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अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने गर्भवती नाबालिग को दिलाया न्याय

मनोज सिंह, जमशेदपुर : जमशेदपुर के सिदगोड़ा थाना क्षेत्र में 30 अगस्त 2017 को एक नाबालिग अपने

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 10:05 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 10:05 AM (IST)
अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने गर्भवती नाबालिग को दिलाया न्याय
अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने गर्भवती नाबालिग को दिलाया न्याय

मनोज सिंह, जमशेदपुर : जमशेदपुर के सिदगोड़ा थाना क्षेत्र में 30 अगस्त 2017 को एक नाबालिग अपने पड़ोसी की निर्दयता की शिकार हो गई थी, जो शहर ही नहीं पूरे राज्य में चर्चित हुई थी। मामले का खुलासा तब हुआ, जब 12 साल की लड़की 22 हफ्ते की गर्भवती हो गयी थी। बच्ची की जान बचाने के लिए उसकी मां ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई कि मेरी बच्ची को गर्भपात की इजाजत दे। 22 हफ्ते की गर्भवती बच्ची को गर्भपात की इजाजत के लिए दिए गए क्रिमिनल याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस रंजन मुखोपाध्याय की अदालत में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया और तत्काल रिपोर्ट देने का आदेश दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार से बच्ची का तत्काल उचित इलाज उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया। सरकार ने तत्काल जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य को पत्र जारी कर बच्ची की मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया। इसके बाद बच्ची की मेडिकल जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई। इस मामले में गर्भवती नाबालिग बच्ची को न्याय दिलाने के लिए जमशेदपुर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता रंजनधारी सिंह मुफ्त में केस लड़ने के लिए आगे आए। उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक नाबालिग व उसके परिजन को न्याय नहीं मिल जाता वह तब तक केस लड़ेंगे।

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जानकारी हो कि सिदगोड़ा थाना क्षेत्र में 30 अगस्त 2017 को 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ उसके पड़ोसी उदय गागराई के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने तो आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन बच्ची गर्भवती हो गयी थी। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मेडिकल जांच के लिए खासमहल स्थित सदर अस्पताल भेजा गया था। सदर अस्पताल ने नाबालिग को यह कहते हुए एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया कि वह गर्भवती है। एमजीएम में पीड़िता के परिजन द्वारा गर्भपात कराने का आग्रह किया गया, लेकिन अस्पताल ने गर्भपात कराने से इंकार कर दिया।

अस्पताल का कहना था कि कोर्ट के आदेश पर ही गर्भपात हो सकता है। जमशेदपुर के अधिवक्ता रंजनधारी सिंह बताते हैं कि उनके कहने पर हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामसुभग सिंह ने बच्ची व उसकी मा की ओर से 11 अक्टूबर को हाईकोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने गर्भपात की इजाजत दे दी।

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रंजनधारी सिंह के प्रयास ने दिखाया रंग

अधिवक्ता रंजनधारी सिंह कहते हैं कि मैने प्रण ले लिया था कि बच्ची को न्याय दिलाकर रहूंगा। यही कारण है कि मैं खुद अपने वरिष्ठ अधिवक्ता रामसुभग सिंह के सहयोग से बच्ची व उसकी मां का केस लड़ा और उसे न्याय दिलाने में कामयाबी पाई। बच्ची का गर्भपात हाईकोर्ट के निर्देश पर रिम्स रांची में कराया गया। इसके बाद उसे जमशेदपुर लाया गया। जमशेदपुर आने के बाद जिला प्रशासन की ओर से भी पीड़िता को आर्थिक मदद दी गयी।


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