Move to Jagran APP

मानसिक रूप से बीमार लोग ही करते हैं बच्चों का यौन शोषण

बाल यौन शोषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह मानसिक बीमारी है। इसके प्रति लोगों को जागरूक होना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 09:00 AM (IST)
मानसिक रूप से बीमार लोग ही करते हैं बच्चों का यौन शोषण
मानसिक रूप से बीमार लोग ही करते हैं बच्चों का यौन शोषण

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : बच्चों का यौन शोषण करना एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। ऐसा करने वाले खुद भीतर से बीमार होते हैं, भले ही उन्हें इस बात का एहसास नहीं हो। वैसे बाल यौन शोषण की यह समस्या गहराती जा रही है। आए दिन इस तरह की शर्मनाक व अमानवीय घटनाएं सामने आ रही हैं। समाज को जागरूक बना कर ही हम इस बुराई और बीमारी को दूर भगा सकते हैं। यह कहना है कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ.अविनाश कुमार सिंह का।

loksabha election banner

प्रो.डॉ.अविनाश कहते हैं कि जागरुकता के अभाव में अक्सर इस तरह के मामले दब जाते हैं। चंद मामले ही किसी तरह सामने आ पाते हैं। हमसब की सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामलों को किसी सूरत में दबने नहीं दें। परिवार के सदस्यों की भूमिका इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। स्कूल व कॉलेजों में शिक्षकों के समक्ष भी इस तरह की कई घटनाएं आती हैं, जिससे वे स्वयं पहल कर मामले का निबटारा करते हैं। प्रो. डा. अविनाश कहते हैं कि बाल यौन शोषण का एक ऐसा ही मामला उनके समक्ष भी आया था। जब वे जमशेदपुर में थे। एक बस्ती से 11 वर्षीय एक बच्ची दौड़कर उनके आवास पर आई। वह रो रही थी। कुछ नहीं कह पा रही थी। बार-बार पूछने के बाद भी उसने कुछ नहीं बताया। उन्हें शंका हुई। वह कुछ कहना चाहती थी, पर नहीं कह पा रही थी। उनके मन में बेचैनी हुई। अगले दिन उस बस्ती में गए, जहां से यह बच्ची रोती हुई आई थी। पहले बच्ची का घर खोजा। उसके बाद परिजन से मिले तो पता चला कि वह बाल यौन उत्पीड़न का शिकार हो चुकी है। सहमी हुई है सो कुछ नहीं कह पा रही। उसके बाद बच्ची व उनके परिवार की काउंसिलिंग की गई। कुछ दिनों के बाद बच्ची सामान्य हुई और दोबारा स्कूल पहुंचाया गया। अब वह एक कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रही है।

प्रो.डॉ. अविनाश कहते हैं कि परिजन को चाहिए कि वे हर दिन बच्चों की निगरानी करें। बच्चों के मनोभाव को तुरंत समझने का प्रयास करें। उनसे निरंतर संवाद बनाए रखें। बच्चों को इस कदर बोल्ड बनाएं कि वे हर बात मां-बाप से शेयर कर सकें। हर स्कूल को चाहिए कि बच्चों से निरंतर इस विषय पर संवाद करें। संवाद से ही बच्चों की यह समस्या दूर हो सकती है।

--------------

कोट

बाल यौन उत्पीड़न की घटनाएं समाज में हर दिन कहीं न कहीं हो रही हैं। इसे रोकने के लिए हमें जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। समाज में छुपे ऐसे बीमार लोगों को बाहर निकालना होगा। ऐसे लोगों की काउंसिलिंग जरूरी है।

- सलावत महतो, अधिवक्ता

--------------

बाल यौन शोषण करनेवाले लोगों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि दूसरा कोई ऐसी हरकत करने के बारे में दस बार सोचे। लड़किया अपनी मा को बेस्ट फ्रेंड मानकर उन बातों को शेयर करें। इससे उनकी समस्याओं का त्वरित हल हो सकता है।

- सुधाकर लाल दास, अभिभावक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.