बंगाल सीमा में स्ट्रेंच खोदने से हाथियों की शामत
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाथियों के वर्षो पुराने परंपरागत रास्ते मे
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाथियों के वर्षो पुराने परंपरागत रास्ते में ट्रेंच खोद देने के कारण उनका झुंड गांव की ओर आ-जा रहा है। इसका खामियाजा आम जनता को जन-धन की हानि से भुगतना पड़ रहा है। साथ ही वन विभाग को भी हाथियों को काबू में करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
इस संबंध में घाटशिला के रेंजर सुशील कुमार वर्मा कहते हैं कि गांव के नजदीक जंगल में हाथियों का झुंड देखने के साथ ही लोग उससे छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिसके कारण वन विभाग को काफी परेशानी हो रही है। स्थिति ऐसी है कि लोग जंगली हाथी के साथ पालतू जैसा व्यवहार कर रहे हैं। यदि हाथी क्रोध में आकर जान-माल की नुकसान कर दें तो परेशानी वन विभाग को भी होती है।
घाटशिला के रेंजर ने बताया कि केशरपुर गांव के जंगल में हाथियों का झुंड के साथ ग्रामीण छेड़छाड़ कर रहे थे। हाथियों का झुंड बुरूडीह, बासाडेरा, दिघा, कालचिती, टिकरी दिनामारी, मिर्गीटांड, पुनगोड़ा, माकुली, पहाड़पुर, केशरपुर आदि इलाके में भ्रमण कर रहा है।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाथियों के पुराने परंपरागत रास्ते में ट्रेंच बना दिया था। हाथियों का झुंड मुसाबनी, कुंदरूकोचा से होते हुए पोटका के बालिगड़िया गांव तक पहुंच गया था। जहां काफी नुकसान किया था। इसकी जानकारी झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक लाल रत्नाकर सिंह को दी गई, पीसीसीएफ ने इस मामले की रिपोर्ट जमशेदपुर डीएफओ सबाआलम अंसारी से मागी थी। जमशेदपुर डीएफओ ने स्वयं घटना स्थल का जायजा लेकर रिपोर्ट बनाई। जिसमें स्पष्ट था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने हाथी के परंपरागत रास्ते में ट्रेंच खोद दिया था। जिसके कारण हाथी बंगाल न जाकर झारखंड व ओडिशा की ओर भटक रहे हैं।