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Jharkhand : जमशेदपुर सीट पर झामुमो की इंट्री के बाद सीन से बाहर हो गई कांग्रेस

Lok Sabha Polls. 1989 में झामुमो की जीत के बाद कांग्रेस जमशेदपुर संसदीय सीट की लड़ाई में सीन से बाहर हो गई। इसके उम्मीदवार 2011 के उपचुनाव में पांचवें स्थान पर थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 08:32 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 10:11 AM (IST)
Jharkhand : जमशेदपुर सीट पर झामुमो की इंट्री के बाद सीन से बाहर हो गई कांग्रेस

जमशेदपुर [मुजतबा हैदर रिजवी]।  वर्ष 1984 में हुए आम चुनाव में आखिरी बार जमशेदपुर संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जीता था। वहीं वर्ष 1989 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर झामुमो की इंट्री हुई। तभी से यहां के सियासी सीन से कांग्रेस बाहर चल रही है। इस सीट पर झामुमो के आने के बाद से अब तक कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है। वर्ष 1989 के बाद से इस सीट का चुनाव झामुमो बनाम भाजपा बन कर रह गया है। कांग्रेस के उम्मीदवारों को यहां बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है।

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वर्ष 1957 में इस संसदीय सीट का गठन हुआ था। इसके बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार एमके घोष ने जीत का परचम लहराया था। उन्होंने जेएचपी के एरिक डिकोस्टा को 10 हजार मतों से हराया था। इसके बाद वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस सीपीआइ के हाथों हार गई। सीपीआइ के उदयशंकर मिश्र कांग्रेस के एन मुखर्जी से 20 हजार मतों से जीते। इसके बाद 1967 और 1971 में हुए आम चुनावों में फिर कांग्रेस ने बाजी पलटी। उसके उम्मीदवार विजेता हुए। वर्ष 1967 में कांग्रेस के एस सिंह और वर्ष 1971 में सरदार स्वर्ण सिंह सांसद बने। वर्ष 1977 व वर्ष 1980 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के खेमे को फिर मायूसी हाथ लगी। इन दोनों चुनावों में रुद्र प्रताप सारंगी ने कांग्रेस उम्मीदवार वीजी गोपाल को पटखनी दी।

1984 में गोपेश्वर ने की वापसी

इसके बाद वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार गोपेश्वर ने छह हजार वोटों से जीत दर्ज की। तब से कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार इस सीट से लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका है। कांगे्रस एक अदद जीत के लिए तरस रही है। वर्ष 1989 में हुए चुनाव में इस सीट पर झामुमो की इंट्री हुई। झामुमो के शैलेंद्र महतो उम्मीदवार बने। उन्होंने कांग्रेस के चंदन बागची को हराया। इसके बाद वर्ष 1991 के चुनाव में झामुमो के शैलेंद्र महतो ने भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह को हराया। वर्ष 1996 में भाजपा नीतीश भारद्वाज को लाई और उसने यह सीट झामुमो से छीन ली। वर्ष 1998 और 99 के चुनाव में भाजपा की आभा महतो ही जमशेदपुर से सांसद बनीं।

2004 में सीट दोबारा चली गई झामुमो के कब्जे में

वर्ष 2004 और वर्ष 2007 में यह सीट फिर झामुमो के हाथ में चली गई। वर्ष 2009 में भाजपा के अर्जुन मुंडा यहां से जीते। उनके इस्तीफे के बाद वर्ष 2011 में हुए उपचुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के डा. अजय कुमार ने जीत दर्ज की। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के विद्युत वरण महतो ने झारखंड विकास मोर्चा के डा. अजय कुमार को हराया। अब डा. अजय कुमार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

2011 में पांचवें स्थान पर थे कांग्रेस के बन्ना 

जमशेदपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की खराब स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2011 के उपचुनाव में कांग्रेस पांचवें नंबर पर थी। कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को महज छह फीसद वोट मिले थे।


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