Move to Jagran APP

लौहनगरी में हर्षोल्लास मनाया जाता पश्चिम ओडिशा का नुआखाई महापर्व, ये है खासियत

पश्चिम ओडिशा का महापर्व नुआखाई लौहनगरी में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओड़िया समाज पारंपरिक रीति-रिवाज से नुआखाई पर्व भादो शुक्ल पंचमी तिथि को मनाता हैं।

By Edited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 11:37 AM (IST)
लौहनगरी में हर्षोल्लास मनाया जाता पश्चिम ओडिशा का नुआखाई महापर्व, ये है खासियत
लौहनगरी में हर्षोल्लास मनाया जाता पश्चिम ओडिशा का नुआखाई महापर्व, ये है खासियत

जमशेदपुर, दिलीप कुमार। पश्चिम ओडिशा का महापर्व नुआखाई लौहनगरी में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ नया खाना है। ओड़िया समाज पारंपरिक रीति-रिवाज से नुआखाई पर्व भादो शुक्ल पंचमी तिथि को मनाता हैं। इस वर्ष नुआंखाई पर्व तीन सितंबर को मनाया जाएगा।

loksabha election banner

पश्चिम ओडिशा निवासी लहलहाती फसल को इष्ट देवी मा संबलेश्वरी का आशीर्वाद मानकर सबसे पहले धान का भोग मां और अपने पूर्वजों को अर्पित करते हैं। सोनारी स्थित मां संबलेश्वरी शिव मंदिर में इस दिन समाज के लोगों की भीड़ उमड़ती है।

कुरे पत्ता और धान का विशेष महत्व

नुआंखाई पर कुरे पत्ता और नए धान का विशेष महत्व रहता है। पर्व के दिन कुरे पत्ते का दीया बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है और नए अन्न का प्रसाद कुरे पत्ते पर ही ग्रहण किया जाता है। पर्व के दिन परिवार के सभी सदस्य नए उपजे अन्न का भोग लगाकर एक साथ ग्रहण करते हैं। इसके बाद घर के सभी छोटे सदस्य बड़ों को नुआखाई जुहार अर्थात प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नई हंडी में बनाया जाता प्रसाद

मा का भोग मिट्टी की नई हाडी में बनाया जाता है। प्रसाद में चूड़ा, गुड़ व नए धान का प्रयोग किया जाता है। पूजा के दौरान मंदिर में ओड़िशा का पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल, लीसान, मुहरी व झाझर बजाया जाता है। नुआंखाई के मौके पर घरों में आड़सा, मोड़ा और चकिल पीठा विशेष तौर पर बनाया जाता है। नुआखाई के मौके पर समाज के लोग एक माह पहले से ही घरों की साफ-सफाई शुरू कर देते हैं। पर्व के दिन जुहार भेंट कर बड़े बुजुर्गो को आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन लोग आपसी मन मुटाव को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं।

-अनीता बिभार, अध्यक्ष, राज क्लब गंडा समाज महिला समिति

खेत-खलिहान की करते पूजा

नुआंखाई के मौके पर गंडा समाज के लोग खेत-खलिहान की पूजा करते हैं। पूर्वजों को नया अन्न अर्पित करने के बाद सभी एक साथ बैठकर नया अन्न ग्रहण करते हैं। पर्व के मौके पर सभी घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देते हैं।

- सुमन बिभार, गंडा समाज

युवा भी परंपरा के प्रति जागरूक

पश्चिम ओडिशा में मनाए जाने वाले नुआंखाई पर्व जमशेदपुर में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। समाज के युवा अपनी परंपरा के प्रति काफी जागृत हैं। नुआंखाई के अवसर मुर्गा, नया धान, टोकरी, सारु, नारियल, बिरीदाल, गुड़, हेडुआ, मिट्टी की हंडी आदि की आवश्यकता होता है।

- लता बाग, गंडा समाज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.