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टाटा स्टील के आमंत्रण पर 1956 में जमशेदपुर आए थे दलाई लामा Jamshedpur News

टाटा स्टील के आमंत्रण पर 1956 में दलाई लामा जमशेदपुर आए थे। उन्‍होंने विश्व शांति का संदेश देने के लिए साकची के बोधि सोसाइटी परिसर में बोधी वृक्ष का पौधा लगाया था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 10:32 AM (IST)
टाटा स्टील के आमंत्रण पर 1956 में जमशेदपुर आए थे दलाई लामा Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा टाटा स्टील के आमंत्रण पर पहली बार जमशेदपुर आए थे। वर्ष 1956 में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा जब जमशेदपुर आए थे, तब बोधि वृक्ष के पौधे को अपने साथ बोध गया से लेकर आए थे। उन्होंने विश्व शांति का संदेश देने के लिए साकची के बोधि सोसाइटी परिसर में इसे लगाया था। 

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अब यह ऐतिहासिक पेड़ लोगों के आस्था का केंद्र बन गया है। इस विशाल पेड़ के नीचे बैठकर लोग शांति की अनुभूति करते हैं। यह वही बोधि वृक्ष का हिस्सा है जिसके नीचे बैठकर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। उस बोधि वृक्ष को दुनिया में हर कोई सम्मान देता है। लौहनगरी आने पर वे अपने पहले दौरे के वक्त किए गए कायोौं को देख पाएंगे।

नियमित होती है पूजा

 इस बोधि वृक्ष की रोज नियमानुसार पूजा की जाती है। बौद्ध समाज के लोग इसके नीचे बैठकर विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना के लिए विशेष मंत्र का उच्चारण करते हैं। साथ ही इस पेड़ के नीचे ही बौद्ध समाज के लोग जनेऊ, दीक्षा आदि अनुष्ठान करते हैं। बोधि वृक्ष पर हर दिन जल अर्पित करना बौद्ध समाज में सौभाग्य माना जाता है।

शहर में है बौद्ध मुख्यालय

जमशेदपुर स्थित बोधि सोसाइटी झारखंड राज्य का बौद्ध मुख्यालय भी है। बिहार से अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 में बुद्ध पूर्णिमा के दिन सोसाइटी को प्रदेश का बौद्ध मुख्यालय घोषित किया गया था। यह झारखंड का एकमात्र ऐसा बोधि विहार है, जहां बौद्ध भिक्षु भी रहते हैं।

64 वर्ष बाद दूसरी बार आएंगे शहर

 बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा 64 वर्ष बाद शहर आएंगे। इसके पूर्व वे 21 वर्ष की उम्र में वर्ष 1956 में लौहनगरी आए थे। टाटा स्टील के आमंत्रण पर शहर आने के बाद दलाई लामा धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने के साथ ही टाटा स्टील कंपनी का भ्रमण भी किए थे। छह जुलाई 1935 में जन्मे दलाई लामा एक बार फिर 85 वर्ष की उम्र में लौहनगरी आएंगे। उनके आगमन की सूचना मिलते ही बौद्ध समाज में उत्साह का माहौल है।


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