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स्वच्छता अभियान व्यक्तिगत नहीं सबकी जिम्मेदारी

शहर के सामाजिक कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने डिमना रोड स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में चले विमर्श के दौरान कहा कि इंदौर से सीखने की जरूरत है कि वह देश में स्वच्छता के मामले में पहले नंबर पर कैसे पहुंचा। वहां भी इस शहर जैसे लोग हैं, समस्याएं भी एक जैसी हैं और अवैध बस्तियां भी हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 08:47 PM (IST)
स्वच्छता अभियान व्यक्तिगत नहीं सबकी जिम्मेदारी
स्वच्छता अभियान व्यक्तिगत नहीं सबकी जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्वच्छता अभियान एक आंदोलन है जो किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि सबकी जिम्मेदारी से सफल हो सकता है। स्वच्छता का मतलब केवल झाड़ू से सफाई नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्वच्छता, घर की स्वच्छता सहित पूरे परिवेश को साफ-सुथरा रखने से है। उक्त बातें शहर के सामाजिक कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने डिमना रोड स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में चले विमर्श के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि इंदौर से सीखने की जरूरत है कि वह देश में स्वच्छता के मामले में पहले नंबर पर कैसे पहुंचा। वहां भी इस शहर जैसे लोग हैं, समस्याएं भी एक जैसी हैं और अवैध बस्तियां भी हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि शहर के लोगों की एक टीम इंदौर जाकर देखे कि वहां किस तरह इस अभियान को सफल किया जा रहा है। आम धारणा है कि सरकारी विभाग में कामकाज नहीं होता, भ्रष्टाचार है। इंदौर नगर निगम होने के बावजूद इतना साफ-सुथरा रह सकता है तो जमशेदपुर क्यों नहीं?

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नदियों का प्रदूषण दूर करने की जरूरत

जवाहरलाल शर्मा ने कहा कि नदियों के प्रदूषण को दूर करना भी स्वच्छता अभियान का हिस्सा है। नदी में प्रदूषण का प्रमुख कारण कॉलोनियों के सीवरेज को सीधे नदी में पहुंचना है। इस मामले में सख्ती की जरूरत है। जितने भी अपार्टमेंट हैं, सभी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए। सरकार की ओर से इसके लिए समय सीमा का निर्धारण कर सख्ती बरती जाए कि निर्धारित समय सीमा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाने पर नियमित जुर्माना लगाया जाएगा।

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सीएसआर की राशि के उपयोग की हो निगरानी

यह तो नियम ही है कि कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कंपनियों-कारखानों को अपने आसपास के क्षेत्र की सुविधाओं पर लाभ का दो प्रतिशत खर्च करना है। यह राशि खर्च हो रही है या नहीं, इसपर सतत निगरानी रखी जाए कि कंपनियां सीएसआर के फंड का ठीक से उपयोग करें। शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का स्वास्थ्य कारखाना जनित प्रदूषण से खराब हो रहा है। ऐसा क्यों है जबकि कंपनियों के सीएसआर के अलावा सरकार भी तमाम सुविधाओं व स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करती है।

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प्रशासनिक सख्ती भी जरूरी

हमारी आदतें, रूटीन को भी बदलने की जरूरत है। ज्यादातर चीजें जानते हुए भी गंभीरता की कमी आड़े आती है। इसके लिए जरूरत पड़े तो प्रशासनिक सख्ती भी हमारी आदत सुधारने में कारगर हो सकती है। इसके लिए सरकारी तंत्र को नियमित रूप से नजर रखनी होगी। इससे लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे और इससे जुड़ी चीजें उनकी आदत में शुमार हो जाएंगी।

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जनसंपर्क विभाग निभाए अपनी जिम्मेदारी

जिले का जनसंपर्क विभाग की सक्रियता कहीं नजर नहीं आती। यह उसका काम होना चाहिए कि स्वच्छता को लेकर कार्यक्रम व अभियान चलाए। लोगों को इससे जोड़े। कुल मिलाकर स्वच्छता हमारे परिवेश की हकीकत बन सकती है। व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों की निरंतरता से।


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