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बड़ा खुलासा आपको कर सकता हलकान: सीआइएससीई को सरकार से मान्यता ही नहीं

सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि सीआइएससीई को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने मान्यता नहीं दी है ।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 04:52 PM (IST)
बड़ा खुलासा आपको कर सकता हलकान:  सीआइएससीई को सरकार से मान्यता ही नहीं
बड़ा खुलासा आपको कर सकता हलकान: सीआइएससीई को सरकार से मान्यता ही नहीं

जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव।  देश में लाखों बच्चे काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) से संबद्ध स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन यह संस्था भारत सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है। न ही इसका गठन सरकार ने किया है। इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ। दरअसल, इस मामले में शहर के आरटीआइ कार्यकर्ता सदन ठाकुर ने जानकारी मांगी थी। उनके आवेदन पर भारत सरकार के अवर सचिव सह सीपीआइओ विनायक टी लिखर ने विस्तार से जानकारी दी।

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उन्होंने लिखा है कि सीआइएससीई को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने मान्यता नहीं दी है और न ही इसे सरकार की ओर से स्थापित किया गया है। यह संस्था दसवीं कक्षा के समकक्ष इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन और बारहवीं कक्षा के समकक्ष इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षाएं आयोजित करती है। इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाले छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल होकर सफल हो रहे हैं। सरकार के उच्च पदों पर पदस्थापित हो रहे हैं। यह भारत का एक निजी व गैर-सरकारी शिक्षा बोर्ड है। इसे 1956 में अंग्रेजी शिक्षा के लिए गठित किया गया था। इसे 1967 में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत कराया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। वैसे इस बोर्ड को अन्य भारतीय शिक्षा बोर्ड के समकक्ष माना जाता है। अन्य भारतीय शिक्षा बोडोर्ं की तरह यहां भी ग्रेडिंग व्यवस्था लागू है। देश में केंद्रीय स्तर पर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अलावा सभी राज्यों में हाई स्कूल की शिक्षा के लिए अपने बोर्ड हैं।

ये हैं जमशेदपुर शहर के आइसीएसई स्कूल

हिलटॉप, एलएफएस, गुलमोहर टेल्को, केरला समाजम गोलमुरी, लोयोला स्कूल, सेक्रेड हार्ट कान्वेंट बिष्टुपुर, कार्मेल जूनियर कॉलेज सोनारी, टैगोर एकेडमी, राजेंद्र विद्यालय , एमएनपीएस साकची, जेएच तारापोर धतकीडीह, तारापोर स्कूल एग्रिको, डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल कदमा।

बोर्ड ही निजी तो स्कूल अल्पसंख्यक कैसे: सदन

आरटीआइ कार्यकर्ता सदन कुमार ठाकुर ने शहर के अल्पसंख्यक संस्था होने का दावा करने वाले स्कूलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बोर्ड ही निजी है तो स्कूल अल्पसंख्यक संस्था कैसे हो सकते हैं। इन स्कूलों को यह दर्जा कैसे मिला, यह जांच का विषय है। उन्होंने बताया कि चुनाव के बाद इस मामले के बारे में आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर में कई नामी-गिरामी स्कूलों को अल्पसंख्यक स्कूलों का दर्जा प्राप्त होने की बात कही जाती है। इन स्कूलों में शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते।


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