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Corruption in Jharkhand Forest Department : मनोहरपुर के रेंजर को वन विभाग से मिला था 1.5 करोड़ रुपए का काम, उसी में उसने किया बड़ा गेम

Manoharpur Ranger Corruption News वन विभाग में वित्तीय अधिकार के मामले में रेंजर की भूमिका अहम होती है। किसी भी तरह वित्तीय लेनदेन रेंजर के जरिये ही होता है। बिना उसकी अनुमति के पैसे की निकासी नहीं हो सकती। बता दें रेंजर एक करोड़ रुपए के साथ पकड़ाया था।

By Sanam SinghEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 06:10 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 06:10 PM (IST)
Chaibasa News : वन विभाग में फाइनेंशियल एक्जीक्यूटर आफ फारेस्ट के नाम से जाने जाते हैं रेंजर।

सुधीर पांडेय, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिला में घूस की रकम के साथ करीब 1 करोड़ रुपये आवास से मिलने के बाद वन विभाग में सभी रेंजर संदेह के घेरे में आ गये हैं। लोगों का कहना है कि वन विभाग में वित्तीय गड़बड़ी झारखंड के सभी वन क्षेत्रों में पदस्थापित रेंजर करते हैं। हालांकि, यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आ पाती है।

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कुछ माह पहले पाकुड के रेंजर अनिल सिंह को विभाग के विरुद्ध काम करने के आरोप में अनिवार्य सेवानिवृति दी गयी है। अब विजय कुमार का निलंबन हो रहा है। वन विभाग के कार्यों से जुड़े लोगों का कहना है कि वन विभाग में वित्तीय अधिकार के मामले में रेंजर की भूमिका सबसे अहम होती है। किसी भी तरह वित्तीय लेनदेन रेंजर के जरिये ही होता है। बिना उसकी अनुमति के पैसे की निकासी नहीं हो सकती। यही वजह है कि रेंजर को वन विभाग में फाइनेंशियल एक्जीक्यूटर आफ फारेस्ट के तौर पर देखा जाता है। सरकार की ओर से विभिन्न योजना मद में स्वीकृत राशि रेंजर के खाते में ही ट्रांसफर होती है। रेंजर ही किये गये काम के एवज में उक्त राशि संबंधित ठेकेदारों को देते हैं। ये एक तरह से एजेंसी के तौर पर काम करते हैं।

50 लाख से एक करोड़ रुपये तक का काम रेंजर कराते हैं

एक वित्तीय वर्ष में एक रेंज को कम से कम 100 हेक्टेयर का काम मिलता है। इस हिसाब से 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक का काम रेंजर कराते हैं। इसी में रेंजर अपना अर्थ तंत्र बैठा लेते हैं। अगर विजय कुमार की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंतर्गत 30 मार्च को एक रेंज के लिए उसके खाते में 50 लाख से अधिक रुपये आवंटित हुए थे। चूंकि विजय कुमार आनंदपुर, कोयना और सोंगरा रेंज के प्रभार में था इसलिए लगभग 1.5 करोड़ रुपये का काम कराने के लिए सरकारी राशि उसके खाते में भेजी गयी। इस राशि को खर्च करने में ही रेंजर बड़ा गेम कर दिया।  संभावना जतायी जा रही है कि विजय कुमार बालू, लकड़ी, लौह अयस्क की ओवरलोडिंग के साथ-साथ विभाग से जुड़े कामों के बदले संबंधित लोगों से बड़ी रकम की उगाही करता था। इस बार कमाए 99 लाख रुपये वो ठिकाने पर लगाता तब तक पंचायत चुनाव शुरू हो गये और वो रकम को कहीं ले जा नहीं सका और अपने ही घर की आलमारी, बिस्तर के नीचे व अन्य जगह छिपा दिये थे। अगर 2500 रुपये घूस लेते वो एसीबी के हत्थे नहीं चढ़ता तो रेंजर के अर्थ तंत्र का कभी खुलासा ही नहीं होता।

रेंजर विजय कुमार ने इस वित्तीय वर्ष में जो भी काम कराये, उसकी जांच करायी गयी थी। किसी तरह की गड़बड़ी नजर नहीं आयी था। सरकार के स्तर से अगर दोबारा जांच का आदेश आता है तो फिर से गहन जांच करायी जायेगी। वन विभाग में रेंजर को साल भर में कराये गये कार्य के विरुद्ध पैसा दिया जाता है।

-नीतिश कुमार, डीएफओ, पोड़ाहाट वन प्रमंडल।

किस रेंजर को कहां का मिला है प्रभार

राजेश्वर प्रसाद - चाईबासा वन प्रक्षेत्र, नुवामुंडी वन प्रक्षेत्र एवं सारंडा वन प्रमंडल का सासंगदा वन प्रक्षेत्र।

विजय कुमार - आनंदपुर वन प्रक्षेत्र, सोंगरा वन प्रक्षेत्र, सारंडा वन प्रमंडल के कोइना वन प्रक्षेत्र।

संजीव कुमार सिंह - समता वन प्रक्षेत्र व जराईकेला वन प्रक्षेत्र । संजीव इस साल सेवानिवृत होने वाले हैं। शंकर भगत - कुंदरुगुट्टू वन प्रक्षेत्र।

अजय कुमार - केरा वन प्रक्षेत्र और गिर्गा वन प्रक्षेत्र।


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