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कोरोना का गोल्डन आवर 100 घंटे, छह मिनट में करें निमोनिया की पहचान, ये रहे तरीके

कोरोना मरीजों का गोल्डन आवर अगला 100 घंटे है। यानी चार से पांच दिन के बीच। यदि निमोनिया चार से पांच दिनों के अंदर पकड़ में आ जाता है और एंटी इंप्लेमेट्री व एंटी थ्रोंबोटिक दवाएं शुरू हो जाती है तो आप खतरे से बाहर हो सकते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 02:58 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 02:58 PM (IST)
कोरोना का गोल्डन आवर 100 घंटे, छह मिनट में करें निमोनिया की पहचान, ये रहे तरीके
आइएमए के संयुक्त सचिव सह जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष गुप्ता।

जमशेदपुर, अमित तिवारी। गोल्डन आवर बहुत महत्वपूर्ण शब्द होता है। यह आपकी जान ले भी सकता है और बचा भी सकता है। जिस तरह से हार्ट के रोगियों के लिए अगला एक घंटे गोल्डन आवर माना जाता है उसी तरह कोरोना मरीजों के लिए अगला 100 घंटे गोल्डन आवर साबित हो रहा है।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के संयुक्त सचिव सह शहर के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष गुप्ता ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना मरीजों का गोल्डन आवर अगला 100 घंटे है। यानी चार से पांच दिन के बीच। 375 मरीजों के आधार पर उन्होंने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के मरीजों में यदि निमोनिया चार से पांच दिनों के अंदर पकड़ में आ जाता है और एंटी इंप्लेमेट्री व एंटी थ्रोंबोटिक दवाएं शुरू हो जाती है तो आप खतरे से बाहर हो सकते हैं और उनकी जान बच सकती है। उनके द्वारा किए गए अध्ययन में यह स्पष्ट हो चुका कि अधिकांश लोगों की मौत देर से इलाज शुरू होने से हुई है।

लक्षण आने पर नहीं करें देरी

ऐसे में अगर किसी भी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण नजर आए तो वे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें और जांच कर इलाज शुरू कराएं। इसमें देरी करना यानी जान गंवा देना जैसा है। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर उनके लिए अधिक खतरनाक साबित हुई है जो शुरुआती दौर में इसे नजरअंदाज किए हैं। दूसरी लहर में देखा गया कि बुखार तेजी से निमोनिया में बदला और वह फेफड़ा को डैमेज करने लगा। अगर शुरुआती दौर में इलाज शुरू होने से फायदा होगा कि बुखार को हम नियंत्रण में कर पाएंगे और मरीज को निमोनिया से बचाया जा सकता है। साथ ही उसका फेफड़ा भी कम डैमेज होगा। जिससे उसकी जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।

छह मिनट के वॉक टेस्ट से पता चल जाता निमोनिया

निमोनिया का टेस्ट घर में ही मरीज कर सकते हैं। छह मिनट वॉक टेस्ट होता है। इसके लिए दो कुर्सियों को 40 से 50 फीट की दूरी पर रखें। पहले अपना ऑक्सीजन लेवल देख लें। फिर दोनों कुर्सियों के दूरी को तेजी से चलकर छह मिनट तक चक्कर लगाए। अगर इस छह मिनट में आपका ऑक्सीजन लेवल चार फीसद या उससे अधिक कम हो जाता है तो इसका मतलब आपको निमोनिया हो गया है।

निमोनिया होने की पहचान

पहले लक्षण के चार से पांच दिन बाद यदि पल्स रेट किसी भी समय 100 से अधिक रहना, बुखार 101 से कम नहीं होना, सांस लेने में दिक्कत होना, ऑक्सीजन लेवल 94 फीसद से कम होना, सीआरपी 10 से अधिक होना निमोनिया की पहचान है।

ये कहते डाक्टर

कोरोना मरीजों के लिए तीन से पांच दिन का समय अति महत्वपूर्ण होता है। इसके बीच में अगर मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो उसे निमोनिया या फिर गंभीर होने से बचाया जा सकता है। इससे मृत्युदर में भी कमी आएगी। जिनका इलाज पांच दिन के बाद शुरू हुआ उनकी स्थिति गंभीर अधिक देखी गई। इस दौरान कई रोगियों की मौत भी हो जाती है।

- डॉ. संतोष गुप्ता, संयुक्त सचिव, आइएमए सह हृदय रोग विशेषज्ञ।


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