी के डायरेक्टर प्रवीण कुमार, जुस्को के बिजनेस एक्सलीलेंस चीफ गौरव आनंद, जुस्को के इंटर्न यासिर, एनआइटी के प्रोफेसर मनीषा भारती, हरीश कुमार, वीएस पांडे।
ऐसे काम करेगा अवचेतन एप
पहला स्टेप : एप खोलने के बाद सांस रोककर ए बोलना पड़ेगा। जितनी देर आप यह कार्य करेंगे, उतना ही आपको यह एप स्वस्थ्य मानेगा।
दूसरा स्टेप
अगर दस सेकेंड भी कोई व्यक्ति सांस नहीं रोक पाता है तो उसे दूसरे स्टेप में आना होगा। यहां बॉडी टेंपरेचर, पिनकोड व मोबाइल नंबर डालना होगा।
तीसरा स्टेप
कोरोना होने की आशंका प्रतिशत के रूप में बताई जायेगी। अगर 80 प्रतिशत या इससे ज्यादा बीमारी के लक्षण पाये जाने पर पिनकोड के जरिए नजदीकी हॉस्पिटल और प्रशासन को सूचना चली जायेगी। इसके बाद प्रशासन कोरोना की जांच कर सकता है।