मानसून की बेरुखी से सूखने लगे खेत, मुरझाने लगे किसानों के चेहरे
Crisis on farming. मानसून की बेरुखी से धान की फसल सूखने लगी है और खेत की हालत देखकर किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं।
सरायकेला, प्रमोद सिंह। Crisis on farming सरायकेला-खरसावां जिले में जुलाई के प्रथम पखवाड़े में मानसून की बेरुखी से खेत में धान की फसल सूखने लगी है और खेत की हालत देखकर किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं। जुलाई के प्रथम सप्ताह में जहां जिले 40.9 मिलीमीटर बारिश हुई और कृषि कार्य में तेजी आ गई थी वहीं दूसरे सप्ताह 33.3 एमएम बारिश हुई जिससे खेत सूखने लगे और लहलाती फसल मुरझाने लगी है।
जिले में जुलाई के प्रथम पखवाड़े में औसत 74.2 एमएम बारिश हुई जबकि जुलाई महीने का सामान्य वर्षापात 284.9 मिलीमीटर है। जुलाई के प्रथम सप्ताह की बारिश से खेतों में पानी भर गया था और धान की फसल लहलहाने लगी थी। जिला कृषि विभाग के अनुसार इस बार जून में सामान्य वर्षापात से 66 मिलीमीटर अधिक बारिश हुई। जून की बारिश कृषि कार्य के लिए वरदान रही और रोहिणी नक्षत्र में बोए गई धान की फसल लहलहाने लगी। अब कढ़ान के साथ ही रोपा धान की खेती रोपनी के लिए भी खोतों में पानी की जरूरत थी। जुलाई के पहले सप्ताह तीन दिनों तक मौसम सामान्य रहा और चार जुलाई से बारिश होने लगी थी। जुलाई के प्रथम सप्ताह जिले में औसत 40.9मिलीमीटर बारिश हुई। जिससे कृषि कार्य में तेजी आ गई और कढ़ान एवं रोपनी का काम चलने लगा परंतु जुलाई के दूसरे सप्ताह मानसून की बेरुखी से किसानों के सारे मनसूबे पर पानी फिर गया और कृषि कार्य प्रभावित होने लगा है।
किसानों को सता रहा सुखाड़ का डर
किसानों की माने तो मानसून की यही बेरुखी रही तो कहीं जिले में सुखाड़ की स्थिति न आ जाए। जिला कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 15 जुलाई बुधवार तक जिले के सरायकेला प्रखंड में 100.6 एमएम, खरसावां में 57.6 एमएम, कुचाई में 72.2 एमएम, गम्हरिया 34.8 एमएम, राजनगर में 45.4 एमएम, चांडिल में 79.0 एमएम, नीमडीह में 79.2 एमएम, ईचागढ़ में सर्वाधिक 104.6 एमएम तथा कुकड़ु प्रखंड में 94.8 एमएम बारिश हुई।