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40 दिनों तक जश्न का कोई समारोह नहीं करेगा ईसाई समाज, ये रही वजह

Lent Fiesta. ईसाई समाज का लेंट पर्व शुरू हो गया है। इस पर्व के दौरान समाज के लोग 40 दिन तक जश्न का कोई समारोह आयोजित नहीं करते।

By Edited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 03:46 PM (IST)
40 दिनों तक जश्न का कोई समारोह नहीं करेगा ईसाई समाज, ये रही वजह
40 दिनों तक जश्न का कोई समारोह नहीं करेगा ईसाई समाज, ये रही वजह

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  ईसाई समाज का लेंट पर्व शुरू हो गया है। इस पर्व के दौरान समाज के लोग 40 दिन तक जश्न का कोई समारोह आयोजित नहीं करते। बच्चों का नामकरण तो किया जाता है लेकिन, इस मौके पर पार्टी नहीं होती। ईस्टर के पूर्व ईसाई समुदाय का चालीसा राख बुधवार से शुरू हुआ।

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इसे लेंट काल, महाउपवास या ईस्टर काल भी कहा जाता है। इसमें शादी-विवाह, नामकरण पार्टी समेत किसी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है। चालीसा के पुण्य समय को पवित्र ढंग से व्यतीत करने एवं प्रभु यीशु के दुख भोग काल को याद किया जाता है। ईस्टर काल के दौरान पड़ने वाले सभी रविवार को विशेष प्रार्थना सभा होती है।

 क्या होता है राख बुधवार

लेंट के पहले दिन राख बुधवार मनाया जाता है। इस दिन ईसाई समाज के लोग अपने माथे पर राख का आशीष लगाते हैं। खजूर पर्व पर लाई गई खजूर की डाल को वर्षभर सहेज कर रखा जाता है। जिसे दूसरे वर्ष जलाकर उसकी राख बनाई जाती है। इसी राख का उपयोग विशेष आशीष प्रदान करने के बाद श्रद्धालुओं के मस्तक पर क्रूस चिह्न के रूप में लगाया जाता है। इस संबंध में फादर डेविड विंसेंट ने बताया कि राख बताता है कि हमारा जीवन यहीं से प्रारंभ होता है और अंत भी इसी राख में हो जाता है। उन्होंने बताया कि ईस्टर काल के मुताबिक ईस्टर से पहले वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था। ईस्टर (पास्का) से पहले आने वाले सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है।

हुई विशेष प्रार्थना

राख बुधवार के मौके पर शहर के चर्चो में विशेष प्रार्थना सभा हुई। सुबह छह बजे गोलमुरी चर्च में हुई प्रार्थना सभा में फादर डेविड विंसेंट ने कहा कि सभी मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में मिल जाएंगे। आग से राख बना और प्रभु सभी को राख से आग यानी ज्योति की ओर ले जाना चाहते हैं। बुधवार को माथे पर राख की आशीष लगाकर आने वाले 40 दिनों तक प्रार्थना, उपवास और परोपकार में अधिक समय व्यतीत करना है। शाम 5.30 बजे से गोलमुरी, मर्सी, बारीडीह, ज्ञानदीप, बिरसानगर समेत शहर के विभिन्न चर्चो में विशेष प्रार्थना सभा के बाद माथे पर राख का आशीष लगाया गया।


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