पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने साझा किए अनुभव, कहा- मेरी भी गुजरीं बेबसी व बेचैनी की रातें
कई बार हम हताश हो जाते थे। समझ में नहीं आता था कि क्या करें। मेरी भी बेबसी व बेचैनी की कई रातें गुजरीं। हमारी टीम 18 से 22 घंटे तक काम करती थी फिर हम असहाय महसूस करते थे। यह कहना है पूर्वी सिंहभूम के डीसी सूरज कुमार का।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम जिला ने कोरोना की दोनों लहरों की भयावहता देखी। पहली लहर में झारखंड के कई जिले अछूते रहे, लेकिन उस समय भी हमने कई अपनों को खोया। फर्स्ट वेव में हेल्थ इंफ्रास्टक्चर में काफी कमी थी। हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसी नहीं थी कि हम इस तरह की आपदा झेल सकें। दरअसल, कई बार हम हताश हो जाते थे। समझ में नहीं आता था कि क्या करें। मेरी भी बेबसी व बेचैनी की कई रातें गुजरीं। रात-रात भर सो नहीं पाता था। हमारी टीम 18 से 22 घंटे तक काम करती थी, फिर हम असहाय महसूस करते थे।
ये बातें पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सूरज कुमार ने कहीं। बिष्टुपुर स्थित होटल रमाडा में शुक्रवार को आयोजित ‘जागरण कोरोना योद्धा सम्मान’ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपायुक्त जब बोलने लगे तो पूरे डेढ़ साल की कोरोना रिपोर्ट ही पेश कर डाली। शुरू से अब तक जिले में क्या-क्या हुआ। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य कर्मियों व जिलेवासियों ने क्या किया, पूरी बात विस्तार से बताई। इस बीच उपायुक्त ने भावुक होते हुए कहा कि हमने अपनी टीम के 24 साथियों को खोया, जिसका हमेशा अफसोस रहेगा। अंत में उन्होंने शहरवासियों की जिस तरह तारीफ की, उसने जमशेदपुर और पूर्वी सिंहभूम जिले के हर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि वे कई जिले में रहे हैं, लेकिन यहां के लोग जिस तरह से सेवा भाव से आगे आए, वैसा सहयोग कहीं देखने को नहीं मिला। दैनिक जागरण का यह कार्यक्रम भी हमें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करेगा-प्रेरणा देगा।
अकल्पनीय स्थिति से गुजरे
पूर्वी सिंहभूम जिले ने कोरोना की पहली लहर के बाद दूसरी लहर भी देखी। यह इतनी भयावह रही कि हर कोई बेचैन-बेबस नजर आ रहा था। दरअसल, इस तरह की आपदा की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। कभी ऐसी आपदा नहीं आई थी। पहली लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियों को हमने दूर किया, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हुई। उपायुक्त होने के नाते मेरे लिए यह सुखद स्थिति नहीं थीं। जमशेदपुर में ना केवल झारखंड के सभी जिले से मरीज आ रहे थे, बल्कि पड़ोसी राज्य बंगाल और ओडिशा से भी यहां इलाज के लिए लोग आए। दूसरी लहर ने पहले से ज्यादा जोरदार तरीके से हिट किया। हर दिन मीटिंग में अधिकारियों से यही चर्चा होती थी कि आज क्या करना है।
आक्सीजन बेड की कमी दूर की
पहली से ज्यादा दूसरी लहर में आक्सीजन बेड की कमी महसूस हुई, तो हमने उसे भी दूर किया। सदर अस्पताल को 100 बेड से बढ़ाकर 170 तक किया। पाइपलाइन से आक्सीजन की आपूर्ति शुरू की। बंद पड़े कांतिलाल अस्पताल में 100 आक्सीजन बेड की व्यवस्था की। यहां मणिपाल-टाटा मेडिकल कालेज के चिकित्सकों की सेवा ली। उमा अस्पताल व साकेत अस्पताल में आक्सीजन बेड विकसित किया। नाइट्रोजन व आर्गन गैस के टैंकर को आक्सीजन टैंकर मेें परिवर्तित किया। 700 इंडस्ट्रियल आक्सीजन गैस सिलेंडर लेकर उसे मेडिकल आक्सीजन में बदला। इसमें से 300 दूसरे जिलों को दिया, जबकि 400 हमने रखा। यहां तीन आक्सीजन प्लांट होने से हमें इसकी दिक्कत नहीं हुई, बल्कि हमने देश भर के शहरों को आक्सीजन भेजा।
नियमित बीमारी के मरीजों का भी रखा ख्याल
यहां कोरोना से ज्यादा हार्ट, किडनी व कैंसर के मरीज भी काफी संख्या में हैं, लिहाजा उनका भी ख्याल रखा। डायलिसीस की सुविधा बढ़ाई। टेस्टिंग कैपेसिटी भी बढ़ाई। एक हजार प्रतिदिन की क्षमता से टेस्टिंग हो रही थी, जिसे बढ़ाकर हम 13,500 तक ले गए। आज भी 7500 टेस्टिंग प्रतिदिन हो रही है।
वैक्सीनेशन में सभी जिले से आगे रहे
कोरोना से लड़ने का एकमात्र कारगर हथियार के रूप में कोरोना वैक्सीन आया, तो हमने इसे भी बढ़िया तरीके से संचालित किया। आज वैक्सीनेशन में हम राज्य के सभी जिलों से बेहतर हैं। टीके की कुछ कमी हुई थी, अब भी हो रही है, लेकिन भविष्य में इस कमी को दूर करने के लिए प्रयास चल रहे हैं। इतना तो तय है कि अब जागरूकता की कमी नहीं रही।
दैनिक जागरण को विशेष धन्यवाद
कोरोना वैक्सीनेशन के लिए दैनिक जागरण ने जिस तरह से जागरूकता अभियान चलाया, उसके लिए विशेष धन्यवाद। जागरण ने कोरोना से बचाव के लिए एहतियात बरतने से लेकर टीके को लेकर भ्रांतियों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाई। हर दिन सकारात्मक खबरों के साथ यह लोगों को जगाता है। लोकसभा चुनाव 2014 में मतदाता जागरूकता के लिए दैनिक जागरण ने मानव श्रृंखला बनाई थी, उस वक्त मैं खूंटी में था। उपायुक्त ने कहा कि लोग अब भी सावधान-सचेत रहे तो थर्ड वेव का खतरा टल सकता है। हमें एहतियात बरतना होगा।