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Dairy plant : तीन बार कैबिनेट की मुहर, दो बार शिलान्यास; फिर भी डेयरी प्लांट सपना

जमशेदपुर में मुख्यमंत्री ने 2016 में बालीगुमा के पास मेधा डेयरी प्लांट का शिलान्यास किया था। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन आठ एकड़ जमीन पर सिर्फ चारदीवारी ही बन सकी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 11:45 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 11:45 AM (IST)
Dairy plant : तीन बार कैबिनेट की मुहर, दो बार शिलान्यास; फिर भी डेयरी प्लांट सपना
Dairy plant : तीन बार कैबिनेट की मुहर, दो बार शिलान्यास; फिर भी डेयरी प्लांट सपना

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा।  मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि झारखंड में 350 से 400 करोड़ रुपये का दूध दूसरे राज्यों से आता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार यहां डेयरी प्लांट लगाएगी। यहां के किसानों से दूध खरीदेगी। इससे झारखंड में श्वेत क्रांति का सूत्रपात होगा और किसान समृद्ध होंगे। इसी आशय के साथ जमशेदपुर में मुख्यमंत्री ने 2016 में बालीगुमा के पास मेधा डेयरी प्लांट का शिलान्यास किया था। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन आठ एकड़ जमीन पर सिर्फ चारदीवारी ही बन सकी।

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उन्होंने जिस शिलापट का अनावरण किया था, अब उसका नामोनिशान तक मिट चुका है। वहां ईंट-गारे के ढांचे में काली शिला भर रह गई है। उस पर लिखा एक शब्द नहीं बचा है। विडंबना यह भी है कि इसी प्लांट का 2010 में तत्कालीन कृषि मंत्री मथुरा महतो ने भी शिलान्यास किया था। उसकी कोई निशानी भी नहीं बची है। हां, इतना जरूर हुआ कि नौ वर्षों में जमशेदपुर की इस डेयरी की उत्पादन क्षमता कागज पर 25 हजार लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 50 हजार लीटर हो गई है। तब से प्रतिवर्ष इसके लिए बजट भी पारित होता है, पर यह प्लॉट पर नजर नहीं आया। जमशेदपुर सहित बालीगुमा के लोग इस खाली जमीन को इस उम्मीद से निहारते हैं कि कभी न कभी यह खुलेगा तो उनके दिन बहुरेंगे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी जमशेदपुर व गिरिडीह में मेधा डेयरी प्लांट खोलने के लिए 75.34 करोड़ रुपये का बजट पारित हुआ था।

झूल रही जंग लगी एक गेट

गनीमत है कि इस प्लॉट की चारदीवारी सही सलामत है। मुख्य दरवाजे में लगा एक गेट जंग खाते हुए बदहाल प्रोजेक्ट की गवाही दे रहा है। इसका एक पल्ला उखड़कर परिसर के बाहर रखा हुआ है। बाहर मेधा डेयरी (झारखंड स्टेट मिल्क फेडरेशन) का गोदाम है। इसका इस्तेमाल शीतगृह के रूप में होता है। यहां प्रतिदिन रांची के होटवार स्थित मेधा डेयरी से  दूध, दही, लस्सी, पनीर आदि लाकर रखे जाते हैं। इसका वितरण शहर व आसपास में किया जाता है। इस डेयरी के निर्माण में बड़ी बाधा संपर्क सड़क भी है, जो टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) से मिलती है। नेशनल हाइवे के पास होने से इस डेयरी के फलने-फूलने की संभावना काफी अधिक है, लेकिन इसके निर्माण से पहले संपर्क सड़क को चौड़ा करना आवश्यक होगा। 

जमशेदपुर में हर दिन 4.5 लाख लीटर दूध की मांग

जमशेदपुर और आसपास की आबादी करीब 16 लाख है। इस हिसाब से यहां हर दिन करीब 4.5 लीटर दूध की मांग है। इसकी आपूर्ति मौजूदा डेयरी नहीं कर पा रही है। आदित्यपुर स्थित सुधा डेयरी हर दिन 1.5 लाख लीटर का उत्पादन करती है, तो चौका में खुली अमूल डेयरी करीब एक हजार लीटर उत्पादन करती है। करीब 25 हजार लीटर दूध मेधा, ओसम आदि आते हैं। शेष दूध की आपूर्ति दूसरे ब्रांड से होती है, जिनकी गुणवत्ता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। खटाल वाले ज्यादातर सस्ते मिल्क पाउडर बेचते हैं। इस लिहाज से यहां बड़े ब्रांड के दो-तीन डेयरी खुलने की संभावना है। 

- देवव्रत कुंडू, मुख्य कार्यकारी, सुधा डेयरी

 चिंता की बात

  •  पूर्वी सिंहभूम जिले को दूध तो मिला नहीं, शिला का भी हो गया नाश
  •  सीएम से नौ वर्ष पूर्व कृषि मंत्री मथुरा महतो ने भी किया था शिलान्यास
  • झारखंड बजट में 25 हजार लीटर से बढ़कर 50 हजार लीटर हो गई क्षमता

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