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Covid 19 Lockdown : इतने पास होकर कितने दूर हम, अपने शहर आकर भी मम्मी-पापा से दूर Jamshedpur news

Covid 19 Lockdown. रेड जोन कोलकाता से जब बाहर निकली तो लगा दूसरी जिंदगी मिल गई। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 10:57 AM (IST)
Covid 19 Lockdown : इतने पास होकर कितने दूर हम, अपने शहर आकर भी मम्मी-पापा से दूर Jamshedpur news
Covid 19 Lockdown : इतने पास होकर कितने दूर हम, अपने शहर आकर भी मम्मी-पापा से दूर Jamshedpur news

जमशेदपुर, जासं। बारीडीह की रहनेवाली छात्रा ने कोरोना का खौफ काफी नजदीक से देखा है। रेड जोन कोलकाता से जब बाहर निकली तो लगा दूसरी जिंदगी मिल गई। सोचा, घर आकर मम्मी-पापा को गले लगाकर पहले खूब रोऊंगी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

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सड़क मार्ग से जब कोलकाता से निकली तो वहां का खौफनाक मंजर देख पीछे मुड़कर देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी। बस वह अपने घर बारीडीह पहुंचना चाहती थी। चेकनाका पर गाड़ी रोक ली गई। वहां तैनात अधिकारियों को जब पता चला कि वह रेड जोन कोलकाता से आई है तो सीधे कदमा स्थित क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया। छात्रा बताती है, भैया, यू समझिए हम सब आसमान से गिरकर खजूर पर लटक गए। एक ही शहर में रहकर अपने माता-पिता से भी नहीं मिल पा रहे हैं। 

रेड जोन से आना बन गया मुसीबत

हालांकि, क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था से वह खुश हैं, लेकिन अपना घर तो घर ही होता है। चाहे वह फूस का ही क्यों न हो। व्यवस्था से खुश छात्रा मजाकिया लहजे में कहती है, अगर घर जाने को नहीं रहता तो यही रह जाती। 

सिदगोड़ा की छात्रा भी कोलकाता से गुरुवार को शहर पहुंची तो चेकनाका से सीधे कदमा स्थित क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया। शुरुआत में तो वह काफी घबरा गई और रोने लगी। छात्रा ने अधिकारियों से काफी मिन्नतें की कि उन्हें घर जाने दिया जाए, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। रेड जोन कोलकाता से आना इस छात्रा के लिए भी काल बन गया। 

मुसीबत में पहले घर का ही ख्‍याल आता है

बारीडीह की ही एक और छात्रा, जो कोलकाता में एमबीए की पढ़ाई कर रही है, बताती हैं, भैया, जिंदगी काफी कुछ सिखा देती है। कोरोना ने हम सबको सबक ही दिया है। भले ही आधुनिकता के इस दौर में हम भौतिकतावाद की अंधी दौड़ लगा रहे हो, लेकिन जब मुसीबत आती है तो सबसे पहले घर का ही ख्याल आता है। क्वारंटाइन सेंटर में दिन काटना मुश्किल हो रहा है। आखिर कब तक ऑनलाइन लूडो खेलकर दिन बिताऊं। छात्रा ने बताया कि क्वारंटाइन सेंटर पहुंचते ही नया टूथब्रश, टूथ पेस्ट, शैंपू, साबुन, तेल तक मिल गया। ऐसा तो सोचा ही नहीं था। इन तीनों छात्रा की तरह कई लोग शहर के क्वारंटाइन सेंटर में समय बीता रहे हैं।

चार पॉजि‍टिव मिलने से बढ़ी चिंता

 लॉकडाउन के दौरान जिले में आने वाले लोगों को होम क्वारंटाइन में रखा जा रहा था, लेकिन तीन दिन के अंदर चार संक्रमित मिलने के बाद ज्यादातर लोगों को सरकारी क्वारंटाइन में रखा जा रहा है। जमशेदपुर में तीन नगर निकाय हैं, मानगो, जमशेदपुर व जुगसलाई। तीनों ही नगर निकाय अपने-अपने क्षेत्र में बाहर से आए लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में रख रहे हैं। कदमा में बनाए गए नए क्वारंटाइन सेंटर जीटी हॉस्टल-4 तथा मानगो नगर निगम द्वारा पारडीह स्थित कौशल विकास केंद्र में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर की पड़ताल की गई। सेंटर में विभिन्न शहरों से आए 42 लोगों को रखा गया है। मानगो नगर निगम के भी पारडीह स्थित क्वारंटाइन सेंटर में 22 लोग हैं।  

जिले के 93 क्वारंटाइन सेंटर में 1856 लोग रह रहे

पूर्वी सिंहभूम जिले में वैसे तो 262 क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, जिसमें फिलहाल 93 का ही उपयोग हो रहा है। 93 सेंटर में 1856 लोग रह रहे हैं। वहीं करीब 7000 लोग होम क्वारंटाइन में हैं, जिन पर सुरक्षा एप से नजर रखी जा रही है। ये जैसे ही घर से निकलते हैं, जिला कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाती है। 

मेनू बदलकर दिया जा रहा नाश्ता-खाना 

क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों को मेनू बदल-बदल कर नाश्ता व खाना दिया जा रहा है। विशेष समुदाय के लोगों के लिए सेहरी व इफ्तार के समय अलग नाश्ता व खाना, जबकि अन्य लोगों के लिए खिचड़ी, चोखा, चावल, दाल, रोटी, सलाद, अचार से लेकर इडली, उपमा भी दिया जा रहा है। 


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