एनएच-33 के मुआवजे में हुआ बड़ा खेल, कहीं बंटी रेवडि़यां तो किसी को मिला धेला
करीब एक दशक से चर्चा में रही रांची से महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग के मुआवजे को लेकर खासा खेल हुआ।
विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : करीब एक दशक से चर्चा में रही रांची से महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) में अजीब तरह के खेल हुए हैं। जितनी गहराई में जाएंगे, कुछ न कुछ गड़बड़ियां जरूर मिल रही हैं। एनएच निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण व मुआवजे को ही लें तो पता चलता है कि एक जैसी जमीन के लिए किसी को लाखों रुपये मुआवजे की रकम मिली तो किसी को कुछ हजार का हिसाब बनाकर दे दिया गया। इस वजह से सैकड़ों आपत्तियां व पुनरीक्षण के लिए आवेदन एनएएचएआइ, भू अर्जन विभाग में पड़े हुए हैं।
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एक डिसमिल की कीमत 24, 600, मकान भी हुआ तो 3,20,000
जमीन एक डिसमिल। कीमत लगाई गई 24,600 रुपये। यदि उक्त जमीन पर निर्माण भी रहा हो तो अधिग्रहण के बाद मुआवजे की राशि 3 लाख 20,000 रुपये दी गई है।
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दस्तावेज में दर्ज 13 लाख, मिले 11 लाख
गालूडीह बाजार के कपड़ों की दुकान चलानेवाले भद्रलोचन महतो की कहानी भी अलग है। भू अर्जन विभाग के दस्तावेज में भद्रलोचन को 13 लाख रुपये का भुगतान होना दर्ज है जबकि उन्हें वास्तविक भुगतान 11 लाख 55 हजार ही हुआ है। भद्रलोचन का दावा है कि मुआवजे के निर्धारण में मनमानी की गई है। उनकी जमीन में छह कमरे, छह फीट लंबा बरामदा और सीढ़ी बनी हुई थी। जमीन की मापी भी गलत तरीके से की गई है। कुल जमीन 880 स्क्वायरफीट दर्ज की गई जबकि वास्तव में है 918 स्क्वायरफीट। मुआवजे की जो रकम मिली है उतने में वह निर्माण भी नहीं किया जा सकता जो तोड़ दिया गया। मुझे कम से कम 90 लाख मिलना चाहिए था। इसके लिए लिखित रूप से क्लेम किया है।
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एनजीओ ने किया निर्धारण, निजी अमीनों ने की पैमाइश
महुलिया मौजे के लोगों ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे की रकम का निर्धारण के लिए किसी गैर सरकारी संगठन को जिम्मा दिया गया। वहीं जमीनों की पैमाइश में भी सरकारी अमीन नहीं थे बल्कि निजी अमीनों नम मापी की। उस समय तेज-तर्रार लोगों ने जमीन की प्रकृति जिस तरह दर्ज कराई उस हिसाब से उन्हें लाभ भी मिला।
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रकम कम होने पर कई लोगों ने नहीं ली राशि
एक जैसी जमीन के एवज में अलग-अलग राशि निर्धारित करने में सैकड़ों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अभी तक मुआवजे की राशि नहीं ली। पुनरीक्षण के लिए आवेदन दायर कर रखा है।
जमशेदपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर घाटशिला प्रखंड के गालूडीह पंचायत अंतर्गत महुलिया मौजा के लोगों के अनुभव व विचार सुन कोई भी सोच में पड़ सकता है।
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जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया उसमें पक्की दीवारों पर एसबेस्टस की छत थी। मुआवजे के रूप में 13 लाख 63 हजार रुपये मिले। नेशनल हाइवे एक्ट 1956 के अधीन मिले मुआवजे के नोटिस में मेरा प्लॉट नंबर 62 में मकान दर्ज था।
- राखाल चंद्र दत्ता, गालूडीह
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महुलिया मौजे में मेरी जमीन पर पक्का घर बना था। कुल सात डिसमिल जमीन एनएच निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई। मुआवजे के तौर पर कुल 19 लाख 56 हजार 790 रुपये मिले।
- सत्यरंजन मंडल
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महुलिया मौजा में खाता नंबर 66 प्लॉट 62 ए में दोमंजिला भवन में दुकान व क्लीनिक था। नौ मीटर गुणे 7 मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसके एवज में केलव 21 लाख 1 हजार 528 रुपये मुआवजे के रूप में मिले जो काफी कम है। हमने जमीन के पुन: मूल्यांकन के लिए जिला भू अर्जन पदाधिकारी को आवेदन कर रखा है।
- तुषार दत्ता
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सन 1964 में यह जगह आबाद थी। उसके बाद यहां की जमीन का स्वरूप बदलता गया। एनएच के लिए अधिग्रहण संबंधी अधिसूचना के बाद प्रक्रिया में 12 साल का समय बीत गया। इस दौरान भी काफी बदलाव हुआ। यहां जमीन रजिस्ट्री का रेट भी अलग है। जो मुआवजा मिला वह एनएच एक्ट के हिसाब से नहीं है। हमने बंगाल व पुणे में एनएच के लिए निर्धारित रेट निकलवाएं हैं और न्यायालय में मामला दायर कर रखा है।
- निरंजन मंडल
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