जमशेदपुर, दिलीप कुमार। मसीही समाज का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस को लेकर उत्साह चरम पर है। चारों ओर साफ-सफाई के साथ सजावट का काम चल रहा है। बाजार में खरीदारी के लिए लोग उमडऩे लगे हैं। चर्च में चरनी बनाने का काम जोरों पर है। युवा समूह कैरोल के माध्यम से प्रभु के आने की संगीतमय सूचना मसीही समाज के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। सांता रात के अंधेरे में प्रभु आगमन की खुशी में उपहार बांट रहे हैं। क्रिसमस को खास बनाने के लिए युवा, महिला और वयस्कों की टीम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अभ्यास कर रहे हैं।
क्रिसमस पर रात 12 बजे बजता है 272 किलो का घंटा
गोलमुरी स्थित संत जोसफ केथड्रल चर्च में प्रभु यीशु के जन्म के साथ ही ठीक रात 12 बजे 272 किलो का घंटा बजता है। चर्च में यह घंटा 12 सितंबर 1957 में लगाया गया था। चर्च में क्रिसमस की तैयारी जोरों पर हैं। परिसर में चरनी का निर्माण कराया जा रहा है। चर्च के युवा दो ग्रुप में कैराल के माध्यम से प्रभु के आने का संदेश दे रहे हैं। अक्टूबर 1931 में एग्रिको लाइन बंगला नंबर एक में संत जोसफ केथड्रल चर्च की स्थापना की गई थी। 20 मई 1957 को फादर जेम्स कामर फोर्ड गोलमुरी स्थित नए भवन में आए। वर्ष 1956 में पहला क्रिसमस समारोह का आयोजन गोलमुरी स्थित केथड्रल चर्च में किया गया था। चर्च में 24 दिसंबर की मध्यरात प्रभु यीशु मसीह का जन्म दिवस मनाया जाएगा।
पांच को होगी गैदङ्क्षरग
संत जोसफ केथड्रल चर्च से जुड़े मसीही पांच जनवरी को गेट टू गेदर करेंगे। इस गैदङ्क्षरग में चर्च से जुड़े सभी परिवार शामिल होंगे। बच्चों, महिलाओं और वयस्कों के लिए अलग-अलग प्रतियोगिता का आयोजन भी होगा।
जरूरतमंदों की मदद करने की अपील
आर्थिक मंदी के कारण चर्च की ओर से जरूरतमंद लोगों की मदद करने की अपील की गई है। क्रिसमस के लिए उपहार बांटने का काम भी चल रहा है। इसी बीच चर्च से जुड़े लोग जरूरतमंद लोगों को उपहार स्वरूप उनके जरूरत के सामान दे रहे हैं। इस दौरा कंबल भी बांटे जा रहे हैं।
- क्रिसमस एकता, शांति, आशा और न्याय का पर्व है। प्रभु के वचनों को अपने कार्यों में प्रकट करना होगा, धर्म, जाति से ऊपर उठकर काम करना होगा, प्रभु ने कोई धर्म नहीं बनाया। धर्म तो बाद में लोगों ने बनाया। - फादर डेविड विंसेंट एसजे, संत जोसफ केथड्रल गोलमुरी
सीतारामडेरा में गीत-संगीत व नृत्य भी होगा
सीतारामडेरा स्थित इमानुएल बैप्टिस्ट चर्च में क्रिसमस को लेकर तैयारी चल रही है। युवा टीम रोज रात को कैरोल गाने निकल रही हैं। चर्च परिसर की साफ-सफाई के साथ रंग-रोगन का काम पूरा हो चुका है। युवा टीम इसे आकर्षक रूप से सजाने की तैयारी कर रही है।
पास्टर हाउस में चलता था चर्च
इमानुएल बैप्टिस्ट चर्च 1926 में पास्टर हाउस में चलता था। 19 सितंबर 1954 में चर्च का नया भवन बनने के बाद पास्टर हाउस से नए भवन में चर्च सिफ्ट हुआ। चर्च के पहले पास्टर हीरालाल थे। वर्तमान में पास्टर अजर परीछा हैं। 1926 में अमेरिकन बैपटिस्ट फौरन मिशन सोसाइटी को चर्च की जमीन लीज में मिली। उस वक्त चर्च से सिर्फ 12 परिवार जुड़े थे। वर्तमान में 125 परिवार के करीब 700 सदस्य इस चर्च से जुड़े हैं।
लगा है 125 किलो का घंटा
चर्च में 125 किलो का घंटा लगा है, जिसे दक्षिण भारत से लाया गया था। इसकी आवाज तीन किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। चर्च की प्रक्रिया शुरू करने से पहले 15 मिनट के अंतराल में घंटा तीन बार बजाया जाता है।
क्रिसमस के मौके पर गरीबों की सेवा
क्रिसमस के मौके पर चर्च प्रबंधन की ओर से गरीब परिवार व बेवा को आर्थिक मदद की जाती है। बाराद्वारी गांधी आश्रम, पुरुलिया व जादूगोड़ा स्थित कुष्ट पीडि़तों को चर्च की ओर से कपड़ा व गिफ्ट दिया जाता है। क्रिसमस के दिन चर्च पहुंचने वाले सभी लोगों को केक व कॉफी दी जाती है।
- प्रभु यीशु का जन्म प्राणियों के उद्धार के लिए हुआ था। बुराइयों से त्राहिमाम कर रही जनता मुक्ति की आश में हैं। प्रभु के जनम के समय भी जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। लोगों को प्रभु के बताए मार्ग पर चलना होगा।
- - फादर अजर परीछा, इमानुएल बैप्टिस्ट चर्च, सीतारामडेरा
क्रिसमस को लेकर गैदरिंग आज
मानगो के जवाहरनगर रोड नंबर पांच स्थित संत मार्क चर्च में क्रिसमस को लेकर बुधवार को गैदङ्क्षरग होगी। मौके पर चर्च से जुड़े लोग परिवार के साथ जुटेंगे और उल्लास मनाएंगे। क्रिसमस को लेकर चर्च की तैयारी जोरों पर है। चारों ओर साफ-सफाई की गई है। क्रिसमस के दिन आराधना व मिस्सा के बाद चर्च के सदस्य सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं, जिसके तहत नाटक, गीत-संगीत और नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
घोड़े की सवारी करते थे फादर
संत मार्क चर्च बनाने के लिए सामानों की खरीदारी फादर हेल्लर घोड़ों की सवार होकर किया करते थे। वर्ष 1960 में स्व. डेविड कन्डुलना के घर पर ही हर रविवार को आराधना किया जाता था। करीब 30-35 परिवार आराधना में शामिल होते थे। बाद में स्व. सुसाना सोके ने अपनी जमीन परमेश्वर की उपासना करने के लिए भेंट दी। संत मार्क चर्च का शिलान्यास 15 अगस्त 1962 में छोटानागपुर के प्रथम भारतीय बिशप एसएबीडी हंस द्वारा किया गया। चर्च के निर्माण कार्य में सबसे पहले तीन हजार रुपये सहयोग राशि चर्च को मिली। फिर नौकरी पेशा लोगों ने चर्च निर्माण के लिए अपने एक दिन का वेतन सहयोग राशि के रूप में देना शुरू किया। 21 अप्रैल 1963 को हिन्द की कलीसिया के मेट्रोपोलिटन लक्क्षा डीमेल द्वारा संस्कार किया गया और चर्च का नाम संत मार्क दिवस के स्मरणार्थ संत मार्क चर्च रखा गया। 26 जनवरी 1991 को जमशेदपुर पेरिस से अलग हो कर गठित हुआ। यह चर्च मानगो पेरिस का केन्द्रीय चर्च है। इसके अंतर्गत छह मंडलियां आते हैं। जिसमें संकोसाई, नौरीबेड़ा, जोअबा, महादेवबेड़ा, मधुडीह व मानगो हैं। चर्च के पहले फादर बी एस हेल्लर थे। वर्तमान में संत मार्क चर्च के फादर फ्रांसिस कच्छप हैं।
- प्रभु यीशु मसीह मानव रूप में आए और लोगों को प्रेम और शांति का संदेश दिया। वे मानव जाति के बीच प्रेम, विश्व में भाईचारा और चारों ओर शांति देखना चाहते थे। प्रभु के वचनों को अपने जीवन में उतारें।
- फादर फ्रांसिस कच्छप, संत मार्क चर्च मानगो
देश में अमन-चैन के लिए की जाएगी प्रार्थना
न्यू सीतारामडेरा स्थित सेंट्रल जीएल चर्च में प्रभु यीशु के जन्म दिन को लेकर तैयारी चल रही है। क्रिसमस के मौके पर 25 दिसंबर को यहां देश में अमन-चैन के लिए विशेष प्रार्थना की जाएगी। मौके पर सामूहिक भजन का आयोजन होगा। चर्च में चरनी का निर्माण किया जा रहा है। साफ-सफाई के बाद चर्च में रंगरोगन कर इसे आकर्षक रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही चर्च को क्रिसमस ट्री, स्टार के साथ आकर्षक रूप से विद्युत सज्जा की जा रही है। 14 फरवरी 1954 में हंस लेकिस द्वारा चर्च की नींव डाली गई थी। 12 नवंबर 1978 में चर्च के नए भवन का निर्माण हुआ। निर्माण कार्य में करीब दो लाख 43 हजार रुपये खर्च हुए थे। पहले महुलबेड़ा गिरजाघर में इसाई समुदाय के लोग प्रार्थना किया करते थे। टाटा स्टील ने न्यू सीतारामडेरा में गिरजाघर बनाने के लिए जमीन दी। इस जमीन पर सर्वप्रथम दो कमरे और एक लंबा हाल बनाया गया। वर्तमान में चर्च के फादर सुशारण भेंगरा हैं।
गिरजाघर बनने में 24 वर्ष लगे
गिरजाघर की स्थापना 14 फरवरी 1954 में हुई थी, लेकिन गिरजाघर का भवन बनकर 1978 में तैयार हुआ। इस तरह 24 वर्ष गिरजाघर बनने में लग गए। देर के कारण के बारे में बताया जाता है कि जमशेदपुर में तेजी से मंडली बनती जा रही थी, इस कारण छोटी छोटी मंडलियों को प्राथमिकता दी जा रही थी और वहां पर पहले गिरजाघर बनाया जा रहा था।
- क्रिसमस मनाने के पूर्व हमें प्यार, भाईचारा को अपनाना होगा। हर व्यक्ति में मानवता का स्वभाव हो, देश के सर्वांगीण विकास में सबकी सहभागिता हो तभी सही मायने में क्रिसमस मनेगा।
- फादर सुशारण भेंगरा, सेंट्रल जीएल चर्च सीतारामडेरा