CoronaVirus Effect : कोरोना वायरस ने लटकाया घंटी आधारित शिक्षकों का मानदेय
CoronaVirus Effect. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पूरे एक महीने कक्षाएं नहीं चलने से घंटी आधारित प्राध्यापकों को आर्थिक मार झेलनी पड़ेगी जबकि स्थायी प्राध्यापकों को वेतन मिलेगा।
जमशेदपुर/चाईबासा, जेएनएन। Coronavirus Economic damage to bell based teachers due to corona virus झारखंड के घंटी आधारित प्राध्यापकों की समस्या कोरोना वायरस की वजह से मचे कोहराम के बीच से बढ़ गई है। सरकार के आदेश के बाद विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में सभी कक्षाएं स्थगित है, जिसकी वजह से घंटी आधारित प्राध्यापकों को कोई भी मानदेय मिलता नजर नहीं आ रहा है । पूरे एक महीने कक्षाएं नहीं चलने से घंटी आधारित प्राध्यापकों को आर्थिक मार झेलनी पड़ेगी जबकि स्थायी प्राध्यापकों को वेतन मिलेगा।
मई और जून महीने के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी घंटी आधारित प्राध्यापकों को एक महीने का मानदेय नहीं मिलता है। साथ ही विश्वविद्यालय में इतनी छुटियां हमेशा होती है कि किसी भी घंटी आधारित प्राध्यापकों को पूर्ण मानदेय अथार्त 36 हजार रुपये कभी प्राप्त नहीं होते हैं। स्थिति कुछ भी हो नुकसान घंटी आधारित प्राध्यापकों को ही होता है। कोरोना वायरस के चलते जो एक माह के लिए कक्षाएं स्थगित हुई हैं , उसमें सरकार का ये भी निर्देश है कि सभी शिक्षक महाविद्यालय या विश्वविद्यालय आकर रोज रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे। सरकार के आदेश में कहीं भी घंटी आधारित शिक्षकों के बारे में कुछ नहीं लिखा है।
विश्वविद्यालय की अधिसूचना में भी कुछ स्पष्ट नहीं
उसी तरह विश्वविद्यालय ने भी अपनी अधिसूचना में घंटी आधारित प्राध्यापकों के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया। बहुत से महाविद्यालय विश्वविद्यालय की उसी अधिसूचना के आलोक में घंटी आधारित प्राध्यापकों को भी रोज अपनी उपस्थिति बनाने के लिए महाविद्यालय बुला रहे हैं जबकि इस अवधि का कोई भी मानदेय उन्हें नहीं प्राप्त होगा। वही कुछ महाविद्यालयों ने घंटी आधारित प्राध्यापकों को राहत देते हुए अधिसूचना जारी की कि उन्हें इस अवधि में महाविद्यालय नहीं आना है क्योंकि उन्हें इस अवधि का मानदेय नहीं मिलेगा।