Coronavirus India Lckdown : कोरोना वायरस ने हम सभी की जिंदगी को प्रभावित किया : सौरभ तिवारी
Coronavirus India Lckdown. युवा क्रिकेटर सौरभ तिवारी ने लॉकडाउन के दौरान बिताए गए पल को दैनिक जागरण के साथ साझा किया। आप भी जानिए।
जमशेदपुर जासं। झारखंड की ओर से इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) में अभी तक 12 खिलाड़ी खेल चुके हैं, लेकिन केवल दो खिलाड़ी ही ऐसे हैं, जिन्होंने आइपीएल में शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। इनमें एक भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी व दूसरे हैं खब्बू बल्लेबाज सौरभ तिवारी।
सौरभ आइपीएल में आरंभिक तीन वर्षों तक मुंबई इंडियंस से जुड़े रहे। 2010 में उन्हें आइपीएल का सर्वश्रेष्ठ उदीयमान खिलाड़ी का सम्मान मिला। इसके बाद दो साल के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए खेले। 2011 में रॉयल चैलेंजर्स ने सौरभ तिवारी को सबसे अधिक बोली लगाकर साढ़े सात करोड़ में खरीदा था। इसके बाद एक साल दिल्ली और एक साल पुणो सुपरजायंट्स का हिस्सा रहे। 2017 में आयोजित दसवें आइपीएल में पुन: सौरभ की मुंबई इंडियंस में वापसी हुई। 2020 में एक बार फिर वह आइपीएल में मुंबई इंडियंस का प्रतिनिधित्व करेंगे।
सौरव को बढ़ाने में रहा सचिन का बड़ा योगदान
सौरभ को आगे बढ़ाने में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी बहुत बड़ा योगदान रहा, क्योंकि वे सचिन ही थे, जिन्होंने अपनी कप्तानी में सौरभ को पहली बार मुंबई इंडियंस जैसी टीम में बल्लेबाजी के लिए तीसरे अथवा चौथे नंबर पर भेजा। सौरभ ने भी मौके का फायदा उठाते हुए मुंबई के लिए उपयोगी पारियां खेलते हुए अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित कर ली। सौरभ ने 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैच में पदार्पण किया था। आइपीएल में अबतक खेले 81 मैच में सौरभ तिवारी ने 1276 रन बनाए हैं। लॉकडाउन में पूरी दुनिया रुक गई। खेल गतिविधियों पर भी इसका बुरा असर पड़ा। टोक्यो ओलंपिक तक को स्थगित कर देना पड़ा। आइपीएल होगा या नहीं, इस पर भी संशय बना हुआ है। सौरभ तिवारी ने लॉकडाउन के दौरान बिताए गए पल को दैनिक जागरण के साथ साझा किया।
लॉकडाउन में आप खुद को कैसे सुरक्षित रखते हैं?
पेशेवर क्रिकेटर होने के नाते खुद को फिट रखना पहली प्राथमिकता है। इसके लिए योग करने के अलावा घर में ही बने जिम में ही नियमित अभ्यास करता हूं। खाली समय का सदुपयोग परिवार के साथ एवं गाना सुनकर करता हूं। कोरोना काल में सुरक्षा का खास ध्यान रखता हूं। परिवार को भी इसके लिए सख्त हिदायत दे रखी है। लॉकडाउन ने हम सभी को काफी कुछ सीखने का मौका दिया। इसने हर किसी के जीवन को प्रभावित किया।
कोई एक इंडोर गतिविधि जो आपने अपने परिवार के साथ की थी?
आमतौर पर क्रिकेट के सिलसिले में हमेशा घर से बाहर रहता हू, लेकिन लॉकडाउन ने परिवार के साथ समय बिताने का मौका दे दिया। खुशी की बात यह है कि लॉकडाउन के पहले ही मेरी दोनों बहनें जमशेदपुर आ गई थी। ऐसे में भगीना व बेटे-बेटियों के साथ धमाचौकड़ी कर बचपन की यादें ताजा कर लेता हूं। परिवार के साथ लुडो खूब खेला। इस दौरान मोबाइल को स्विच ऑफ कर देता हूं।
लॉकडाउन के दौरान आपने खुद से कोई व्यजंन बनाया?
वैसे तो मुझे कूकिंग पसंद नहीं है। बस नींबू की चाय बनानी आती है। कई बार पूरे परिवार को चाय पिलाई है, तारीफ भी मिली है।
हमारी सामग्री और संपादकीय दर्शन के बारे में आपकी राय?
दैनिक जागरण में जो भी समाचार प्रकाशित होते हैं वह पूरी तरह तथ्यों पर आधारित होते हैं। इस कारण इस अखबार पर मेरा विश्वास बना हुआ है। जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त का लेख अवश्य पढ़ता हूं। इसके अलावा समसामयिक विषयों पर आधारित लेख भी जानकारीपरक होती है। अखबार में खेल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी समाचार तथा विशेष स्टोरी पढ़ने लायक होती है। जागरण मतलब विश्वास। दैनिक जागरण सकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करने वाला तथा लोगों को जागरूक करने वाला अखबार है। लॉकडाउन के दौरान इस अखबार ने प्रशासनिनक खामियों को उजागर तो किया ही, साथ ही उनके सकारात्मक कार्यों को भी स्थान दिया।
कोरोना योद्धा का धन्यवाद
कोरोना को मात देने के लिए फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, सफाईवाले सभी का हम सभी को शुक्रगुजार होना चाहिए। वह हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। चिकित्सकों एवं नर्सों ने जिस सेवा भाव के साथ कार्य किया उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये वह कम हैं। पुलिस विभाग की पूरी शैली इस दौरान बदली हुई दिखी। इस भाव को पूरी श्रद्धा के साथ नमन करता हूं। इसके बाद जिला प्रशासन की टीम व मीडिया कर्मियों ने जिस तरह इस कोरोना काल में सही तस्वीर पेश की वह किसी से छुपी नहीं है।
क्या आपको अपना दैनिक जागरण नियमित रूप से मिला ?
वैसे तो दैनिक जागरण से हमारे परिवार का पुराना लगाव है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह और भी करीब आ गया। लॉकडाउन के दौरान जागरण ही तन्हाई का साथी था। जब टीवी पर कोरोना को लेकर दहशत फैलाया जा रहा था, तब जागरण में ही सकारात्मक खबरें पढ़ने को मिलती थी। जागरण अभियान ..ताकि कोई भूखा ना सोय से प्रेरित होकर हमने भी पीएम व सीएम फंड में राशि दान किया। साथ ही गरीबों के बीच मास्क बांटे। कई लोगों को भ्रम है कि अखबार से संक्रमण फैलता है, जो सरासर गलत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे स्पष्ट किया।