पोटका (पूर्वी सिंहभूम), जासं। पूर्वी सिंहभूम के पोटका में चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर शहीद गंगा नारायण सिंह की 231 वीं जन्म जयंती भूमिम समाज द्वारा मनाइ गइ। गंगा नारायण सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जल, जंगल, जमीन और जीविका के लिए लगातार आंदोलन करते रहे थे।
इस मौके पर भूमिज समाज ने पोटका एवं धालधूम में गंगा नारायण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पूजा- अर्चना की। भूमि समाज के सिद्धेश्वर सरदार ने कहा कि चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर गंगा नारायण सिंह 1831 - 32 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहे और अंग्रेजों को भारत से भगाने का काम किया। कहा कि स्वशासी सरकार जल, जंगल, जमीन, जीविका के लगातार दोहन एवं लूट पर आमादा है जिसके कारण आस्था पर हमला एवं अस्मिता पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। आज हम सबको संकल्प लेना है कि अपनी अस्मिता की लड़ाई के लिए जल, जंगल, जमीन एवं जीविका की रक्षा करते हुए वीर शहीद गंगा नारायण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
ये रहे कार्यक्रम में मौजूद
जन्म जयंती समारोह में सिद्धेश्वर सरदार, हरेन सरदार, कृष्णा सरदार, छूटु लाल सरदार, हरीश सरदार, दिनेश सरदार, सुदर्शन भूमिज, जयपाल सिंह, विभीषण सरदार, मथिसन सरदार, सुखदेव सरदार, कुमार चंद्रमा आदि उपस्थित रहे।
सरदार गुरिल्ला वाहिनी का किया था गठन
अंग्रेजों के शासन और शोषण नीति के खिलाफ लड़ने वाले गंगा नारायण सिंह प्रथम वीर थे जिन्होंने सर्वप्रथम सरदार गुरिल्ला वाहिनी का गठन किया। वाहिनी को हर जाति का समर्थन प्राप्त था। धालभूम, पातकूम, शिखरभूम, सिंहभूम, पांचेत, झालदा, काशीपुर, वामनी, वागमुंडी, मानभूम, अम्बिका नगर, अमीयपुर, श्यामसुंदरपुर, फुलकुसमा, रानीपुर तथा काशीपुर के राजा-महाराजा तथा जमीनदारों का गंगा नारायण सिंह को समर्थन मिल चुका था। गंगा नारायण सिंह ने वराहभूम के दिवान तथा अंग्रेज दलाल माधव सिंह को वनडीह में 2 अप्रैल, 1832 ईस्वी को आक्रमण कर मार दिया था। उसके बाद सरदार वाहिनी के साथ वराहबाजार मुफ्फसिल का कचहरी, नमक का दारोगा कार्यालय तथा थाना को आगे के हवाले कर दिया।