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Fight Against Corona : इनके जज्बे को सलाम, जान की बाजी लगा पहुंचा रहे अस्पताल

Fight Against Corona. दिनेश घोष से कुछ सीखना चाहिए। किस तरह से वह एक फाइटर की तरह न सिर्फ लड़ रहे है बल्कि एक मिसाल भी कायम कर रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 04:29 PM (IST)
Fight Against Corona : इनके जज्बे को सलाम, जान की बाजी लगा पहुंचा रहे अस्पताल

जमशेदपुर, अमित तिवारी। Fight Against Corona देश विकट स्थिति में है। उसमें भी कालाबाजारी हावी है। ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। ऐसे लोगों को झारखंड के जमशेदपुर के मानगो शंकोसाई निवासी दिनेश घोष से कुछ सीखना चाहिए। किस तरह से वह एक फाइटर की तरह न सिर्फ लड़ रहे है, बल्कि एक मिसाल भी कायम कर रहे हैं।

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जी हां, पढ़ाई-लिखाई भले ही थोड़ा कम हुई है, लेकिन देशभक्ति का जज्बा इनमें कूट-कूट कर भरा है। ऐसे हालात में दिनेश घोष जैसे युवा ही देश को संकट से बाहर निकालने में मददगार साबित होंगे। दिनेश भले ही सोच बड़ी है। इसी का परिणाम है कि वह मरीजों को मुफ्त में अपने ऑटो से अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उनका प्रयास देखकर मानगो चौक पर तैनात पुलिस कर्मी भी चौंक गए, लेकिन जबतक पुलिस को दिनेश घोष के बारे में पता चलता, तब तक उनका ऑटो का आगे का हिस्सा टूट चुका था।

तब पुलिसकर्मी भी चौंक पड़े

दरअसल, डिमना रोड निवासी राकेश कुमार ने दिनेश घोष को फोन किया और बुलाया। इस दौरान कहा कि उनके परिवार में किसी महिला की तयीबत खराब है और उसे महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल अस्पताल ले जाना है। तब वह घर पर ही थे, क्योंकि शहर में कोरोना वायरस की वजह से धारा 144 लागू है। 15 मिनट के अंदर वह राकेश के घर पर अपना ऑटो लेकर पहुंच गए और रोगी महिला को लेकर निकल पड़े, लेकिन वह जैसे ही मानगो चौक पर पहुंचे तो पुलिस ने उनकी ऑटो को वापस ले जाने को कहा। इस दौरान दिनेश ने मरीज को अस्पताल पहुंचाने की भी बात कही, लेकिन पुलिस उनकी बातों को समझ नहीं सकी और ऑटो के अगले हिस्सा पर डंडा चला दी। इससे अगला हिस्सा टूट गया। इसके बाद रोगी महिला ने पुलिस को बुलाकर अपनी पीड़ा बताई और दिनेश द्वारा किए जा रहे कार्य भी। तब पुलिस चौंक गई और उन्हें शाबासी भी दी। इसके बाद महिला को एमजीएम अस्पताल पहुंचाया गया।

किसी का तबीयत बिगड़ती है तो टेंशन नहीं लेना, दिनेश को फोन करना 

 दिनेश ने बताया कि पहले मैं केवल रात के समय मुफ्त में सेवा दिया करते थे, लेकिन देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए मैंने निर्णय लिया कि अब दिन में यानी 24 घंटे मरीजों की सेवा को तैयार होना होगा। यह महत्वपूर्ण समय देश के नाम करने का है। इसे देखते हुए दिनेश ने अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया कि यदि आपकी तबीयत बिगड़ती है तो टेंशन मत लीजिएगा। दिनेश को 7717764843 पर कॉल करिएगा। मैं जहां भी रहूं, आपकी सेवा में जरूर आऊंगा और अस्पताल मुफ्त में पहुंचाने का कार्य करुंगा।

कोरोना वायरस के प्रति जागरूक भी कर रहा दिनेश

दिनेश कहता है कि मैं कोई चिकित्सक या मेडिकल स्टाफ नहीं हूं फिर भी इतना पता है कि कोरोना वायरस से कैसे बचा जा सकता है। समाचार पत्रों में इस महामारी बीमारी से कैसे बचने के सुझाव दिए जा रहे है। उसे पढ़ने के बाद मैंने भीड़-भाड़ वाली जगह में भी जाना बंद कर दिया और फिलहाल अपने बस्ती में ही लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रहा हूं।

यशवंतपुर में दो दिन भूखे रहे रेलकर्मी, उत्साह में कमी नहीं

 टाटानगर से ट्रेन लेकर दर्जन भर रेलकर्मी यात्रियों को उनके गंतव्य तक तो पहुंचाने में कामयाबी तो हासिल कर ली, लेकिन खुद भूखे प्यासे दिन काटने को मजबूर थे। न ही उन्हें रेलवे ने मदद की और न ही स्टेशन के बाहर खाना मिल रहा था। दो दिनों तक टाटानगर के रेलकर्मी भूखे प्यासे ही रहे इन्हें पानी तक नहीं मिल रहा था, लेकिन ऐसे ही फाइटर्स से हम कोरोना को मात दे सकते हैं। इसके बावजूद उनके उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिला।

दबाव पर खाली रैक से भेजा गया 

चक्रधरपुर मंडल के अधिकारियों ने यशवंतपुर के अधिकारियों से बात की जिसके बाद भी कुछ फायदा नहीं हुआ। सिर्फ इतना भर किया गया कि इन रेलर्किमयों को रनिंग रूम में रुपये लेकर सोमवार को खाना खिलाया गया और स्टेशन में लगी दो कोच में सोने की जगह दी गई, लेकिन टाटानगर से यशवंतपुर गए रेलकमिर्यों का सामान यशवंतपुर स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर डोडबेले स्टेशन के पास खड़ी ट्रेन में रखा हुआ था। सुरक्षा के अभाव के कारण यह रेलकर्मियों ने रात भर जाकर बिताई। टानगर से यशवंतपुर, जम्मू, एलेप्पी व दानापुर में जाकर रेलकर्मी फंस गए थे। चक्रधरपुर मंडल के अधिकारियों ने जब दबाव बनाया तो वहां से खाली रैक में रेलकर्मियों को बैठाकर टाटानगर के लिए मंगलवार की शाम रवाना किया। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण रेलकर्मियों से कोई ठीक से बात कर नहीं कर रहा था।

यह लोग फंसे थे यहां

यशवंतपुर : आरके सिंह, डी दुर्गा प्रसाद, इकबाल खान, नरसिंग हांसदा, डी प्रधान। तपन प्रधान, एस हुसैन। एलेप्पी : एसएस लागुरी, रमेश प्रसाद, बीआर हांसदा। जम्मू : एस बेहरा, एस वी राव, कमलेश कुमार।

दानापुर : अनिल महतो।

कोरोना की वजह से दूरी बना रहे थे लोग

एलेप्पी मे फंसे एसी मैकेनिक रमेश प्रसाद ने बताया कि ट्रेन लेकर वे लोक एलेप्पी तो पहुंच गए। लेकिन उनके रहने खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। ट्रेन का परिचालन बंद होने से वे लोग बुरी तरह से फंस चुके थे। बाहर सभी दुकानें बंद होने की वजह से खाना भी नहीं मिल रहा था। फिर टाटानगर आने वाली एलेप्पी टाटा एक्सप्रेस के पेंट्री कार के संचालक को बोल कर खाना बनवाया और खाया। यशवंतपुर में फंसे एसी मैकेनिक आर के सिंह ने बताया कि कोरोना की वजह से लोग उनलोगों से दूरी बना रहे थे।


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