बिना टूथपेस्ट दांत चमकाएगा पुआल और कोयले का टूथब्रश, ऐसे बनेगा टूथब्रश
प्लास्टिक के टूथब्रश से पर्यावरण को हो रहे नुकसान का अंदाजा इसी से लग सकता है कि जमीन में दबे प्लास्टिक के टूथब्रश को गलने (डिकंपोज) में भी 500 साल से ज्यादा लगेंगे।
निर्मल प्रसाद, जमशेदपुर। पुआल की डंडी और कोयला। इन दोनों वस्तुओं का जिक्र आने पर हो सकता है आपके जेहन में जलाने के अलावा इनका कोई और उपयोग नजर न आता हो। अब नई सोच और तकनीक इसका नया उपयोग सामने लेकर आई है, वह भी आम के आम गुठलियों के भी दाम की तर्ज पर।
जमशेदपुर की कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) की ईकाई यंग इंडियंस (वाइआइ) का आइडिया सफल हुआ तो बहुत जल्द पुआल की डंडी से बना टूथब्रश आपके सामने होगा। अपने प्राकृतिक गुणों के कारण ये दोनों ही पदार्थ न सिर्फ आपके दांतों को सेहतमंद बनाएंगे बल्कि आप प्लास्टिक के उपयोग से भी बच सकेंगे। और तो और इस ब्रश से दांत साफ करने के लिए अलग से टूथपेस्ट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
इसे केवल गीला कर दांतों पर घिसने से दांत कोयले के चूर्ण से साफ हो जाएंगे। दांतों पर घिसने से कोयले के चूर्ण से बना ब्रश भी कुछ अंतराल बाद धीरे- धीरे स्वत: नष्ट होता जाएगा। यंग इंडियंस की योजना इसे मात्र 25 रुपये में उपलब्ध कराने की योजना है। वहीं कई ई कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट पर यह 600 से 800 रुपये तक ऑनलाइन बिक रहा है।
निवेशक की तलाश
इस प्रोजेक्ट के लिए यंग इंडियंस को ऐसे उद्योगपति की तलाश है जो निवेश कर सके। संस्थान उन्हें तकनीक के साथ-साथ बाजार भी उपलब्ध कराएगा। पुआल और कोयले के चूर्ण से बना यह टूथब्रश पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल होगा, जिसे आसानी से री-साइकिल किया जा सकेगा। जमीन में भी इसे दबाने पर यह जल्द ही खाद के रूप में तब्दील हो जाएगा। इसमें अंश मात्र भी प्लास्टिक कण का इस्तेमाल नहीं होगा।
औसतन 280 टूथब्रश का इस्तेमाल
औसतन एक व्यक्ति पूरे जीवन में 280 प्लास्टिक से बने टूथब्रश का इस्तेमाल करता है। प्लास्टिक के टूथब्रश से पर्यावरण को हो रहे नुकसान का अंदाजा इसी से लग सकता है कि जमीन में दबे प्लास्टिक के टूथब्रश को गलने (डिकंपोज) में भी 500 साल से ज्यादा लगेंगे।
ऐसे बनेगा टूथब्रश
धान के पुआल को हाई प्रेशर में मोल्ड कर डंडी का रूप दिया जाएगा, जबकि कोयले के चूर्ण और ग्रेफाइट के तरल रूप को हाई प्रेशर के साथ छोटे-छोटे छेद से गुजारकर ब्रश की तरह से रेशा निकला जाएंगे। अब इसके बाद इसे निश्चित आकार में काटकर टूथब्रश का रूप दिया जाएगा।
स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया के तहत ईको फ्रेंडली टूथब्रश बनाने के बारे में हम विचार कर रहे हैं। अगर कोई उद्यमी सामने आता है तो हमारी टीम उन्हें तकनीक और बाजार उपलब्ध कराएगी। सरकार ऐसे उत्पादों पर जीएसटी शून्य कर दे तो इनके दाम कम होंगे।
-दिव्यांशु सिन्हा, पूर्व चेयरमैन,
यंग इंडियंस, झारखंड