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Success Story : सब्जी की खेती में पोटका के युवा दधीचि मंडल ने बनाई पहचान, युवाओं-कृषकों के बने रोल मॉडल

Success Story. दधीचि कहते हैं कि पारंपरिक खेती के अलावा किसान दूसरे कृषि विकल्प पर भी विचार करें। सब्जी खेती नगद मुनाफे का अच्छा स्रोत है। जमशेदपुर जैसा शहर अपने जिले में है। सब्जी के लिए बाजार की भी उपलब्धता हमेशा बनी रहती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 04:34 PM (IST)
Success Story : सब्जी की खेती में पोटका के युवा दधीचि मंडल ने बनाई पहचान, युवाओं-कृषकों के बने रोल मॉडल
अपने खेत में युवा प्रगतिशील किसान दधीचि मंडल। जागरण

जमशेदपुर, जासं। पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत पोटका ग्राम के रहनेवाले दधीचि मंडल युवा प्रगतिशील किसान हैं। दधीचि ने इंटर तक की पढ़ाई की है, तो साथ में आइटीआइ भी किया है। ये सब्जी उगाकर युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

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दधीचि कहते हैं कि पढ़ाई के बाद जब खेती-किसानी की तरफ रूझान हुआ, तो लोगों ने मेरे फैसले पर सवाल उठाए। लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। सब्जी की खेती की तकनीकी जानकारी तथा आवश्यक सहयोग जिला कृषि विभाग व आत्मा से लेकर इस कार्य को आगे बढ़ाया।  पारंपरिक रूप से धान आदि की खेती तो उनके पिताजी भी करते थे, लेकिन इससे घर की सभी आर्थिक जरूरतें पूर्ण नहीं हो पाती थीं। इसी कारण से उन्होने जिले में बाजार की उपलब्धता को देखते हुए सब्जी की खेती की तरफ ध्यान दिया।     

सब्जी की खेती से सालाना करीब दो लाख रुपये की हो रही आमदनी

दधीचि मंडल को आत्मा के तरफ से येलो ट्रैप दिया गया है, जिसे सब्जी खेत की क्यारियों में एक निश्चित दूरी पर लगाया जाता है। ट्रैप का पीला रंग देखकर कीड़े आकर्षित होकर उसमें फंस जाते हैं। इसके साथ ही जिला उद्यान विभाग से कीट रहित संरचना एवं ड्रिप इरीगेशन भी अनुदान पर प्राप्त किया। समय-समय पर आत्मा के प्रखंड कर्मी द्वारा इनके खेतों का भ्रमण कर उचित तकनीकी सुझाव भी दिया जाता है। अभी दधीचि मंडल ने चार बीघा जमीन में बरबटी, फूलगोभी, बंदगोभी, करेला, फ्रेंचबीन, टमाटर, सरसों आदि लगाया है। सब्जी की खेती से दधीचि को सालाना करीब दो लाख रुपये की आमदनी हो रही है।

दधीचि ने कृषि विभाग व आत्मा का जताया आभार

जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी व आत्मा के जिला एवं प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारी एवं कर्मचारी को धन्यवाद देते हुए दधीचि कहते हैं कि पदाधिकारियों के निरंतर सहयोग से ही उन्हें खेती करते रहने में सहूलियत हुई। किसानों से अपील करते हुए दधीचि कहते हैं कि पारंपरिक खेती के अलावा किसान दूसरे कृषि विकल्प पर भी विचार करें, सब्जी खेती नगद मुनाफे का अच्छा स्रोत है। जमशेदपुर जैसा शहर अपने जिले में है। ओडिशा व बंगाल का बॉर्डर भी जिले को छूता है, जिससे सब्जी के लिए बाजार की भी उपलब्धता हमेशा बनी रहती है।


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