Positive India : कलम थामने वाले हाथ ने पकड़ी सिलाई मशीन, कोरोना से बचाव के लिए मास्क तैयार कर रहे शिक्षक
Positive India. आखिर ये शिक्षक हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठ सकते थे। सो कलम थामने वाले हाथ ने सिलाई मशीन पकड़ ली और जुट गए कोरोना से बचाव के लिए मास्क बनाने में।
मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम), मुरारी प्रसाद सिंह।Positive India देश के हालात जब प्रतिकूल हों तो हर आम ओ खास की जिम्मेदारी बनती है कि इसे अनुकूल बनाने में अपने स्तर से जो बन पड़े, करें। वैश्विक संकट पर बनकर सामने खड़े कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के बीच जब हर कोई अपने स्तर से जो बन पा रहा है, कर रहा है तो आखिर ये शिक्षक हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठ सकते थे। सो कलम थामने वाले हाथ ने सिलाई मशीन पकड़ ली और जुट गए कोरोना से बचाव के लिए मास्क बनाने में। ये शिक्षक मास्क बनाकर निश्शुल्क वितरण के लिए मुहैया करा रहे हैं।
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड के सरकारी विद्यालयों के कई शिक्षक कलम छोड़ सिलाई मशीन पर फेस मास्क बनाने में दिन-रात जुटे हैं। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा मास्क तैयार करें ताकि जरूरतमंद लोगों को मुहैया कराया जा सके। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुसाबनी प्रखंड अध्यक्ष सह उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तालाडीह सुरदा के प्रभारी प्रधानाध्यापक राज कुमार रौशन के नेतृत्व में शिक्षक सुजीत कुमार कर्ण, सुरेंद्र प्रसाद, प्रदीप कुमार महतो, दिनेश मालाकार,अम्बर सिंहा, धनंजय कुमार, बसंत लाल,कुलानंद अरगरिया, अरुण कुमार ने अबतक 55व मास्क तैयार कर लिए हैं। शिक्षकों ने ये मास्क मुसाबनी के थाना प्रभारी को जरुतमंदों के बीच बांटने के लिए प्रदान भी कर दिया है। कपड़े से तैयार एंटी कोरोना फेस मास्क लोगों को खूब पसंद आ रहा है। लोगों इसे निश्शुल्क पाकर शिक्षकों को धन्यवाद दे रहे हैं।
इस तरह आया आइडिया
राजकुमार रौशन बताते हैं कि शिक्षकों द्वारा मास्क घर पर ही तैयार किया जा रह है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना वायरस की वजह से बाजार में मास्क की डिमांड बढ़ी और कीमत बढ़ने के साथ ही स्टॉक खत्म होने लगा तो शिक्षकों ने आपस में विचार किया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे कोरोना से जंग में उनकी सहभागिता भी हो। ऐसे में मास्क बनाकर निश्शुल्क वितरण के लिए मुहैया कराने का आइडिया और फिर जुट गए मास्क तैयार करने में। रौशन कहते हैं- मांग के अनुसार आपूर्ति कम होने से कीमत में तेजी से उछाल आया है। हालत यह है कि दो-तीन रुपये में मिलने वाला यूज एंड थ्रो मास्क आठ से 10 रुपये में बिक रहा है। ऐसे में शिक्षकों की पहल लोगों के लिए सकूनदायक साबित हो रही है।
दो हजार से अधिक मास्क बनाने का संकल्प
शिक्षक ऐसा एंटी कोरोना फेस मास्क बना रहे हैं जिसे धोकर फिर से प्रयोग किया जा सकता है। बकौल रौशन- शिक्षकों ने श्रमदान कर दो हजार से अधिक मास्क बनाने का संकल्प लिया है। जैसे-जैसे मास्क तैयार हो रहा है। प्रशासन के माध्यम से लोगों तक निश्शुल्क वितरण किया जा रहा है।
इस तरह तैयार हो रहा मास्क
फेस मास्क सामान्य रुमाल व अन्य कपड़ों से तैयार किया जा सकता है। शिक्षक ने बताया कि करीब 60 से 70 रुपये में एक मीटर तक सूती कपड़ा मिल जाता है, जिसमें करीब 40 फेस मास्क आसानी से तैयार हो रहे हैं। पट्टी में मास्क की कटिंग करने के बाद बांधने के लिए कपड़े की स्ट्रिप या इलास्टिक लगाकर सिलाई कर दिया जाता है। इस तरह आधा घंटे के अंदर कई मास्क बनकर तैयार हो जाता है।